सिलचर, 8 जनवरी: कछार जिले सहित पूरे राज्य में जल मित्रों की हड़ताल के कारण पिछले छह दिनों से पीने के पानी की भारी किल्लत उत्पन्न हो गई है। जल मित्र, जो अस्थायी कर्मचारी के रूप में जल परियोजनाओं की देखरेख करते हैं, अपनी विभिन्न मांगों को लेकर जलापूर्ति बंद कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसका परिणाम यह हुआ है कि आम जनता के लिए दैनिक जीवन में आवश्यक पानी की व्यवस्था ठप हो गई है।
सोनाई क्षेत्र में जल संकट गहराया
सोनाई क्षेत्र के सत्कारकांडी ग्राम पंचायत के झांझरबली इलाके में स्थिति बेहद गंभीर हो चुकी है। यहां पीड़ित निवासियों ने खाली कलश लेकर विरोध प्रदर्शन किया। राजघर जलापूर्ति परियोजना के सामने सैकड़ों महिलाएं खाली बर्तन लेकर जल संकट के खिलाफ आवाज उठाने के लिए एकजुट हुईं।
परियोजना प्रबंधन समिति की चिंता
झांझरबली जल परियोजना प्रबंधन समिति के अध्यक्ष एहसान अली लश्कर और सचिव अहमद उल्लाह बरभुइया ने मीडिया से बातचीत में बताया कि जल मित्रों की हड़ताल के कारण जलापूर्ति पूरी तरह से बंद हो गई है। उन्होंने कहा कि शुष्क मौसम के चलते तालाब और अन्य प्राकृतिक जल स्रोत सूख चुके हैं, जिससे क्षेत्र के 400 से अधिक परिवार पेयजल के गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं।
तत्काल समाधान की मांग
परियोजना समिति के अधिकारियों ने सरकार और प्रशासन से आग्रह किया है कि जल मित्रों के साथ तत्काल बातचीत कर उनकी मांगों का समाधान निकाला जाए और जलापूर्ति फिर से बहाल की जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि स्थिति जल्द नहीं सुधरी, तो क्षेत्र के प्रभावित लोग बड़े पैमाने पर आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
विरोध में बढ़ी भागीदारी
झांझरबली के विरोध प्रदर्शन में परियोजना प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष कुतुब अहमद बरभुइया, फारूक अहमद बरभुइया, अनोरा बेगम लश्कर, आयशा बेगम बरभुइया और अनवरा बेगम लश्कर सहित अन्य प्रमुख लोग भी शामिल हुए। इन सभी ने समस्या की गंभीरता पर प्रकाश डालते हुए प्रशासन से शीघ्र कदम उठाने की अपील की।
आम जनता की परेशानी
झांझरबली और सोनाई के अन्य क्षेत्रों में जल संकट ने दैनिक जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। पीने के पानी के अलावा भोजन पकाने, सफाई और अन्य घरेलू कार्यों के लिए भी पानी उपलब्ध नहीं हो रहा। स्थानीय निवासियों ने कहा कि यदि हड़ताल जल्द खत्म नहीं हुई, तो स्थिति और अधिक बिगड़ सकती है।
सरकार की परीक्षा
जल संकट के इस गंभीर मुद्दे ने प्रशासन और सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि सरकार इस समस्या का समाधान कितनी तेजी से निकालती है।
निष्कर्ष
जल संकट की यह समस्या सिर्फ कछार या सोनाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जल प्रबंधन और अस्थायी कर्मचारियों की समस्याओं को उजागर करती है। यह जरूरी है कि प्रशासन और सरकार मिलकर इस संकट का स्थायी समाधान निकालें, ताकि भविष्य में ऐसी परिस्थितियों से बचा जा सके.