गुजर रहा है वर्ष २०२० का ,
लम्हा धीरे – धीरे
मानो कोई अपना ,
हमसे जुदा हो रहा है |
माना कि वर्ष २०२० ने ,
छीन लिया हमसे आजादी |
पर कुछ अच्छी यादें भी हमें,
भेंट किये जा रहा हैे |
२०२० हमें जिंदगी जीने का
हुनर सीखा गया |
खो चुके थे हम स्वंय को भी ,
हमारी पहचान लौटा गया |
बिछड़े नादान परिंदों को ,
आसियाना मिल गया |
नन्हें – नन्हें ऊँगलियों को ,
सहारा मिल गया |
जहाँ दिखावे में पैसों को ,
पानी – सा बहाते थे |
वहीं कोरोना ने सबको,
सादगी में रहना सिखा दिया |
प्रकृति नें खोली बाहें ,
खुली फिजाँ ने श्वाँस लिया |
कल-कारखाने हुए जो बंद,
वायु प्रदूषण मुक्त हुआ |
स्वच्छ हुआ जो वायु तो,
चहुँ दिशा जी भर मुस्काई |
मनुष्य हुये थे बंद घरों में ,
जीव-जन्तु सड़कों पर आएँ |
जाते जाते वर्ष २०२० ,
हृदय में एक टीस भी दे गया |
ना करो प्रकृति से छेड़छाड़ ,
हमें ऐसा गुरूमंत्र दे गया |
कोरोना ने मचाया था कोहराम ,
परेशान हुये थे आवाम |
सुनी पड़ गई थी गलियाँ ,
मचा था चहुँओर हाय राम |
२०२१ ने दे दी जो दस्तक,
मन खुशियों से झूम उठा
एक नई रौशनी जीवन में ,
उल्लास बनकर छा रहा |
नव वर्ष खुशियाँ ले आए ,
मिट जाये गम का अंधेरा |
नव वर्ष पर ईश्वर से प्रतिपल,
करती हूँ बस ये प्रार्थना |
कमला सिंह ‘ महिमा ‘
खोरीबाड़ी, पश्चिम-बंगाल |
7602365257