दस सालों में मुस्लिम आबादी 34.7 करोड़ बढी/दो खरब मुस्लिम आबादी हुई/ यूरोप, अमेरिका, भारत आबादी जिहाद के आसान शिकार हैं।
आचार्य श्रीहरि
मुस्लिम आबादी का जनसंख्या विस्फोट कितना डरावना है, कितना हिंेसक है, कितना आतंकी है, कितना घृणित है, कितना अभिशाप है, कितनी समस्या खडी करने वाला है? सभ्यताओं के संघर्ष के सिद्धांत की बातें कितनी सच होने वाली है? दुनिया के अन्य मजहबी और धामिक आबादी को कितना डरना चाहिए? दुनिया के अन्य मजहबी और धार्मिक आबादी के सीमित होने के खतरे क्या-क्या हैं? क्या मुस्लिम आबादी के विस्फोट से दुनिया की शांति, सदभाव और मानवाधिकार के सामने खतरनाक और रक्तरंजित चुनौतियां खडी होने वाली हैं? क्या दुनिया में इस्लामिक तानाशाही पसरने वाली है, दुनिया से लोकतंत्र का नामोनिशान मिटने वाला है? दुनिया के विकास का ग्रहण लगने वाला है क्या? दुनिया की लोकतांत्रक संस्थाओं पर ताला लटकने की आशंका है क्या? दुनिया में मनोरंजन के जितने साधन है उन पर चाबूक चलने वाला है क्या? ईरान और अफगानिस्तान की कसौटी पर जब मुस्लिम आबादी की जनसंख्या विस्फोट का विश्लेषण करने पर बहुत ही नकरात्मक और हिंसक ही नहीं बल्कि आतंकी राज व्यवस्था कायम होने के खतरे सामने आते हैं। दुनिया इस विषय पर कब तक अपनी चुप्पी साध कर रखेगी? आज न कल तो इस विषय पर दुनिया को विचार करने की जरूरत होगी, अगर दुनिया इस विषय पर बात करने के लिए तैयार नहीं होगी तो फिर दुनिया को ही उसके बूरे नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहना होगा। दुनिया को इस कसौटी पर विश्लेषण करना होगा कि मुस्लिम आबादी की जनसंख्या विस्फोट कितना स्वाभाविक है और कितना अस्भाविक है, कितना लक्ष्यभेदी है और कितना साजिशशील है। अगर मुस्लिम आबादी की जनसंख्या विस्फोट हिंसक और आतंकी लक्ष्य रखें हुए है तो फिर उस पर रोक लगाने के लिए कोई न कोई कदम उठाना ही पडेगा। मुस्लिम देश में आबादी विस्फोट पर रोक लगाना मुश्किल है पर गैर मुस्लिम देश में ऐसा करना संभव हो सकता है। चीन का मुस्लिम आबादी जनसंख्या नियंत्रण कानून दुनिया के लिए आईना बन सकता है।
मुस्लिम आबादी का जनस्ख्या विस्फोट कितना भयानक है, कितना त्रीव है? यह भी देख लीजिये। अभी-अभी एक सर्वे आया है। यह सर्वे दुनिया की बढती आबादी को रेखांकित करता है। मजहबी और धार्मिक आधार पर बढने वाली आबादी का खासतौर पर सर्वे किया गया है। सर्वे करने वाली कंपनी का नाम प्यू रिशर्च सेंटर है जो दुनिया का नामी रिशर्च और विश्वसनीय सर्वे संस्थान हें। 2010 से लेकर 2020 के बीच में मुस्लिम आबादी की वैश्विक हिस्सेदारी में बेतहाशा वृद्धि हुई है और इनकी वैश्विक हिस्सेदारी बढकर 25.6 प्रतिशत हुई है। मुस्लिम आबादी मंें 34. 