नई दिल्ली: भारत के महत्वकांक्षी मून मिशन चंद्रयान-3 के साथ-साथ रूस का चंद्र मिशन लूना-25 भी सुर्खियों में है. लेकिन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर इसकी सॉफ्ट लैंडिंग अब सवालों के घेरे में है. रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने बताया कि लूना-25 अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की कक्षा में एक आपातकालीन स्थिति का सामना करना पड़ा है और वैज्ञानिकों की टीम समस्या का विश्लेषण कर रही है.
रोस्कोस्मोस ने कहा, ‘आज के उड़ान कार्यक्रम के अनुसार, मॉस्को के समयानुसार 14:10 पर, लूना-25 ने प्री-लैंडिंग कक्षा में पहुंचने के लिए एक वेलोसिटी जनरेट (यान की गति बढ़ी) किया. ऑपरेशन के दौरान एक आपातकालीन स्थिति उत्पन्न हो गई, जिसकी वजह से लूना-25 के ऑर्बिट में इच्छित मापदंडों के अनुसार बदलाव नहीं हो पाया.’ रोस्कोरस्मोस ने कहा कि उसकी टीम फिलहाल स्थिति का विश्लेषण कर रही है.
रूस अपने लूना-25 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय पर भारत के चंद्रयान-3 से पहले लैंड कराने वाला था. लेकिन रोस्कोस्मोस ने अब तक इस बारे में कुछ भी नहीं कहा है. जो तारीख तय थी, उसके मुताबिक रूसी लैंडर को 21 से 22 अगस्त के बीच मून के साउथ पोल पर लैंड होना था. लूना-25 को 11 अगस्त को रूस के सुदूर पूर्व में वोस्तोचन कोस्मोड्रोम से बिना किसी त्रुटि के लॉन्च किया गया था. स्पेसपोर्ट रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की महत्वकांक्षी परियोजना है. इसका मकसद रूस को एक अंतरिक्ष महाशक्ति बनाना और रूसी प्रक्षेपणों को कजाकिस्तान के बैकोनूर कोस्मोड्रोम में स्थानांतरित करना है.
इस सप्ताह की शुरुआत में चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने के बाद लूना-25 चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा था. लूना-25 को चंद्रमा की चट्टान और धूल के नमूने लेने हैं. रोस्कोस्मोस ने कहा है कि ‘वहां कोई आधार बनाने से पहले चंद्रमा के पर्यावरण को समझने के लिए नमूने महत्वपूर्ण हैं, अन्यथा हम चीजें बना सकते हैं और छह महीने बाद उन्हें बंद करना पड़ सकता है.’ चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव वैज्ञानिकों के लिए विशेष रुचि रखता है, जो मानते हैं कि स्थायी रूप से छाया वाले ध्रुवीय क्रेटरों में पानी हो सकता है.