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“कॉ ” आंदोलन का अतीत, वर्तमान और भविष्य

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असम विधानसभा चुनाव 2021

हमारे ब्यूरो प्रमुख मनोज कुमार ओझा

डिब्रुगढ़ ( चबुआ ), 24 मार्च : दिन बुधवार, समय अपराह्न 12 बजकर 44 मिनट 3 सेकेंड, तापमान 30 डिग्री सेल्सियस. मैं गुवाहाटी से आये एक अंग्रेजी दैनिक के वरिष्ठ पत्रकार के साथ चबुआ की धरती पर उतरता हूँ .

अपर असम के डिब्रुगढ़ जिले का ऐतिहासिक शहर चबुआ जिसने 2019 के जाड़े में दो चीजें खोयी थीं — आँखों की नींद और अपनी विरासत ( आंशिक रूप से ).कारण – तब गुस्साए कॉ विरोधी आंदोलनकारियों ने इस शहर के हर सरकारी भवनों ( जो उन्हें दिखे ) में तोड़फोड़ की.

असम की राजधानी गुवाहाटी से 470 किलोमीटर दूर बसे लगभग 7,000आबादी वाले इस शहर के निवासियों के लिए वह एक ख़ौफ़नाक मंजर था ज़ब आगजनी और तोड़फोड़ हुआ.2019 के 11और 12दिसंबर को ब्रिटिश हुकूमत के दौर का एक परित्यक्त डाकघर जो राष्ट्रीय राजमार्ग से थोड़ी दुरी पर है ; गुस्साए भीड़ का शिकार हुआ जो स्थानीय लोगों और प्रशासन दोनों को अंदर तक हिलाकर रख दिया क्योंकि वे इसके लिए तैयार नहीं थे.इसके अलावा ब्रिटिश कालीन निर्मित रेलवे स्टेशन, उस समय की यूनाइटेड बैंक ऑफ़ इंडिया की शाखा

वही चबुआ जहाँ 1936 में पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद उनके परपोते और कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी तथा पुरे विश्व में लोकप्रिय भारत के यशश्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले सप्ताह चुनावी सभा की थी.

2019 में सर्किल अफसर के कार्यालय, टाउन कमिटी, बीएसएनएल, एएसटीसी और पंचायत को टारगेट किया गया और नुकसान पहुंचाया गया. लोकल बीजेपी विधायक बिनोद हज़ारीका के निवास को डिस्ट्रॉय किया गया. डाकघर, रेलवे स्टेशन, सर्किल कार्यालय और बैंक को आग लगाई गई.हालांकि बाद में इसके लिए पश्चाताप किया गया और दुख व्यक्त की गई.

बताते चलें की लोकप्रिय मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल जी का पैतृक मकान इस शहर मात्र 10किलोमीटर है.

ईधर कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी ने कहा है कि यदि कांग्रेस सत्ता में आती है तो यह कॉ लागु नहीं होने देगी. वे डिब्रुगढ़ के लाहोवाल में बोल रहे थे.

भविष्य में कॉ का क्या होगा. इस सवाल के जवाब में प्रणब ज्योति दत्ता,29, आसू के चबुआ यूनिट के जनरल सेक्रेटरी ने कहा, ” हमलोग असम के भाषा, पहचान और संस्कृति को बचाने के लिए और कॉ के बुरे प्रभाव से राज्य को बचाने के लिए प्रजातंत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करते रहेंगे. इसका आने वाले चुनाव से कोई लेना -देना नहीं है. कॉ आंदोलन चुनाव परिणाम से परे जारी रहेगा. ( ज़ब तक यह एक्ट ख़ारिज न हो जाय ). ”

असम में चुनाव 27मार्च और 1 व छः अप्रैल को होंगे. चुनाव परिणाम 2 मई को घोषित होंगे.

एंटी -कॉ ब्रिगेड 24 मार्च 1971 के कट ऑफ डेट पर दृढ है जो 1985 के असम समझौते में तय हुआ था अवैध घुसपैठियों की पहचान और उनके डिपोर्टेशन हेतु.

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