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यशवन्त पाण्डेय शिलकुड़ी। कुछ दिनों से विनाशकारी तूफान और बार-बार ओलावृष्टि से काछार, करीमगंज और हैलाकांदी जिलों के चाय बागानों में काफी नुकसान हुआ है। टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया की बराक वैली शाखा के महासचिव शरदिंदु भट्टाचार्य ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया है कि पिछले मंगलवार को रात भारी ओलावृष्टि के कारण हैलाकांदी जिले के चाय बागानों को गंभीर नुकसान हुआ है। ओलावृष्टि और तूफान के कारण हजारों हेक्टेयर चाय बागान क्षतिग्रस्त हो गए हैं, एलपी, एमएस और यूपी क्षेत्रों में पत्तियां गिर गई हैं, छायादार पेड़ उखड़ गए हैं, बिजली की लाइनें और खंभे उखड़ गए हैं, घरों, कारखानों और दुकानों की छतें उखड़ गई हैं । हैलाकांदी में हमारे सदस्य बागान जैसे आयनाखाल चाय बागान, रूपाचेरा चाय बागान, मणिपुर चाय बागान, कोईया चाय बागान, साउथ काछार चाय बागान, बार्नीब्रिज चाय बागान और कंचनपुर चाय बागान काफी क्षतिग्रस्त हुआ है। पिछले मंगलवार की रात आयी चक्रवात और ओलावृष्टि के कारण काछार जिले के धोवारबंद (चतला-वैली) क्षेत्र में टाई सदस्य चाय बागान, आइरंगमारा चाय बागान, बड़जालेंगा चाय बागान, वेस्ट जालेंगा चाय बागान, कैलाशपुर चाय बागान और धोवारबंद चाय बागानों को व्यापक क्षति हुई। इस साल मई में 50 फीसदी फसल नुकसान होने की आशंका है। यह घाटा पिछले साल भी इसी समय में हुआ था। इस साल अप्रैल में बराक घाटी के चाय बागानों में बिजली की आपूर्ति अनियमित थी, जिसके कारण चाय बागान कैप्टिव बिजली उत्पादन पर निर्भर हो गए, जिसके परिणामस्वरूप उत्पादन लागत में असामान्य और अनावश्यक वृद्धि हुई। विशेषकर सोनापुर क्षेत्र में लगातार भूस्खलन के कारण बराक घाटी का गुवाहाटी से मेघालय होते हुए संपर्क कट जाने से स्थिति और भी जटिल हो गई है। रेल सेवाएं भी बाधित हो गई हैं। तूफान से हुई क्षति, ओलावृष्टि, नियमित बिजली की आपूर्ति की अनुपलब्धता और इस पीक सीजन के दौरान इनपुट और आउटपुट परिवहन में अनिश्चितता का प्रभाव चाय उद्योग के लिए चिंता का विषय बन गया है।