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काशी हिंदू विश्वविद्यालय बनाने में अहीरों का अहम योगदान

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बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक मदन मोहन मालवीय और शेर-ऐ-बनारस पहलवान वीर अहीर #ग्वालवंशी बचाऊ सिंह यादव की अमर गाथा
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से जुड़ी रोचक घटना जब शेरे-ऐ-बनारस पहलवान बचाऊ सिंह यादव मदन मोहन मालवीय जी को बचा खुद शहीद हो गए थे।
पवित्र बनारस भोलेनाथ भगवान शंकर की नगरी है तथा यहीं स्थित है विश्व का सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय, “बनारस हिंदू विश्वविद्यालय”। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना, दिनांक  4 फरवरी 1916 को पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने किया था।
जिस जगह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय बना है, वहाँ की ज़मीन के विवाद को लेकर बनारस के कुछ दबंग सर्वण महामना (पंडित मदन मोहन मालवीय) जी को परेशान किया करते थे तथा उन्हें मारने की भी कई बार कोशिश की गई थी।
महामना जी उच्च विचारधारा के एक अच्छे और नेक इंसान थे लेकिन वहाँ के दबंग नहीं चाहते थे कि “बनारस हिंदू विश्वविद्यालय” की स्थापना हो।
उस समय बनारस में पहलवान सरदार वीर सिंह यादव (बचाऊ ) काफ़ी प्रसिद्ध थे, अपनी दिलेरी और बहादुरी के लिए। महामना जी भी पहलवान बचाऊ वीर अर्थात यादवजी से भलीभाँति परिचित थे तथा दोनों में घनिष्ठ मित्रता भी थी।
बनारस में यादवों की जनसंख्या 70,000 है तथा यहाँ यादवों को उनके क्षत्रिय गुण, दिलेरी और बहादुरी के कारण सरदार कहकर पुकारा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि सरदार बचाऊ यादव से बड़ा पहलवान तथा उन्हें दंगल में हराने वाला कोई पैदा नहीं हुआ था उस वक्त। बचाऊ यादव को उनके शानदार व्यक्तित्व के लिए भी जाना जाता था।
6.5 फीट ऊंचा कद, गोरा रंग, सर पर सफ़ेद साफ़ा, लंबी रौबदार मूँछें और बुलंद आवाज़ के बचाऊ यादव से बड़े बड़े दबंग भी खौफ़ खाते थे। अब महामना कहीं भी जाते बचाऊ यादव उनकी रक्षा के लिए साथ खड़े रहते थे।
जिस दिन विश्वविद्यालय की स्थापना होनी थी, उसी दिन महामना जी पर रास्ते में घात लगाकर लगभग 25 सवर्ण दबंगों ने हमला किया तभी पहलवान बचाऊ यादव गुप्त सूचना अनुसार पहुँचकर उन्होंने दिलेरी और अपना निष्ठावान पराक्रम दिखा, मदन मोहन जी को वहाँ से सुरक्षित बचाकर निकाल दिया तथा अपना  धर्म निभा अपनी लठ्ठ के दम पर अकेले उन 25 दबंगों से भिड़ गए।
बचऊ यादव अकेले उन 25 सर्वण दबंगों से काफ़ी देर तक भिड़ते रहे फिर आखिरकार लड़ते लड़ते बहादुर बचाऊ यादव धर्म की स्थापना के लिए शहीद हो गए।
महामना जी को सरदार बचाऊ यादव की मृत्यु से बहुत अघात पहुंचा और वे भावुक हो रोने लगे।
पंडित महामना जी ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के पास में ही बचाऊ यादव की याद में “सरदार बचाऊ यादव मंदिर” की स्थापना कराई और उनकी बहादुरी को सलाम करते हुए लिखवाया ” वीरों में वीर बचाऊ वीर”। ये मंदिर आज भी यहाँ स्थित है।
 बचाऊ यादव का जन्म BHU के समीप स्थित सिरगोवर्धन गाँव में हुआ था। बचाऊ यादव को शेर-ऐ-बनारस भी कहा जाता है। पहलवान बचाऊ के इस दमखम,दिलेरी तथा साहस के लिए उन्हें सरकार ने “शेर-ऐ-बनारस” की उपाधि से नवाज़ा। शत शत नमन🙏🌹🌹
संकलन पृथ्वीराज ग्वाला
हिंदी अनुवादक,  असम विश्वविद्यालय शिलचर

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