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सरकारी शिक्षकों की राजनीति में सक्रियता एक मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए एक बुरा संकेत है। राज्य में दूसरी बार सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के मौजूदा मुख्यमंत्री डॉ हिमंत विश्वशर्मा ने बदलाव का आह्वान किया है और एक पारदर्शी प्रशासनिक व्यवस्था का एलान किया है। राज्य में दलाल राज को रोकने के लिए एक के बाद एक सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने गर्व से घोषणा की कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में शून्य सहनशील है और हमेशा ही कहते हैं की उनके नेतृत्व वाली सरकार एक अलग सरकार है। उन्होंने हाल ही में नगांव का दौरे के दौरान लोगो के वाहनों रोके जाने पर सार्वजनिक रूप से जिला मजिस्ट्रेट को धमकाया भी। वहीं, करीमगंज जिले में सत्तारूढ़ दल भाजपा में सरकारी शिक्षकों और कर्मचारियों की घुसपैठ बढ़ती जा रही है। फलस्वरूप यह जानकारी सामने आई है कि करीमगंज जिले में सरकारी शिक्षक एवं कर्मचारी राजनीतिक सभाओं में भाग ले रहे हैं। जिसके चलते सत्तारूढ दल भाजपा को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। गत 11 जनवरी को करीमगंज के श्यामाप्रसाद भवन में हुई बीजेपी के ओबीसी मोर्चा की सभा के दौरान रामकृष्ण नगर शिक्षा खंड के बिहाइरडाला एम भी स्कूल के सहायक शिक्षक अंशुमान पाल को भाजपा के ओबीसी मोर्चा करीमगंज जिले का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया।
साथ ही शिक्षक अंशुमान पहले से ही पार्टी का मीडिया सलाहकार नियुक्त किया जा चुका है। उस दिन की राजनीतिक सभा में उस शिक्षक को दुपट्टे से स्वागत कर आदर्शवादी भाजपा दल क्या संदेश देना चाहती है? इस बात की जोरदार चर्चा शुरू हो गई है । लोगों का कहना है कि वह शिक्षक राजनीतिक वर्चस्व दिखाकर स्कूल मे गैरहाजिर रहते है। इस सन्दर्भ मेें कुछ दिन पहले विभिन्न संवाद माध्यमों में समाचार प्रकाशित हुआ था। शायद उसी के पुरस्कार स्वरूप उस शिक्षक को राजनीतिक मान्यता दी गई। कांग्रेस शासन के दौरान जिला कांग्रेस सचिव सहित विभिन्न पदों पर एक ही है।
गौरतलब है की कुछ वर्ष पहले कांग्रेस के जमाने मे उसी शिक्षक को करीमगंज जिला कांग्रेस का सचिव नियुक्त करने की खबर छपने पर उन्हे राजनीतिक पद से हटना पड़ा था। मौजूदा समय में क्या भाजपा उसी राह की राहगीर बनकर अनुकरण की राजनीति कर रही है ? इस बारे में पूछे जाने पर भाजपा के करीमगंज जिलाध्यक्ष सुब्रत भट्टाचार्य ने कहा कि उनकी राय के बिना ही उस शिक्षक को राजनीतिक पद पर नियुक्ति दी गई है। उन्हे इस बारे में जानकारी नहीं है। हालांकि उन्होंने कहा कि जांच के बाद जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी खैरुल इस्लाम हजारी ने कहा कि सक्रिय राजनीति में कोई भी शिक्षण कर्मचारी किसी भी दल के पद पर नहीं बैठ सकता है। अगर ऐसा हुआ है तो निश्चित तौर पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
भाजपा भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस वाली पार्टी है। उस पार्टी के मुख्यमंत्री का आईएएस रैंक के अफसर को सरेआम धमकाकर नीतिगत सबक देते हैं । दलाल राज खत्म करने के लिए एक के बाद एक कदम उठा रहे हैं। पर उसी आदर्शवादी मुख्यमंत्री की पार्टी ने सरकारी शिक्षक को पार्टी पद पर कैसे नियुक्त किया? इसको लेकर पूरे जिले में आलोचना का लहर बह रही है।
नतीजतन, सरकार के नीतिगथत दिशा-निर्देशों को पैरों तले रौंद कर शिक्षक अंशुमन पाल की राजनीतिक दलों में संलिप्तता का जांच करते हुए उन्हे शिक्षक पद से तत्काल बर्खास्त करने के लिए
करीमगंज जिलाधिकारी मृदुल यादव से
जागरूक लोगों ने मांग किया है। जिले के
बौद्धिक समुदाय ने भी यह विचार व्यक्त किया है कि अगर राजनीतिक संरक्षण के चलते उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, तो राज्य में भाजपा कि स्वच्छ छवि धूमिल हो सकती है।