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कछार जिले के उदारबंद में ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान सम्पन्न – पर्यावरण संरक्षण और सहकारिता का प्रेरणादायक संगम

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अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 और जैव विविधता दिवस के उपलक्ष्य में NABARD की पहल

उदारबंद, कछार, 22 मई
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा आज कछार जिले के उदारबंद क्षेत्र में ‘एक पेड़ माँ के नाम’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 तथा अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर किया गया, जिसमें पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समरसता और सामूहिक भागीदारी की त्रिवेणी देखने को मिली।

इस अभियान का नेतृत्व नाबार्ड के सहायक महाप्रबंधक एवं जिला विकास प्रबंधक श्री रविशंकर लिकमाबम ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा,

“सहकारिता सामाजिक समरसता और सतत विकास की धुरी है। ‘एक पेड़ माँ के नाम’ जैसी पहल न केवल पर्यावरणीय चेतना को जगाती है, बल्कि मातृभक्ति, सामूहिक उत्तरदायित्व और सामाजिक एकता को भी गहरा संदेश देती है।”

कार्यक्रम की विशेष बात यह रही कि इसे अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस (22 मई) के साथ जोड़ा गया। इस अवसर पर टिकाऊ जीवनशैली, प्रकृति के साथ संतुलन और जैव विविधता के संरक्षण का संदेश दिया गया।

अभियान के अंतर्गत कुल 70 फलदार वृक्षों का रोपण किया गया, जिसमें 25 आम, 25 लीची और 20 आँवला के पौधे शामिल थे। वृक्षारोपण का कार्य उदारबंद सहकारी समिति के सहयोग से किया गया, जिसमें समिति के सदस्य, निदेशक मंडल तथा स्थानीय नागरिकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

एक पेड़ माँ के नाम’ पहल की प्रेरणा माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून 2024) पर दिए गए आह्वान से प्राप्त हुई है। यह अभियान नागरिकों से आग्रह करता है कि वे अपनी माताओं के नाम पर एक वृक्ष लगाएँ — जो मातृ सम्मान और प्रकृति के प्रति दायित्व का प्रतीक बने।

श्री लिकमाबम ने इस भावनात्मक पहल को शब्द देते हुए कहा:

“जैसे माँ हमें जीवन देती हैं, वैसे ही वृक्ष इस धरती को जीवन देते हैं। यह वृक्षारोपण, हमारी माताओं के प्रति श्रद्धांजलि और धरती माँ के प्रति कर्तव्यबोध का प्रतीक है।”

कार्यक्रम के अंत में उपस्थित सभी जनों ने पर्यावरण संरक्षण, सहकारिता मूल्यों और सामूहिक प्रयासों को अपनाने की सामूहिक प्रतिज्ञा ली।

यह आयोजन स्थानीय स्तर पर जनसहभागिता, सामुदायिक चेतना और सहकारिता के माध्यम से सतत विकास की ओर एक प्रेरणास्पद कदम रहा, जो भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक हरित और संतुलित धरोहर छोड़ने का संकल्प है।

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