अखिल भारतीय संत समिति ने मुस्लिम समाज से आग्रह किया है कि उनके पास हिंदुओं की जो भी संपत्ति है, उसे लौटाते हुए परस्पर अनुराग और भाईचारा की मिसाल पेश करें। समिति की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दूसरे दिन संतों ने कहा कि यदि अनुराग से बात नहीं बनी तो हमारे सामने अदालत और आंदोलन के भी विकल्प हैं।
दुर्गाकुंड स्थित हनुमानप्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय में संत समिति की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की चल रही बैठक में रविवार को समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने दो प्रस्ताव पेश किए। पहले प्रस्ताव में उत्तराखंड सरकार से मांग की गई है कि 2016 में नेशनल हाईवे के निर्माण के समय हटाई गई वीतरागी संत वामदेव की मूर्ति फिर से स्थापित की जाए। दूसरे प्रस्ताव में उत्तर प्रदेश के प्रमुख तीर्थों-मथुरा, वृंदावन, चित्रकूट, नैमिषारण्य, शुक्रताल, देवीपाटन आदि के सम्यक विकास के लिए उठाए गए कदमों के लिए योगी सरकार की सराहना की गई। साथ ही अयोध्या में श्रीराम मंदिर और विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की गई। हिंदू बहन-बेटियों को लव जेहाद से बचाने के लिए प्रदेश सरकार के धर्मांतरणरोधी अध्यादेश का भी समर्थन किया गया।
बाबा विश्वनाथ के दर्शन को पहुंचे संत
अखिल भारतीय संत समिति की बैठक में शामिल होने आए संतों ने रविवार सुबह सात बजे काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन किया। इसके बाद उन्होंने विश्वनाथ धाम की प्रगति का जायजा लिया। कॉरिडोर से निकलते वक्त मीडिया से बातचीत में अखिल भारतीय संत समिति के संरक्षक जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी राजेश्वरचार्य ने कहा कि यह कॉरिडोर विश्व में गंगा और विश्वनाथ के मिलन के महान प्रतीक रूप में दिखेगा। संत समाज इस पुनीत कार्य की प्रशंसा करता है और संपूर्ण विश्व में इसके प्रचार-प्रसार का दायित्व भी स्वविवेक से ग्रहण करता है।
इन्होंने किया दर्शन
विश्वनाथ मंदिर जाने वालों में स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती, संत समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविचल दास, महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानन्द गिरी, महंत फूलडोल बिहारीदास, स्वामी धर्मदेव, महंत कमलनयन दास, महामंडलेश्वर अनंतदेव गिरी, महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत, स्वामी देवेन्द्रानन्द गिरी, महामंडलेश्वर जनार्दन हरि, स्वामी हंसानन्द तीर्थ, महामंडलेश्वर स्वामी मनमोहनदास(राधे-राधे बाबा), ब्रह्मर्षि अंजनेशानन्द सरस्वती, स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती , महामंडलेश्वर ज्योतिर्मयानंद गिरी, महामंडलेश्वर ईश्वरदास, शक्ति शांतानंद महर्षि, महंत गौरीशंकर दास, महंत ईश्वर दास, महंत बालकदास प्रमुख थे।