107 Views
पत्रकारों के विरोध के साथ जनता ने किया सड़क जाम, पुलिस पर गंभीर आरोप, रिहाई न होने पर आंदोलन की चेतावनी!
शिव कुमार हाइलाकांदी, 4 मई: रामकृष्णनगर इलाके में शनिवार की शाम उस समय अफरातफरी मच गई जब स्थानीय लोगों ने गाय चोरी कर भाग रही एक ऑल्टो गाड़ी को पकड़ने का प्रयास किया। जानकारी के मुताबिक, गाड़ी में कुछ अज्ञात चोर जबरन एक गाय को ठूंसकर ले जा रहे थे। ग्रामीणों को शक हुआ और उन्होंने तुरंत पीछा करना शुरू कर दिया। गाड़ी श्रीभूमि की सीमा पार कर हाइलाकांदी जिले के लखीनगर पुलिस फांड़ी के सामने जैसे ही पहुँची, वह दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इसके बाद उत्तेजित भीड़ ने गाड़ी को घेर लिया और देखते ही देखते तोड़फोड़ शुरू कर दी। कुछ लोगों ने चोर को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन तभी पुलिस मौके पर पहुँची। पुलिस और जनता के बीच जमकर झड़प हुई। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि भीड़ ने गाड़ी को गढ्ढे में धकेल दिया। इस पूरी घटना को पत्रकार हिरक बनिक वीडियो कैमरे में रिकॉर्ड कर रहे थे। लेकिन मीडिया की भूमिका निभा रहे हिरक को भी पुलिस ने नहीं बख्शा। हाइलाकांदी पुलिस ने हिरक बनिक को बेरहमी से पीटा, जमीन पर घसीटा और फिर गाड़ी में डालकर उठा ले गई। इस बर्बरता की खबर फैलते ही पूरे इलाके में रोष की लहर दौड़ गई।
रामकृष्णनगर सर्कल प्रेस क्लब ने इस घटना की तीव्र निंदा की है और पत्रकार हिरक बणिक पर हुए हमले को लोकतंत्र और प्रेस की आज़ादी पर हमला बताया है। प्रेस क्लब की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह घटना सिर्फ एक पत्रकार पर हमला नहीं, बल्कि सच्चाई की आवाज़ को दबाने की कोशिश है।
इस बीच, हाइलाकांदी की पुलिस अधीक्षक (एसपी) लीना डोले से प्रेस प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की और हिरक की तत्काल रिहाई की माँग रखी। बताया गया है कि बराक घाटी के दो मंत्रियों और राताबाड़ी के विधायक विजय मालाकार ने भी फोन पर एसपी से बात की, लेकिन एसपी ने हिरक को छोड़ने से साफ इनकार कर दिया।भाजपा नेत्री मुन स्वर्णकार और हाइलाकांदी जिला भाजपा अध्यक्ष कल्याण गोस्वामी खुद एसपी से मिलने पहुँचे, लेकिन पुलिस का रवैया टस से मस नहीं हुआ।जनता का आक्रोश अब सड़कों पर है। रामकृष्णनगर में सड़क जाम कर दिया गया है, और प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि हिरक बणिक को कल सुबह तक रिहा नहीं किया गया, तो रामकृष्णनगर सर्कल प्रेस क्लब लोकतांत्रिक तरीके से बड़ा आंदोलन शुरू करेगा। फिलहाल इलाके में भारी तनाव है, और जनता की नाराज़गी बढ़ती जा रही है। क्या एक सच्चाई दिखाने वाले पत्रकार को इस तरह पीटकर उठाया जाएगा? क्या लोकतंत्र में अब कैमरा उठाना गुनाह हो गया है?





















