एनईआईएएफएमआर को लोक-चिकित्सा के ‘नेशनल हब’ के रूप में विकसित किया जाएगा: सर्वानंद सोनोवाल
अरुणाचल प्रदेश में सोवा-रिगपा चिकित्सा पद्धति का एक नया केंद्र खोला जाएगा: सर्वानंद सोनोवाल
पूर्वोत्तर के लोक-चिकित्सा कौशल का सदुपयोग एनईआईएएफएमआर द्वारा निरंतर प्रयास के साथ किया जाएगाः पेमा खांडू
आयुर्वेद और लोक-चिकित्सा अनुसंधान की क्षमता विकास हेतु एनईआईएएफएमआर में 53 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश किया जाएगा।
पासीघाट (अरुणाचल प्रदेश), 26 दिसंबर :केंद्रीय जहाजरानी, पोत और जलमार्ग और आयुष मंत्री, सर्वानंद सोनोवाल और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री, पेमा खांडू ने आज पूवोर्त्तर आयुर्वेद और लोक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (एनईआईएएफएमआर) की क्षमता विस्तार के लिए योजनाओं की आधारशिला रखी। एनईआईएएफएमआर में कुल 53 करोड़ रुपये के निवेश से अतिरिक्त बुनियादी ढांचा विकसित किया जाएगा।
इस अवसर पर केंद्रीय जहाजरानी, पोत और जलमार्ग और आयुष मंत्री, सर्वानंद सोनोवाल
ने कहा कि लोक चिकित्सा में मानव समाज को स्वस्थ रखने की समृद्ध विरासत हजारों वर्षों से समाई हुई है। हमारे समाज के बीच बसी हुई यह धरोहर पीड़ियों से मानव जीवन को समृद्ध करने में हमारी मदद करती आ रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने और लोगों को समृद्ध जीवन का अनुभव प्रदान करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। इस प्रयास के तहत लोक-चिकित्सा सहित पारंपरिक चिकित्सा को फिर से नया जीवन देने का एक ईमानदार प्रयास किया गया है। मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर आयुर्वेद और लोक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (एनईआईएएफएमआर) में अतिरिक्त बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है। यह निवेश आयुर्वेद और लोक चिकित्सा के क्षेत्र में अपने अनुसंधान और विकास को मजबूत कर अपनी नई क्षमता का निर्माण करेगा। केन्द्रीय मंत्री ने अरुणाचल प्रदेश में सोवा-रिगपा चिकित्सा पद्धित का एक नया केंद्र खोले जाने की घोषणा भी की।
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि, हमें बहुत खुशी है कि अरुणाचल प्रदेश का एक संस्थान- पूर्वोत्तर आयुर्वेद और लोक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (एनईआईएएफएमआर), पूर्वोत्तर राज्यों की लोक चिकित्सा की समृद्ध विरासत का सदुपयोग करने की दिशा में प्रयास कर रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रेरणादाई नेतृत्व में संस्थान की क्षमता का विस्तार किया जा रहा है जो न केवल क्षेत्र से पारंपिरक चिकित्सा की मदद करेगा बल्कि अपनी पारंपिरक भौगौलिक पहुँच से अलग हमारी वर्षों पुरानी धरोहर को भविष्य के दस्तावेज के रूप में सुरक्षित रखने का काम करेगा। मोदी जी ने हमेशा भारत की पारंपरिक चिकित्सा के कायाकल्प पर जोर दिया है क्योंकि पारंपरिक चिकित्सा से विभिन्न बीमारियों के इलाज और एक बेहतर जीवन अनुभव को सक्षम करने में अपनी प्रभावशीलता साबित की है।
