कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत एवं पुरातन अध्ययन विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय कार्यशाला के चौथे दिन मातृकाद्वय का अनुलेखन एवं कुलपति को भव्य समर्पण –
कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत एवं पुरातन अध्ययन विश्वविद्यालय में आज दिनांक 26/06/2025 को ‘पाण्डुलिपिविज्ञान और प्रतिलेखन’ विषय पर आयोजित एकविंशतिदिनीय राष्ट्रीय कार्यशाला का चौथा दिवस अत्यंत सफलता के साथ संपन्न हुआ।
आज के दिन कुल चार सत्र आयोजित हुए। तीन सत्रों में सुप्रसिद्ध पाण्डुलिपिशास्त्र विशेषज्ञ श्री भवनाथ झा जी ने शिक्षण कार्य किया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से प्राचीन पाण्डुलिपियों के प्रतिलेखन का सूक्ष्म अभ्यास करवाया। विशेष रूप से ‘मेरुतंत्र’ नामक पाण्डुलिपि का प्रतिलेखन अभ्यास मुख्य रूप से सम्पन्न हुआ। इसके अतिरिक्त ‘अक्षरचूडामणि’ तथा ‘शब्दाभिधानम्’ नामक मातृकाओं का भी अनुलेखन कार्य व्यवस्थित रूप से किया गया।
यह अनुलेखन कार्य पूर्ण रूप से सुगठित एवं समर्पणीय रूप में संपन्न हुआ। यह कार्य विश्वविद्यालय के कुलपति आदरणीय प्रो. प्रह्लाद आर. जोशी को समर्पित किया गया, जो कार्यशाला का एक विशेष आकर्षण बन गया।
अंतिम सत्र में पुनः पं. भवनाथ झा जी ने पावरपॉइंट प्रस्तुति के माध्यम से अत्यंत सारगर्भित मार्गदर्शन प्रदान किया। उन्होंने यह बताया कि पाण्डुलिपियाँ कैसे पढ़ी जाती हैं, त्रुटियों का निराकरण कैसे किया जाए, कौन-कौन से चिन्ह प्रयुक्त होते हैं, पुष्पिका कैसी होती है, काल निर्धारण कैसे किया जाता है, तथा लिपिकार के क्या-क्या गुण होते हैं—इन सभी विषयों पर उन्होंने विशद प्रकाश डाला।
आज का यह दिन कार्यशाला के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय बन गया। प्रतिभागी अत्यंत उत्साहित थे कि उन्हें पाण्डुलिपिविज्ञान का प्रयोगात्मक प्रशिक्षण प्राप्त हुआ।





















