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कोर्ट में खड़े होने से इनकार करने के कारण भेजे गए जेल

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एजेंसी समाचार चेन्नई 19 अक्टूबर: 10 साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद रिहा हुए RTI एक्टिविस्ट, अब भी खोज रहे सवालों के जवाब, एक आरटीआई एक्टिविस्ट को 10 साल तक लड़नी पड़ी कानूनी लड़ाई।
हल ही में सैदापेट मजिस्ट्रेट कोर्ट से एक RTI एक्टिविस्ट लगभग एक दशक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद बाहर निकले। 47 साल के शिवा एलंगो (Siva Elango) ने दस साल की कानूनी लड़ाई के दौरान गिरफ्तारी, 138 कोर्ट हीयरिंग और कई कानूनी झटके देखे गए लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
2012 में भ्रष्टाचार विरोधी समूह, सत्ता पंचायत इयाक्कम के सदस्य एलंगो ने तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जे जयललिता के विज्ञापन खर्च का ब्यौरा मांगते हुए एक आरटीआई दायर की थी। यह तब की बात है जब राज्य ने एक बड़े पैमाने पर मीडिया अभियान शुरू किया था जिसमें देश भर के एडिशन में जयललिता की इमेज वाले विज्ञापन छपे थे।
मिडिया से बात करते हुए शिवा एलंगो ने कहा , “यह अभियान 2014 के प्रधानमंत्री पद की रेस के लिए उनकी कोशिश का हिस्सा था। मैंने इन विज्ञापनों के लिए करदाताओं के पैसे कैसे खर्च किए गए और विज्ञापन हासिल करने के क्राइटेरिया के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी थी।” सरकार ने जानकारी का खुलासा करने से इनकार कर दिया और उन्होंने उसी साल दो अपीलें दायर कीं।
जनवरी 2015 में, राज्य सूचना आयोग (SIC) ने आखिरकार उनकी दूसरी अपील पर सुनवाई की। इस दौरान वह अपना पक्ष रखने के लिए तैयार होकर एसआईसी के कार्यालय पहुंचे। मुख्य सूचना आयुक्त, केएस श्रीपति, पूर्व राज्य मुख्य सचिव और पूर्व जिला न्यायाधीश एसएफ अकबर ने सुनवाई की अध्यक्षता की।
शिवा एलंगो कमरे में बैठे थे लेकिन उनके बोलने से ठीक पहले एक चपरासी उनके पास आया और कहा कि केएस श्रीपति ने उन्हें खड़े होने के लिए कहा है। एलंगो ने इनकार कर दिया क्योंकि किसी भी कानून में अपीलकर्ताओं को अर्ध-न्यायिक सुनवाई के दौरान खड़े होने की जरूरत नहीं थी।
खड़े होने से इनकार करने पर रद्द कर दी सुनवाई
एलंगो के अनुसार सुनवाई अचानक से रद्द कर दी गई और उन्हें जाने के लिए कहा गया। अपनी लड़ाई को यहीं खत्म नहीं होने देने के लिए एलंगो ने धरना दिया और कहा कि उनकी बात सुनी जाए। पुलिस को बुलाया गया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, उन पर सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा डालने और आपराधिक धमकी देने का आरोप लगाया गया।
खड़ा न हो पाने के कारण शिवा को तीन दिनों के लिए जेल में डाल दिया गया, एलंगो ने कहा, “खड़ा न हो पाने के कारण मुझे तीन दिनों के लिए पुझल सेंट्रल जेल में डाल दिया गया।” जमानत पर बाहर आने के बाद उन्होंने वकील नहीं रखा बल्कि खुद ही मुकदमा लड़ने का फैसला लिया। एलंगो के खिलाफ शिकायत एसआईसी के सचिव अशोक कुमार ने उनके अवर सचिव गनावेल द्वारा दी गई सूचना के आधार पर दर्ज कराई थी। लेकिन जब एलंगो ने गनावेल से जिरह की तो उन्होंने कहा कि इस घटना के समय वे कमरे में नहीं थे।
एलंगो ने कहा कि उन्होंने आरोप लगाया कि मैंने एसआईसी को नष्ट करने की धमकी दी थी। सुनवाई के दौरान तमिलनाडु के पूर्व मुख्य सचिव श्रीपति को गवाह के तौर पर जोड़ा गया लेकिन एसआईसी ने उन्हें समन भेजने से इनकार कर दिया और दावा किया कि वह सेवानिवृत्त हो चुके हैं और उन्हें उनका एड्रेस नहीं पता। इसके बाद शिवा एलंगो ने उन अधिकारियों से दस्तावेज मांगे जिन्होंने श्रीपति को पेंशन दी थी। उनका पता मिलने और समन जारी होने के बाद भी पुलिस ने एक और साल तक टालमटोल की। 10 साल में चार जज बदले गए। फिर मार्च 2024 में श्रीपति कोर्ट में पेश हुए।
किस्मत ने पलटा खाया और इस बार श्रीपति को 14 मार्च को सैदापेट न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश होना पड़ा और खड़े होकर ही अपना फैसला सुनाना पड़ा। कुछ मिनट की दलील के बाद कोर्ट ने श्रीपति को बैठने की इजाजत दे दी क्योंकि उन्होंने पैर में दर्द की शिकायत की थी। पूर्व मुख्य सचिव ने दावा किया कि उन्हें घटना याद नहीं है और उन्होंने कभी भी एलंगो को खड़े होने के लिए कहने से इनकार किया।
अपील की सुनवाई के दौरान एसआईसी के सामने खड़े होने के अपने निर्देश के बारे में श्रीपति ने कहा कि ऐसा कोई नियम नहीं है। वे बैठ सकते हैं। कुछ लोग हमारे सुझाव देने पर भी नहीं बैठते। मूल आरटीआई याचिका का निपटारा क्यों नहीं किया गया, इस पर उन्होंने कहा, “यहां कारणों पर चर्चा नहीं की जा सकती। मैं केवल इतना कह सकता हूं कि मेरे मन में उनके खिलाफ कोई व्यक्तिगत शिकायत नहीं है।”
अपनी रिहाई पर शिवा एलंगो ने कहा कि जब वे बरी होने के बाद कोर्ट रूम से बाहर निकले तो कोई जश्न नहीं मनाया गया। उन्होंने कहा, “जज ने कहा कि मैं बरी हो गया हूं और मैं जा सकता हूं। लेकिन मेरी मूल याचिका का क्या हुआ? मेरी आरटीआई कहां है? मैंने 10 साल तक एक और केस लड़ा और बरी हो गया, लेकिन मेरी मूल याचिका का जवाब नहीं मिला।”
शिवा एलंगो की पत्नी स्कूल टीचर हैं और परिवार की आय का एकमात्र स्रोत रही हैं जबकि एलांगो ने खुद को पूरी तरह से सामाजिक सक्रियता में झोंक दिया है। उन्होंने कहा, “मेरी पत्नी और मैंने शादी से पहले एक समझौता किया था कि वह घर की देखभाल करेगी और मैं समाज के लिए लड़ूंगा।”

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