7 करोड की वृद्धि हुई है। फिलहाल दुनिया में मुस्लिम आबादी की संख्या दो खरब है। मुस्लिम आबादी की अपेक्षा हिन्दू आबादी में कोई वृद्धि नहीं दर्ज हुई है, हिन्दू आबादी की वैश्विक हिस्सेदारी 15 प्रतिशत पर स्थिर हैं। ईसाई आबादी की वैश्विक हिस्सेदारी बढने की जगह घटी है, इनकी वैश्विक हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से घट कर 28 प्रतिशत हो गयी है। ईसाई समुदाय अभी भी दुनिया की सबसे बडी जनसंख्या वाला मजहबी समूह जरूर है पर उसकी वैश्विक हिस्सेदारी घटी है। हिन्दू, मुस्लिम और ईसाई के अलावा भी अन्य धर्मो पर भी प्यू रीसर्च सेंटर ने सर्वे किया है। प्यू रीसर्च सेंटर की रिपोर्ट में बौद्ध धर्म की जनसंख्या में आयी गिरावट चैकाने वाली है। बौद्ध धर्म की जनसंख्या लगातार घट रही है। बौद्ध धर्म की जनसंख्या 32 करोड पर सीमित हो गयी है और इनकी वैश्विक हिस्सेदारी पांच प्रतिशत से घटकर चार प्रतिशत रह गयी है। वैश्विक आबादी में यहूदियों की हिस्सेदारी भी धट रही है। यहूदियों की वैश्विक हिस्सेदारी महज 0.2 प्रतिशत है।
मात्र दस सालों में मुस्लिम आबादी की जनसंख्या में 34. 7 करोड की वृद्धि होना और मुस्लिम जनसंख्या दो खरब का हो जाना कोई मामूली बात नहीं है, यह कोई उपेक्षित करने वाली बात भी नहीं है? फिर कौन सी चिंता की बात है? यह भयंकर चिंता की बात है। क्योंकि यह वृद्धि कोई सामान्य वृद्धि नहीं है। यह कोई स्वाभाविक वृद्धि भी नहीं है। यह तो अस्वाभाविक वृद्धि है और साजिशपूर्ण वृद्धि है। एक शब्द है जिहाद, यानी की जिहाद का ही यह एक अंश है। अभी-अभी आबादी जिहाद की चर्चा भारत में खूब रही है। यह बढोतरी सिर्फ और सिर्फ आबादी जिहाद का ही दुष्परिणाम ही है। इस्लाम का विस्तार भी आबादी जिहाद का एक हिस्सा है। तलवार के बल पर पूरी दुनिया में इस्लाम का प्रत्यारोपन का जिहाद भी जारी है। इस्लाम की स्थापना और विस्तार तलवार के बल पर ही हुआ है। तलवार का अर्थ शक्ति से होता है। दुनिया भर के मुस्लिम आतंकवादी संगठनों का विचार भी इस कसौटी पर उल्लेखनीय है। मुस्लिम आतंकवादी संगठन कहते हैं कि हमारा आतंकवाद इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए है, हम आतंकवाद के बल पर पूरी दुनिया को इस्लाम के नीचे खडा कर ही दम लेंगे। मुस्लिम आतंकवादी संगठन यह भी कहते हैं कि मुस्लिम अधिक बच्चे पैदा कर गैर मुस्लिम देशों पर कब्जा करें और लोकतंत्र को समाप्त करें। लोकतंत्र सिर्फ और सिर्फ जनसंख्या पर आधारित शासन व्यवस्था है। जिसकी संख्या ज्यादा होगी उसकी सत्ता होगी। अगर दुनिया में मुस्लिम आबादी की जनसंख्या अधिक होगी तो फिर सत्ता पर उनका ही अधिकार होगा। इस्लाम लोकतंत्र को नहीं मानता है। इस्लाम में लोकतंत्र को स्वीकार नहीं किया जाता है। इस्लाम सिर्फ और सिर्फ कुरान की बात करता है, कुरान के तत्वों पर आधारित शासन व्यवस्था की मांग करता है। इस्लामिक मजहबी व्यवस्थाओं में गैर मुस्लिम आबादी के लिए कुछ भी नहीं रहता है, गैर मुस्लिम आबादी के मानवाधिकार को पैरों से कुचला जाता है और उनकी स्थिति एक गुलाम की तरह होती है, दोयम नागरिक की तरह होती है। इस कसौटी पर हम अफगानिस्तान की शासन व्यवस्था को देख सकते हैं, जहां पर गैर मुस्लिम आबादी को दफन कर दिया गया। लेबनान, ईरान और पाकिस्तान को भी देख सकते हैं जहां पर गैर मुस्लिम आबादी गुलाम की तरह रहने के लिए विवश हैं और उनकी आबादी इस्लामिक कट्टरपंथ के हाथें कुचली जाती है।
