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(आईएएनएस की स्वतंत्र रिपोर्ट “डिकोडिंग दिल्ली वाटर वोज़” के आधार पर)
नई दिल्ली, १ फरवरी: दिल्ली में जल संकट विकराल रूप ले चुका है, और इसके लिए सीधे तौर पर केजरीवाल सरकार जिम्मेदार है। लाखों लोग दूषित और अनुपयोगी पानी पर निर्भर हैं, जबकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार केवल झूठे वादे कर रही है। आईएएनएस की स्वतंत्र रिपोर्ट “डिकोडिंग दिल्ली वाटर वोज़” ने यह साफ कर दिया है कि दिल्ली की जल आपूर्ति पूरी तरह से चरमरा चुकी है और यह संकट सरकार की नाकामी का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली के 30 स्थानों से लिए गए पानी के नमूनों में से 23 स्थानों का पानी पूरी तरह से दूषित पाया गया। द्वारका और नांगलोई जैसे क्षेत्रों में टीडीएस स्तर 1936 mg/L तक पहुंच गया, जो कि निर्धारित सीमा (500 mg/L) से चार गुना अधिक है। कम क्लोरीन स्तर (0.03 mg/L, आवश्यक 0.2 mg/L से कम) के कारण E. coli जैसे खतरनाक बैक्टीरिया तेजी से फैल रहे हैं। वहीं, वज़ीराबाद जलाशय की क्षमता 93% तक घट गई है जिससे पानी की उपलब्धता और गुणवत्ता दोनों प्रभावित हो रही हैं। यह पूरी तरह से केजरीवाल सरकार की घोर लापरवाही को दर्शाता है।
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और जल मंत्री आतिशी मार्लेना के अपने विधानसभा क्षेत्रों, नई दिल्ली और कालकाजी, में भी पानी पीने योग्य नहीं है। अगर खुद मुख्यमंत्री और जल मंत्री अपने ही क्षेत्रों में स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं करा सके, तो पूरे दिल्ली के हालात क्या होंगे, यह आसानी से समझा जा सकता है।
केजरीवाल सरकार द्वारा प्रचारित राजेंद्र नगर पायलट प्रोजेक्ट, जिसे जल संकट के समाधान के रूप में पेश किया गया था, पूरी तरह से विफल साबित हुआ। आम आदमी पार्टी के बड़े-बड़े वादों की पोल इस परीक्षण ने खोल दी है।
दिल्ली में टैंकर माफिया पूरी तरह हावी है और सरकार की नाक के नीचे खुलेआम जनता को लूटा जा रहा है। अवैध बोरवेल और टैंकर माफिया ₹2,000 प्रति टैंकर तक वसूल रहे हैं, जिससे गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार आर्थिक रूप से दबाव में हैं। सरकार की इस ओर कोई नीति या समाधान नहीं दिखता, क्योंकि इस माफिया तंत्र को खत्म करने में केजरीवाल सरकार पूरी तरह से असफल रही है।
गंदे और अशुद्ध पानी के कारण राजधानी में टाइफाइड, हैजा और अन्य जलजनित बीमारियों के मामलों में खतरनाक वृद्धि हुई है। गरीब और झुग्गी क्षेत्रों में रहने वाले लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।
आईएएनएस रिपोर्ट में सरकार के लिए कई सिफारिशें की गई हैं। सबसे पहले, टैंकर माफिया पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। जल शुद्धिकरण संयंत्रों में निवेश किया जाना चाहिए और जल गुणवत्ता की स्वतंत्र निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित की जानी चाहिए। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या केजरीवाल सरकार कोई ठोस कदम उठाएगी या यह भी एक और चुनावी मुद्दा बनकर रह जाएगा?
दिल्ली की जनता अब सरकार से सवाल पूछ रही है—क्या केजरीवाल सरकार इस जल संकट से निपटने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगी या जनता को इस चुनाव में इसका जवाब देना होगा? यह जल संकट केवल पानी की कमी नहीं, बल्कि केजरीवाल सरकार की सबसे बड़ी प्रशासनिक विफलता का प्रमाण है।
(स्रोत: आईएएनएस रिपोर्ट “डिकोडिंग दिल्ली वाटर वोज़”)




















