मध्यप्रदेश के इतिहास में 230 विधानसभा सीटों के लिए सबसे अधिक 76.22 प्रतिशत मतदान हुआ. वर्ष 1956 में मध्य प्रदेश की स्थापना के बाद से प्रदेश के इतिहास में इस बार का मतदान प्रतिशत सबसे अधिक है. वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों के 75.63 प्रतिशत से भी 0.59 प्रतिशत अधिक मतदान हुआ है. अधिकारियों की माने तो पूर्वी मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में सबसे अधिक 85.68 प्रतिशत मतदान हुआ. जबकि पश्चिमी क्षेत्र के आदिवासी बहुल अलीराजपुर में सबसे कम 60.10 प्रतिशत मतदान हुआ. छत्तीसगढ़ व महाराष्ट्र के साथ सीमा साझा करने वाले पश्चिमी क्षेत्र में नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले में 85.23 प्रतिशत के साथ दूसरा सबसे बड़ा मतदान प्रतिशत दर्ज किया गया. जो इंगित करता है कि गोलियों पर मतपत्रों की जीत हुई क्योंकि माओवादियों ने लोगों को मतदान करने से हतोत्साहित किया व चुनाव प्रक्रिया में बाधाएं डालीं. यदि आंकड़ों बताते हैं कि राज्य में पिछले कुछ चुनावों में मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है. 2003 में यह 67.25 प्रतिशत, 2008 में 69.78 प्रतिशत, 2013 में 72.13 प्रतिशत और 2018 में 75.63 प्रतिशत था. वर्ष 2003 के बाद से भारतीय जनता पार्टी ने तीन बार विधानसभा चुनाव जीता. वहीं कांग्रेस सिर्फ एक बार ही विजयी हो सकी. 2003 के चुनावों में भाजपा को 42.50 प्रतिशत वोट, कांग्रेस को 31.70 प्रतिशत व बहुजन समाज पार्टी और अन्य को 10.61 प्रतिशत वोट मिले. उस वक्त भाजपा ने 173, कांग्रेस ने 38 और बसपा ने 2 सीटें जीती थीं. इसके बाद के विधानसभा चुनावों 2008 में भाजपा को 38.09 प्रतिशत, कांग्रेस को 32.85, बसपा व अन्य को 9.08 प्रतिशत वोट मिले. उस समय भाजपा ने 143, कांग्रेस ने 71 व बाकी सीटें बसपा व अन्य ने जीती थीं. वर्ष 2013 में भाजपा को 45.19 प्रतिशत, कांग्रेस को 36.79 व बसपा व अन्य को 6.42 फीसदी वोट मिले थे. परिणाम में भाजपा को 165 सीटों पर, कांग्रेस को 58 सीटों पर व बाकी सीटों पर बसपा और अन्य को जीत मिली. 2018 में भाजपा को 41.02 प्रतिशत वोट, कांग्रेस को 40.89 प्रतिशत व बसपा और अन्य को 10.83 प्रतिशत वोट मिले. कांग्रेस से अधिक वोट शेयर पाने के बाद भी, भाजपा, कांग्रेस के 114 सीटों के मुकाबले केवल 109 सीटें जीत सकी. वहीं बाकी सीटें बसपा, समाजवादी पार्टी व निर्दलीय उम्मीदवारों के पास चली गईं. पिछली बार कांग्रेस मामूली अंतर से शीर्ष पर रही थी. उसने कमल नाथ के नेतृत्व में बसपा, सपा व निर्दलीयों की मदद से सरकार बनाई थी. हालांकि मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया व उनके प्रति करीबी विधायकों के विद्रोह के बाद सरकार गिर गई. जिससे शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की वापसी का रास्ता साफ हो गया. भाजपा में शामिल होने और उपचुनाव जीतने के बाद सिंधिया के वफादारों को शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण विभाग दिए गए. सिंधिया को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री बनाया गया. शुक्रवार को हुए चुनावों में भाजपा के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व उनके पूर्ववर्ती और राज्य कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ सहित 2533 उम्मीदवारों की चुनावी किस्मत इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में बंद हो गई. राज्य में कुल 64626 मतदान केंद्र बनाए गए थे.
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- Admin
- November 19, 2023
- 11:06 am
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एमपी विधानसभा में अब तक का सर्वाधिक 76.22 प्रतिशत मतदान, प्रदेश का सिवनी जिला अव्वल 85.68 प्रतिशत
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