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प्रे.स. शिलचर, 16 दिसंबर: शिलचर प्रेस क्लब में इंडियन फोरम फॉर बांग्लादेश पीस द्वारा आयोजित एक विशेष चर्चा कार्यक्रम में वक्ताओं ने यह सवाल उठाया कि क्या बांग्लादेश में एक और मुक्ति संग्राम की संभावना है। इस आयोजन का उद्देश्य बांग्लादेश के 54वें विजय दिवस को चिह्नित करना था, जिसमें वक्ताओं ने 1971 के मुक्ति संग्राम और भारत की ऐतिहासिक भूमिका पर विस्तार से चर्चा की।
कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने 1971 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तानी सेना को हराने की उपलब्धि को याद किया। यह दिन भारतीय इतिहास के लिए गर्व का प्रतीक है, जब लगभग 90,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था।
चर्चा में वक्ताओं ने मुक्ति संग्राम के दौरान बांग्लादेश में हिंसा और कठिन परिस्थितियों को उजागर किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में बांग्लादेश में अस्थिरता का कारण लोकतंत्र समर्थक और लोकतंत्र विरोधी गुटों के बीच संघर्ष है। यह कोई धार्मिक आंदोलन नहीं है, क्योंकि मुक्ति संग्राम के दौरान हत्याओं का शिकार हिंदुओं की तुलना में कहीं अधिक मुस्लिम हुए थे।
इस अवसर पर कई प्रमुख व्यक्तित्व उपस्थित थे, जिनमें साहित्यकार अतिन दास, शंकर डे, वरिष्ठ पत्रकार चयन भट्टाचार्य, आकसा के सलाहकार रूपम नंदी पुरकायस्थ, प्रोफेसर डॉ. स्मृति पाल, भाजपा नेता हेमांग शेखर दास, प्रमथेश दास, और बारिंद्र कुमार दास शामिल थे।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त की और भारत और बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक संबंधों को याद करते हुए शांति और स्थिरता के लिए प्रयास करने की अपील की।