सिलचर, 9 मार्च 2025 | विशेष संवाददाता
कछार जिला प्रशासन ने जिला समाज कल्याण विभाग और संकल्प: महिला सशक्तिकरण केंद्र, कछार के सहयोग से ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की 10वीं वर्षगांठ धूमधाम से मनाई। यह कार्यक्रम गुरुचरण कॉलेज, सिलचर के ऑडिटोरियम में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया, जिससे इसका महत्व और बढ़ गया।
विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति और मुख्य विचार
इस भव्य आयोजन में डॉक्टरों, शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिष्ठित हस्तियों ने भाग लिया, जिन्होंने लैंगिक समानता और महिला प्रगति को लेकर अपनी महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि साझा की। कार्यक्रम में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) सुब्रत सेन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
अपने प्रेरणादायक संबोधन में एएसपी सुब्रत सेन ने कहा,
“एक सच्चा प्रगतिशील समाज महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और नेतृत्व को आधार बनाकर ही निर्मित हो सकता है।”
उन्होंने समुदाय से सामाजिक बाधाओं को खत्म करने और ऐसा वातावरण तैयार करने का आह्वान किया, जहाँ हर लड़की निर्भय होकर अपने सपनों को साकार कर सके।
सामाजिक योगदान के लिए विशिष्ट व्यक्तियों का सम्मान
कार्यक्रम के प्रमुख आकर्षणों में से एक उन प्रतिष्ठित हस्तियों का सम्मान था, जिन्होंने समाज में असाधारण योगदान दिया है। सम्मानित व्यक्तियों में शामिल थे:
- डॉ. तनुश्री देव गुप्ता, एसोसिएट प्रोफेसर, सिलचर मेडिकल कॉलेज
- अनुसूया मजूमदार, बराक घाटी की प्रसिद्ध गायिका
- डॉ. जयश्री डे, एसोसिएट प्रोफेसर, असम विश्वविद्यालय समाज कल्याण विभाग
- सुनंदा चौधरी, निरंजन पॉल इंस्टीट्यूट, सिलचर
- रंजीत दत्ता, उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी, कछार जिला परिषद
इन विभूतियों की प्रेरक जीवन यात्राएँ संकल्प, उत्कृष्टता और समाज सेवा की सशक्त मिसाल हैं।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्रशासन की भूमिका
कार्यक्रम में सहायक आयुक्त एवं प्रभारी जिला समाज कल्याण अधिकारी अंजलि कुमारी ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना के प्रभाव को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि यह पहल केवल नीतियों तक सीमित नहीं रही, बल्कि हजारों लड़कियों के जीवन में बदलाव का माध्यम बनी है। उन्होंने समाज और सरकार से निरंतर समर्थन की अपील करते हुए कहा,
“हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हर लड़की को समान अवसर मिले, ताकि वह अपनी क्षमताओं को पूरी तरह विकसित कर सके।”
स्थानीय शासन की भूमिका और आर्थिक स्वतंत्रता की दिशा में प्रयास
कछार जिला परिषद के डिप्टी सीईओ रंजीत दत्ता ने महिलाओं के कल्याण में स्थानीय शासन की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को मजबूत करने, महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने और खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने कहा,
“सच्चा सशक्तिकरण तभी संभव है जब महिलाएँ आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हों और उन्हें समाज में समान अवसर मिलें।”
कला, संस्कृति और महिला सशक्तिकरण का गहरा संबंध
कार्यक्रम में महिलाओं के सांस्कृतिक और कलात्मक योगदान का भी जश्न मनाया गया। बराक घाटी की प्रसिद्ध गायिका अनुसूया मजूमदार ने संगीत, साहित्य और सिनेमा में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा,
“कला और संस्कृति समाज को बदलने का सबसे प्रभावी माध्यम हैं। हमें रूढ़ियों को तोड़ने और महिलाओं की कहानियों को प्रमुखता से प्रस्तुत करने की जरूरत है।”
महिला नेतृत्व और निर्णय-निर्माण में भागीदारी का आह्वान
असम विश्वविद्यालय के समाज कल्याण विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जयश्री डे ने महिला सशक्तिकरण के सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में प्रभाव पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा,
“महिलाओं को निर्णय-निर्माण प्रक्रियाओं में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए, चाहे वह पारिवारिक हो, शैक्षिक हो या पेशेवर। उनके विचारों और निर्णयों को उचित मान्यता मिलनी चाहिए।”
सकारात्मक संकल्प के साथ कार्यक्रम का समापन
कार्यक्रम का समापन लैंगिक समानता, महिला अधिकारों की रक्षा और हर बालिका के सम्मान की शपथ के साथ हुआ। माहौल प्रतिबद्धता और संकल्प से भर गया, जहाँ सभी प्रतिभागियों ने मिलकर यह संदेश दिया कि
“महिला सशक्तिकरण सिर्फ एक सरकारी पहल नहीं, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी है, जिसे हर स्तर पर अपनाना होगा।”
निष्कर्ष
‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की 10वीं वर्षगांठ न केवल एक उत्सव थी, बल्कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक सार्थक संवाद और संकल्प का अवसर भी बनी। इस कार्यक्रम ने यह स्पष्ट किया कि शिक्षा, आर्थिक स्वतंत्रता, कला, प्रशासन और सामाजिक समावेशन—ये सभी मिलकर महिला सशक्तिकरण की नींव रखते हैं।
👉 संदेश स्पष्ट है:
“हर लड़की को समान अवसर मिले, हर महिला का सम्मान हो, और हर बेटी अपने सपनों को साकार करने के लिए स्वतंत्र हो।”





