आबादी जिहाद चुपचाप जारी है। अधिक बच्चे पैदा करो और इस्लाम को सर्वश्रेष्ठ बनाओं की मुस्लिम नीति बहुत ही संयमित और व्यवस्थित ढग से जारी है। एक-एक मुस्लिम लोग कई-कई बच्चे पैदा कर रहे हैं। एक मुस्लिम के कितने बच्चे? औसत निकला जाये तो फिर पांच या छह का औसत आयेगा। इनकी शादियां भी अनेक होती है। इस्लाम में चार शादियां तो मान्य है। पर चार शादियों तक ही सीमित नहीं होते हैं। बल्कि चैथी बीबी को तलाक देकर पाचवी और अन्य कई वीवीओं से शादी कर सकता है। भारत में तीन तलाक की रोक के बावजूद भी अनेक शादियों पर रोक नहीं लग सकी है। क्योंकि तीन तलाक को लागू ठीक ढंग से नहीं किये जा रहे हैं। अभी तक कुत्ते-बिल्ली की तरह बच्चे पैदा करने की मानसिकता पर रोक लगाने के लिए अमेरिका और यूरोप आगे नहीं आये हैं और मुस्लिम आबादी की आबादी जिहाद को पहचाना तक नहीं है। पर चीन ने इसको बहुत पहले ही पहचान लिया था। चीन का प्रदेश है झिनचिंयांग जहां पर मुस्लिम आबादी का वर्चस्व है। मुस्लिम आबादी चीन में भी एक अलग देश की मांग के लिए हिंसा और आतंकवाद पर सवार थे। चीन ने झिनझियांग की मुस्लिम आबादी को चीन के कानूनों का पाठ पढाया, मस्जिदों को टायलेट मे बदल डाला और मदरसों पर बुलडोजर चला दिया। इस्लाम की बात करने वालों को वीमार मानसिकता का रोगी घोषित कर दिया और उनकी जगह जेल घोषित कर दिया। एक से अधिक बच्चे पैदा करने वालों को सीधे जेल में डाल दिया जाने लगा, एक से अधिक बच्चे पैदा करने पर उतारू मुस्लिम समुदाय के लोगों के प्रजनन हथियार नष्ट कर दिया गया। फिर झिनजिंयांग में भी चीन का जनसंख्या कानून लागू हो गया। दुनिया चीन के जनसंख्या का कानून को आईना बना सकती है।
मुस्लिम जनसंख्या बढोतरी का दुष्परिणाम का आसान शिकार भारत है। कश्मीर से हिन्दू भगा दिये गये। पश्चिम बंगाल से हिन्दुओं को हिंसा और आतंक के बल पर भगाया जा रहा है। केरल का मुस्लिमकरण जारी है। भारत से बाहर दुनिया में कई ऐसे देश हैं जो अपनी संस्कृति नष्ट होते देख रहे हैं। ब्रिटेन आज मुस्लिम देश में तब्दील होने के कगार पर खडा है। यूरोप में मुस्लिम आबादी अपने जिहाद और आतंक से ईसाई आबादी का दमन कर रही है। बौद्ध धर्म वाले श्रीलंका और धर्मविहीन देश नेपाल में भी मुस्लिम आबादी अपने जिहाद से कब्जा करने की स्थिति हासिल कर ली है। दुनिया को आतंक, हिंसा और विनाश से बचाना है तो कुत्ते-बिल्ली की तरह बच्चे पैदा करने और इस्लाम के विस्तार करने के लिए आबादी जिहाद का खेल खेलने वालों की प्रजनन शक्ति पर प्रहार करना ही होगा।
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