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नलबाड़ी (असम), 23 जून 2025 — कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत एवं पुरातन अध्ययन विश्वविद्यालय में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के सहयोग से “पाण्डुलिपिविज्ञानं प्रतिलेखनञ्च” विषयक इक्कीस दिवसीय कार्यशाला का विधिवत् उद्घाटन अत्यन्त भव्य एवं गरिमामय वातावरण में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं लिरा काफ्ले के मंगलाचरण से हुआ। मंच का संचालन संस्कृत साहित्य विभाग के सहायक आचार्य डॉ. छबिलाल उपाध्याय ने कुशलतापूर्वक किया।
कार्यशाला की भूमिका एवं उद्देश्यों का संक्षिप्त परिचय विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक एवं सर्वदर्शन विभागाध्यक्ष डॉ. रणजीत कुमार तिवारी ने प्रस्तुत किया। आगंतुक अतिथियों का हार्दिक स्वागत कुलसचिव डॉ. विकास भार्गव शर्मा ने किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. प्रह्लाद रा. जोशी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कार्यशाला के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह कार्यशाला केवल पाण्डुलिपियों के ज्ञान के लिए नहीं, बल्कि उनके संरक्षण, संपादन और पुनर्पाठ के लिए भी अत्यन्त उपयोगी है।
मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन के निदेशक डॉ. अनिर्बान दास ने भारतीय पाण्डुलिपि परंपरा, आधुनिक तकनीकों के प्रयोग तथा प्रतिलेखन की वैज्ञानिक प्रक्रिया पर गहन प्रकाश डाला।
शैक्षणिक कुलसचिव प्रो. ज्योतिराज पाठक ने अपने उद्बोधन में कहा — “पाण्डुलिपि केवल एक विषय नहीं, यह एक विज्ञान है।” तत्पश्चात् केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के डॉ. दयानाथ डी. ने पाण्डुलिपिविज्ञान पर महत्वपूर्ण भाषण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में व्याकरण विभागाध्यक्ष डॉ. सुधाकर मिश्रा ने सभी आमंत्रित अतिथियों, वक्ताओं एवं प्रतिभागियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
प्रथम दिन के सत्रों का संक्षिप्त विवरण —
उद्घाटन सत्र के उपरांत तीन अकादमिक सत्र सम्पन्न हुए।
प्रथम सत्र में नलबाड़ी महाविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. बसन्त कुमार देवगोस्वामी ने “पाण्डुलिपिविज्ञानम् – प्राच्य अनुशासन का एक परिचय” विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।
द्वितीय सत्र में सभी प्रतिभागियों ने अपना परिचय प्रस्तुत किया।
तृतीय सत्र में पुनः डॉ. बसन्त देवगोस्वामी ने विभिन्न प्राचीन पाण्डुलिपियों का सजीव दर्शन कराया, जिससे प्रतिभागियों में विशेष उत्साह एवं जिज्ञासा उत्पन्न हुई।
कार्यक्रम की समन्वयक के रूप में विश्वविद्यालय की धर्मशास्त्र विभागाध्यक्षा डॉ. मैत्रेयी गोस्वामी ने विशेष भूमिका निभाई।
इस प्रकार पाण्डुलिपिविज्ञान को समर्पित यह कार्यशाला ज्ञान एवं परम्परा के संरक्षण की दिशा में एक प्रभावशाली पहल सिद्ध हो रही है। प्रथम दिवस के समस्त कार्यक्रम अत्यन्त सफल एवं प्रेरणादायी रहे।





















