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गत 9 फरवरी 2024 को नलबाड़ी स्थित कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत एवं पुरातन अध्ययन विश्वविद्यालय में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अधीनस्थ भारतीय भाषा समिति, संस्कृत भारती, उत्तर पूर्वांचल न्यास एवं कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में उक्त कार्यशाला को आयोजित किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति, आचार्य प्रहलाद रा. जोशी के द्वारा किया गया। उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में कहा की संस्कृत को लोकप्रिय एवं जन भाषा बनाने के लिए आज आवश्यकता है की संस्कृत भाषा एवं साहित्य का अध्ययन-अध्यापन, सरल मानक संस्कृत के माध्यम से ही किया जाए। इसके लिए सरल संस्कृत संभाषण एवं लेखन कला का विकास, अध्यापकों एवं छात्रों में होना आवश्यक है।
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि, गुवाहाटी विश्वविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्षा, प्रो. सुदेष्णा भट्टाचार्या ने संस्कृत भाषा में निहित ज्ञान-विज्ञान को जानने के लिए सरल संस्कृत में अध्ययन-अध्यापन करने का आह्वान किया। कार्यशाला में मुख्य रूप से संसाधक के रूप में चर्चा प्रो. सुदेष्णा भट्टाचार्या, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय एकलव्य परिसर अगरतला के शिक्षा शास्त्र विभाग के अध्यापक डॉ. पी.वी.लक्ष्मी नारायण, संस्कृत भारती, उत्तर असम प्रान्त के प्रांत-संगठनमंत्री, श्री भवेन शईकिया, कार्यशाला के स्थानीय संयोजक एवं कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत विश्वविद्यालय के सर्वदर्शन विभाग के अध्यक्ष डॉ. रणजीत कुमार तिवारी एवं शंकरदेव विद्या निकेतन के अध्यापक श्री कृष्णा राजवंशी ने विभिन्न सत्रों को संचालित किया।
कार्यशाला में नलबाड़ी, बजाली, बरपेटा, कमरूप एवं कामरुप मेट्रो जिला में स्थित कुमार भास्कर संस्कृत विद्यालय, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक, महाविद्यालय के संस्कृत शिक्षक तथा कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत एवं पुरातन अध्ययन विश्वविद्यालय के संस्कृत अध्यापक एवं शोध छात्रों ने अंशग्रहण किया। प्रतिभागियों की कुल संख्या165 थी। प्रतिभागियों ने अत्यंत उत्साह से सभी सत्रों में भाग्य ग्रहण किया।
कार्यशाला का शुभारंभ, दीपप्रज्ज्वलन, मंगलाचरण से प्रारम्भ हुआ। अतिथियों का स्वागत उद्येश्य व्याख्या, कार्यशाला के संयोजक, डॉ. रणजीत कुमार तिवारी, सभा का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर छबिलाल उपाध्याय ने किया।