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प्रख्यात विद्वान तुलसीराम उपाध्याय ने श्रीमद्भागवत के आलोक में भक्ति की महत्ता पर किया विस्तृत विवेचन
नलबाड़ी, 30 मई। कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत एवं प्राचीन अध्ययन विश्वविद्यालय के संस्कृत पुराण-इतिहास विभाग के तत्वावधान में दिनांक 28 मई 2025 को सायं 7:30 बजे एक विशेष ऑनलाइन व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस व्याख्यान का विषय था “श्रीमद्भागवत में भक्तितत्त्व”, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में राकाचन्द्र संस्कृत विद्यालय के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य एवं प्रख्यात विद्वान आचार्य तुलसीराम उपाध्याय आमंत्रित थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ विभाग के कार्यकारी विभागाध्यक्ष श्री विवेक आचार्य द्वारा स्वागत भाषण एवं संक्षिप्त भूमिका प्रस्तुत करने से हुआ। तत्पश्चात श्री लिराज काफ्ले ने मुख्य वक्ता का परिचय देते हुए उनके शैक्षिक योगदान, दीर्घकालीन शिक्षण अनुभव और शास्त्रीय विद्वत्ता का भावपूर्ण उल्लेख किया। मुख्य व्याख्यान में आचार्य तुलसीराम उपाध्याय ने श्रीमद्भागवत महापुराण के आलोक में भक्ति के तात्त्विक स्वरूप, उसके आध्यात्मिक आयाम तथा दैनिक जीवन में उसकी प्रासंगिकता पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने प्रह्लाद, अम्बरीष, गजेन्द्र एवं गोपियों के चरित्रों के माध्यम से भक्ति की विविध भावनात्मक अभिव्यक्तियों का विश्लेषण किया। उपाध्याय जी ने कहा, “भक्ति केवल भावना नहीं, आत्मा की परम गति का साधन है, जो जीव को परमात्मा से जोड़ती है।” उनका वक्तव्य न केवल विद्वत्तापूर्ण था, बल्कि श्रोताओं के हृदय को स्पर्श करने वाला भी रहा। श्रोताओं ने व्याख्यान को अत्यंत ज्ञानवर्धक, भावप्रवण और प्रेरक बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक, दर्शन संकाय के अध्यक्ष एवं सर्वदर्शन विभागाध्यक्ष डॉ. रंजीत कुमार तिवारी ने वक्ता की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के व्याख्यान विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए न केवल बौद्धिक पोषण का साधन हैं, बल्कि वे जीवनमूल्यों की स्थापना में भी सहायक होते हैं।
इस व्याख्यान में संस्कृत साहित्य विभागाध्यक्ष डॉ. निवेदिता गोस्वामी, व्याकरण विभागाध्यक्ष डॉ. सुधाकर मिश्रा, ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. गणेश प्रसाद मिश्रा, मीमांसा विभागाध्यक्ष डॉ. चम्पक गोस्वामी सहित विश्वविद्यालय के अनेक विभागों के प्राध्यापकगण, शोधार्थी एवं विद्यार्थीगण ऑनलाइन माध्यम से उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन अत्यंत कुशलता एवं गरिमापूर्ण ढंग से श्री विवेक आचार्य द्वारा किया गया, जिन्होंने वक्ता एवं श्रोताओं के बीच सजीव संवाद का माध्यम निर्मित किया। यह व्याख्यान गूगल मीट प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से आयोजित किया गया, जिसमें विश्वविद्यालय समुदाय की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखने को मिली। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। यह आयोजन संस्कृत पुराण-साहित्य पर आधारित शास्त्र परंपरा का एक प्रभावी उदाहरण बनकर उभरा, जो लंबे समय तक श्रोताओं के मन में अपनी छाप छोड़ता रहेगा।





















