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क्या आप भी ऐसा कर सकते हैं?

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पैंगोंग के रास्ते में बर्फ पर चलते वक्त मुझे किसी का मोबाइल गिरा हुआ मिला था बर्फ पर। तो अब आगे का मजेदार किस्सा है उसके मालिक को ढूंढने की जद्दोजहद का..
पैंगोंग के रास्ते में आगे जाकर दुर्बुक में हम जिस रात रुके थे, वहीं उस मोबाइल को चालू करने की कोशिश की ताकि अगर यह लेह के ही किसी निवासी का होगा तो उस पर फोन आ जाएगा और हम मोबाइल लौटा पाएंगे। मोबाइल में पैटर्न लॉक था तो इंतजार के सिवाय कोई चारा नहीं था उस समय..
मोबाइल डिस्चार्ज हो चुका था, तो सबसे पहले उसे चार्ज किया। पर उसमें कोई फोन नहीं आया। पर जब उसे चालू किया तो उसमे नेटवर्क भी नहीं था। हमने अंदाज़ा लगाया कि लेह में किसी और राज्य के प्रीपेड फोन चलते नहीं, इसलिए उसमें नेटवर्क नहीं होगा।
इससे ये अंदाज़ा लगाया कि फोन का मालिक लेह का नहीं होगा। हमने सोचा शायद दिल्ली पहुंचने पर उसमें नेटवर्क और कॉल आ जाए। दिल्ली पहुंच कर भी और दिल्ली में हमारे एक दिन बिताने पर भी उसमें कोई कॉल नहीं आया। अगले दिन हम कोलकाता, अपने घर पहुंच गए..
चूंकि फोन में पैटर्न लॉक था, उसकी कॉन्टैक्ट लिस्ट भी देखना असंभव था। पहुंचने के अगले दिन, सुबह नाश्ते के वक्त, हमारे एक दोस्त निखिल घर आए और हम फोन के मालिक को ढूंढने के उपाय सोचने लगे..
यह सब करने में हमारी एक सोच यह भी थी कि मोबाइल तो लोग शायद नया ले भी ले पर उसमें कभी कभी ढेरों अमूल्य फोटोज़, डॉक्यूमेंट्स या फाइल्स होती हैं, जिनका कई बार बैक-अप नहीं होता, इसलिए फ़ोन लौटाना जरुरी है।
मैंने फिर फोन का मेमोरी कार्ड निकाला और उसे अपने फोन में डाला कि शायद उसमें कोई कॉन्टैक्ट लिस्ट मिल जाए। एक कॉन्टैक्ट लिस्ट नाम से सेव की हुई फाइल मिली भी जिसमें नंबरों की लिस्ट थी और ‘पापा’ के नाम से एक नंबर था। उस नंबर पर अपने मोबाइल से कॉल किया।
जयपुर के एक सज्जन ने फोन उठाया और यह पूछने पर कि क्या उनका या उनके किसी परिवार के सदस्य का मोबाइल लेह में खो गया है,उन्होंने कहा कि दो वर्ष पूर्व खोया था, परन्तु वह सैमसंग का था और वह खोया भी लेह में था। हमें चूंकि लेनोवो का फोन मिला था, तो ये उनका दो वर्ष पुराना मोबाइल नहीं था।
हम दोबारा मेमोरी कार्ड में कोई नई जानकारी के लिए फाइल्स खंगालने लग गए, कसम से खुद को जेम्स बॉन्ड समझने वाली फीलिंग थी😛
ये सब करते हुए दोपहर के करीब एक बजने लगे थे और क्योंकि हमारे इस 007 वाले कार्य में जुटे होने के कारण खाना नहीं बना था, भूख के कारण हम हँसते हुए ये भी विचार करने लगे कि पिज़्ज़ा मंगवा लिया जाए और डिलीवरी बॉय को पैसों के बदले ये मोबाइल ही दे दिया जाए😝😁
