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यशवन्त पाण्डेय, शिलकुड़ी 2 अप्रैल । अप्रैल महीने के दौरान तूफान और ओलावृष्टि के साथ भारी बारिश ने बराक घाटी के कई चाय बागानों में भारी क्षति हुई है, ओला गिरने, मूसलाधार वारिस और आंधी-तूफान से बराकघाटी के बागवान दूसरी फ्लश चाय और समग्र उत्पादन का परिदृश्य चिन्ताजनक हैं। लगातार वारिस जारी है और आगे भी भारी बारिश और तूफान होने की आशंका जताई गई है। अप्रैल महीने के दौरान कूम्भा, कूम्भीरग्राम रोज़कांदी जैसे बागानों में ओलावृष्टि और तूफान के कारण व्यापक क्षति की सूचना मिली है। कछार जिले में जालालपुर, दीवान, लारसिंह, माटीचेरा और पातीमारा चाय बागान और हैलाकांदी जिले के धोलाई, नरसिंगपुर, लालामुख, बंदूकमारा चाय बागान की भारी क्षति हुई है। ओलावृष्टि के कारण चाय की पत्तों को गंभीर नुकसान हुआ है, जो दूसरे फ्लश की पैदावार शुरू होने के कगार पर हैं, इसके अलावा कारखाने, गर्त छाया, सौर पैनल, बंगले, कर्मचारी और श्रमिक क्वार्टर सहित अन्य को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है। बार-बार बिजली आपूर्ति बाधित होने से स्थिति और खराब हो गयी है अप्रैल के महीने में पहले से ही फसल की पैदावार में गिरावट देखी गई है और पूरे महीने ओलावृष्टि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप चाय के उत्पादन में भारी गिरावट आई है और कम से कम 2 महीने की रिकवरी अवधि में झटका लगा है।
अब कई वर्षों से, बराक वैली के चाय उद्योग बढ़ती उत्पादन लागत और गैर-लाभकारी कीमतों से जूझ रहा है। और अब सीज़न के इस मोड़ पर हुए नुकसान के साथ, बराक घाटी के चाय उद्योग के लिए स्थिति और अधिक चुनौतीपूर्ण हो गई है।