हेमकुंड मार्ग पर एकत्र की गई 8,000 बोरे प्लास्टिक बोतलें

हेमकुंड साहिब व लोकपाल लक्ष्मण मंदिर की यात्रा और फूलों की घाटी की सैर पर इस वर्ष दो लाख से अधिक तीर्थयात्री व पर्यटक पहुंचे। हेमकुंड साहिब व फूलों की घाटी जाने के लिए गोविंदघाट से घांघरिया तक 13 किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। इससे आगे हेमकुंड छह और फूलों की घाटी चार किमी की दूरी पर है। यात्रा के दौरान श्रद्धालु व पर्यटक बड़ी मात्रा में प्लास्टिक व अन्य कचरा इस पैदल मार्ग पर यहां-वहां फेंक देते हैं। अब इस कचरे को एकत्र करने के लिए वन विभाग के अधीन संचालित स्थानीय निवासियों की ईको विकास समिति को जमकर पसीना बहाना पड़ रहा है। समिति से जुड़े 60 से अधिक पर्यावरण मित्र व 20 से अधिक स्थानीय निवासी अब तक यात्रा रूट पर 24 हजार से अधिक बोरे कचरा एकत्र कर चुके हैं। इसमें आठ हजार बोरे प्लास्टिक की बोतलें हैं। बताया गया कि 12 हजार बोरे कचरा हेमकुंड साहिब, घांघरिया, पुलना, भ्यूंडार आदि पड़ावों से गोविंदघाट लाया गया। इसे रिसाइकिलिंग के लिए नगर पालिका जोशीमठ को सौंपा गया है। जबकि, आठ हजार बोरे प्लास्टिक बोतलों की रिसाइकिलिंग का कार्य समिति स्वयं कर रही है। ईको विकास समिति भ्यूंडार के अध्यक्ष पदमेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि पैदल मार्ग पर प्रति घोड़ा-खच्चर व डंडी-कंडी से 100 रुपये शुल्क लिया जाता है। इसी राशि से समिति सफाई कार्य को अंजाम देती है। वहीं, गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के मुख्य प्रबंधक सरदार सेवा सिंह ने बताया कि प्रशासन, ईको विकास समिति व वन विभाग हेमकुंड यात्रा मार्ग पर स्वच्छता को लेकर बेहतर कार्य कर रहे हैं।

गंगोत्री-यमुनोत्री में 10 टन प्लास्टिक कचरा छोड़ गए तीर्थयात्री

उत्तरकाशी: गंगोत्री व यमुनोत्री धाम और इनके पड़ावों पर तीर्थयात्री इस बार 10 टन से अधिक प्लास्टिक कचरा छोड़ गए। गंगोत्री धाम में तो कूड़ा निस्तारण की व्यवस्थाएं लगभग पटरी पर हैं, लेकिन उत्तरकाशी से लेकर गंगोत्री तक बीच में पड़ने वाले पड़ावों पर कूड़ा निस्तारण की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। गंगोत्री धाम में स्वच्छता की जिम्मेदारी नगर पंचायत की है। धाम में कूड़ा छंटाई के लिए नगर पंचायत का ट्रेंचिंग ग्राउंड भी है। साथ जैविक कूड़े को प्लाजमा तकनीक से संचालित सालिड वेस्ट प्लांट में जलाया जाता है। इस वर्ष यात्राकाल में नगर पंचायत ने करीब 1.6 टन प्लास्टिक कचरा रिसाइकिलिंग के लिए हरिद्वार भेजा।वहीं, जानकी चट्टी से लेकर यमुनोत्री तक स्वच्छता की जिम्मेदारी सुलभ संस्था के पास है। लेकिन, यहां अधिकांश प्लास्टिक कचरा रास्ते के किनारे और यमुना नदी की ओर खाई में फेंक दिया जाता है। यमुनोत्री क्षेत्र में प्लास्टिक कचरे को काम्पैक्ट करने वाली मशीन नहीं है, इसलिए जगह-जगह कूड़े के ढेर देखे जा सकते हैं।