खैर, हमने भूख के कारण उपजी इस कातिल सोच को लगाम दी और सोचा कि थोड़ी देर और प्रयास कर लेते हैं, फिर पिज़्ज़ा ऑर्डर करेंगे। फ़ोन में मिली कुछ और फाइल्स से ये समझ आ गया था कि फोन के मालिक का नाम भानुदय शर्मा था और वो राजस्थान से थे। हमने दोबारा ‘पापा’ वाले नंबर पर फोन किया कि शायद वो किसी भानुदय शर्मा को जानते हो, पर वे नहीं जानते थे🙁
मेरे पति और निखिल अलग अलग सुझाव दे रहे थे फ़ोन के मालिक को ढूंढ़ने का परन्तु उनका पिज़्ज़ा की ओर झुकाव भी बढ़ता जा रहा था। मैं और फोटोज, फाइल्स खंगालने में जुटी हुई थी। एक पीडीएफ फाइल मिली जो भानुदय का सीवी (résumé) थी। उसमें उनके दो फोन नंबर मिले और हमने उन नंबरों पर फोन लगाने की कोशिश की, यह सोच कर कि शायद उन्होंने नए सिम लेकर पुराने नंबर चालू कर लिए हो। पर वो नंबर बंद थे। उस नंबर पर व्हाट्सप्प  मेसेज भी भेजा, पर वो डिलीवर नहीं हुआ। इस बीच मैंने फेसबुक पर भानुदय को ढूंढ लिया उनके नाम, फोन के फोटोज और अन्य कुछ जानकारियां मिलने के कारण।
फेसबुक पर भी मैंने उन्हें मैसेज कर दिया। फिर यह भी लगा कि शायद मोबाइल ना होने के कारण भानुदय फेसबुक, वॉट्सएप ये सब ना देख पा रहें हो। फिर हमने भानुदय के सीवी में मौजूद उनके ईमेल आईडी पर भी मेल कर दिया। वो इंजीनियरिंग के स्टूडेंट थे, तो लगा मेल शायद रोजाना देखते होंगे..
और ये सब करने के बाद हमने निश्चय किया कि आज खिचड़ी खा लेते हैं। यदि दो तीन दिन कोई जवाब नहीं आया तो पिज्जा boy को पैसों के बदले मोबाइल देकर पिज़्ज़ा पार्टी की जाएगी। 😄
खैर, अगले दिन हमारा पिज़्ज़ा का सपना चूर चूर हो गया, भानुदय का मेल आ गया..😊 उन्होंने बहुत खुशी जताते हुए अपना नया नंबर दिया। मैंने फोन कर उनसे बात की। वह भी लेह में पैंगोंग रोड पर बाइक फिसलने वाली घटना के साक्षी व भोगी थे। वहीं उनसे मोबाइल खो गया था। वो अब कानपुर में थे।
मेरे पति के दफ्तर में कानपुर से लोग आते रहते थे, तो जल्दी ही भानुदय का मोबाइल वापस भेज दिया गया। भानुदय ने ढेर सारे प्यारे शब्दों में हमें शुक्रिया कहा और तोहफा भी भेजा। और जब हमने उन्हें अपने पिज़्ज़ा वाले प्लान की कहानी सुनाई तो उन्होंने हँसते हुए हमसे वादा किया कि वो जब भी मिलेंगे, हमें पिज़्ज़ा जरूर खिलाएंगे😊😊
उन्होंने ये भी कहा कि उनके और उनके दोस्तों की आपस में बात हुई कि इतनी कोशिश कर फोन वापस करने वाले लोग पक्के घुमक्कड़ होंगे, ये स्पिरिट उनमें ही होती है😊
ये बात 2019 की है, पर इस साल भानूदय की शादी का कार्ड भी आया हमें, अच्छा लगा कि हम उन्हें अब भी याद हैं..🤗
अक्टूबर, 2019 (संकलित)

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