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कार्यक्रम का संचालन महत्वपूर्ण दायित्व कठोरता के साथ विनम्रता आवश्यक

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नियमन कार्यक्रम निर्धारित समय में शुरू होता है तथा निश्चित अवधी में समापन करना होता है इसलिए कार्यक्रम का संचालन बहुत ही शालीनता किंतु कठोर होकर सूची के साथ शुरू करना चाहिए। कुछ पंक्तियों से कार्यक्रम शुरू करना चाहिए लेकिन शेरों शायरी हास परिहास उनका परिचय तब तक कर लेना चाहिए जब तक वो मंच पर पहुंचे। किसी भी कलाकार वक्ता एवं अतिथि को माइक से सामने इंतजार ना करना पङे। उन्हें पहले ही समय दे देना चाहिए यदि फिर भी मंच नहीं छोङे तो धन्यवाद अथवा कृपया लिखकर पकङा देना चाहिए ताकि वो भाषण खत्म कर सके।

   संचालन करते समय आयोजक अध्यक्ष सचिव एवं अन्य लोग फरमाइश लेकर आ सकते हैं तो उन्हें शामिल करना चाहते हैं तो करें अथवा जरूरत ना हो तो करें अनावश्यक हो तो टाल देवें।
   किसी के लिए प्रशंसा की जा सकती है लेकिन कसीदे कसना बिलकुल मना है। मंच पर संचालक को धैर्य से धारावाहिक रूप से काम करना चाहिए। मंच खाली नहीं होना चाहिए उन्हें पहले ही तैयार रहने को कहें।
   कुछ लोग विघ्न डालने दबाव बनाने के लिए मंच पर आ जाते हैं उन्हें कठोरता से उतरने के लिए विनम्र होकर समझाये।
   चलते कार्यक्रम में चाहे मंत्री विधायक सांसद कोई भी आये कोई स्वागत करने की आवश्यकता नहीं जब कार्यक्रम खत्म हो तभी बोलना चाहिए। मंच में ठहराव आना अथवा खालीपन यह संचालक की कमजोरी है। संचालन में विविधता होनी चाहिए जैसे कलाकार वक्ता विशेष लोग आयें उसी के अनुसार बोलना चाहिए।
   संचालक में छिछोरापन अनावश्यक किसी का गुणगान विषय से हटकर हास परिहास नहीं होना चाहिए।
   दर्शक दीर्घा एवं श्रोता शोर मचाने एवं घुमने इधर उधर खङे हो जाते हैं उन्हें पहले विनम्रता से लेकिन बाज ना आये तो कठोरता से निर्देश देकर बिठाए एवं शांत करवाये।
   मुझे सैंकड़ों कार्यक्रमों का संचालन करने का अवसर मिला तो लोग समझ गए इसलिए पास में आने से भी झिझकते थे। कुसंस्कारी इधर उधर घुमने बातचीत करने की कुचेष्टा करने वालों को ऐसी खुराक देता कि वो सटेच्यू बन जाता अथवा धीरे से चला जाता।
मदन सुमित्रा सिंघल
पत्रकार एवं साहित्यकार
शिलचर असम
मो 9435073653

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