एनईआईएएफएमआर की भूमिका के के बारे में विस्तार से बताते हुए, केंद्रीय आयुष मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में सरकार आयुवेर्द जैसी पारंपिरक दवाइयों के कायाकल्प की दिशा में काम कर रही है जैसे योग, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी, सोवा रिगपा और प्राकृतिक चिकित्सा। देश आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है और आयुष मंत्रालय साक्ष्य आधारित वैज्ञानिक पारंपरिक औषधीय प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में निरंतर काम कर रहा है। इससे न केवल हमारे पारंपरिक उपचारक समुदाय को लाभ होने वाला है, बल्कि लोक चिकित्सा का दायरा भी बढ़ रहा है।
इस कायर्क्रम में अरुणाचल प्रदेश विधानसभा के स्पीकर श्री पासंग दोरजी भी शामिल हुए। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, महिला एवं बाल विकास तथा जनजातीय कार्य, अरुणाचल प्रदेश सरकार, आलो लिबांग; अरुणाचल-पूर्व के सांसद (लोकसभा), तापीर गाओ; 38 पासीघाट पूर्व के विधायक, कलिंग मोयोंग; पासीघाट पश्चिम के विधायक, निनोग एरिंग; अरुणाचल प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त, गुमझम हैदर; अरुणाचल प्रदेश राज्य विश्वविध्यालय के कुलपति, प्रो. टोमो रिबा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति कायर्क्रम में उपिस्थत रहे।
इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स (इंडिया) लिमिटेड (भारत सरकार का उद्यम) एनईआईएएफएमआर, पासीघाट के अतिरिक्त बुनियादी ढांचे के लिए कार्यकारी एजेंसी है। कार्यक्रम में इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स (इंडिया) लिमिटेड (भारत सरकार का उद्यम) के किशोर कलिता (उप महाप्रबंधक), त्रिभुबन यादव (वरिष्ठ प्रबन्धक) एवं राजीब बरुआ (वरिष्ठ प्रबन्धक) उपस्थित रहे।
एनईआईएएफएमआर, पूर्वोत्तर राज्यों की लोक चिकित्सा को मान्यता देने के साथ-साथ वैज्ञानिक रूप से दस्तावेज तैयार करने, रिकॉर्ड करने, शोध करने की दिशा में भी काम कर रहा है। संस्थान की क्षमता विस्तार में एक शैक्षिणक भवन, छात्र और छात्राओं के लिए छात्रावास, स्टाफ क्वाटर्र के साथ- साथ, निदेशक का बंगला भी शामिल है। निर्मित छात्रावासों में संस्थान के 70 छात्र और 70 छात्राएं रह सकेंगे। यह निवेश आयुर्वेद में गुणवत्तापूर्ण स्नातक पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए आयुर्वेद कॉलेज खोलने के लिए अतिरिक्त बुनियादी ढांचे के विकास के उद्देश्य को पूरा करेगा।
पूर्वोत्तर आयुर्वेद और लोक चिकित्सा संस्थान (एनईआईएएफएमआर), पासीघाट की स्थापना पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल को मजबूत करने और विकसित करने के लिए की गई थी, जिसमे पूवोर्त्तर पर विशेष ध्यान दिया गया था। यह स्थानीय स्वास्थ्य परंपराओं (LHTs) और एथनो औषधीय प्रथाओं (EMPs) के सभी पहलुओं के लिए शीर्ष अनुसंधान केंद्र के रूप में कार्य कर रहा है। सरकार का लक्ष्य एनईआईएएफएमआर को और मजबूत करना है, जिसमे क्षेत्रीय रॉ ड्रग रिपौजिटरी (आरआरडीआर) और संग्रहालय जैसे बुनियादी ढांचे शामिल हैं, परिष्कृत विश्लेषणात्मक उपकरण सुविधा (एसएआईएफ), कला पंचकर्म उपचार और अनुसंधान केंद्र, पैरामेडिकल टीचिंग सेंटर, आदि एनईएआईएफएमआर, पासीघाट में, निकट भविष्य में शामिल होंगे। इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स (इंडिया) लिमिटेड (भारत सरकार का उद्यम) एनईआईएएफएमआर, पासीघाट के अतिरिक्त बुनियादी ढांचे के लिए कार्यकारी एजेंसी है। कार्यक्रम में इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स (इंडिया) लिमिटेड (भारत सरकार का उद्यम) के किशोर कलिता (उप महाप्रबंधक), त्रिभुबन यादव (वरिष्ठ प्रबन्धक) एवं राजीब बरुआ (वरिष्ठ प्रबन्धक) उपस्थित रहे।