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गुवाहाटी में क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन का भव्य आयोजन, हिंदी के विकास पर हुआ मंथन

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राजभाषा हिंदी से संबंधित कार्यक्रमों में राज्यों को भी शामिल करना चाहिए- डॉ हिमंत विश्व शर्मा

विशेष प्रतिनिधि गुवाहाटी, 5 मार्च: राजभाषा हिंदी से संबंधित कार्यक्रमों में राज्यों को भी शामिल करना चाहिए। असम के मुख्यमंत्री और क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन के मुख्य अतिथि डॉक्टर हेमंत विश्व शर्मा ने भारत सरकार से अनुरोध किया कि राजभाषा हिंदी अनुपालन के लिए राज्यों को भी शामिल किया जाना चाहिए। ताकि लोगों को यह ना लगे की हिंदी केवल केंद्र की भाषा है। हिंदी राज्य की भी भाषा है, हर भारतीय के दिल की भाषा है। मुख्यमंत्री ने सम्मेलन में आए 11 राज्यों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी का व्यवहार और प्रयोग जरूरी है हमारे गृह मंत्री जी की इच्छा है कि हिंदी इतनी सशक्त हो जाए की विदेशी भाषा की जरूरत ना पड़े हमारे देश में विविधता के बीच जोड़ने वाली भाषा हिंदी है सांस्कृतिक एकता के लिए हिंदी जरूरी है हिंदी को भारत के हर कोने तक ले जाने का काम करना है।

गुवाहाटी में क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन का भव्य आयोजन, हिंदी के विकास पर हुआ मंथन
गुवाहाटी में क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन का भव्य आयोजन, हिंदी के विकास पर हुआ मंथन

हिंदी: राष्ट्रीय एकता का प्रतीक
मुख्यमंत्री डा. हिमंत विश्वशर्मा ने हिंदी को भारत की आत्मा और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि असम और पूर्वोत्तर में हिंदी संपर्क भाषा के रूप में उभर रही है और क्षेत्र के उद्योगों, शिक्षण संस्थानों तथा चाय बागानों में इसका व्यापक उपयोग हो रहा है। उन्होंने कहा कि भाषा संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है इसलिए हिंदी के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओं का भी विकास करना है ब्रिटिश ने ऐसी मानसिकता बनाई की इंग्लिश अपना है। यदि इंग्लिश अपना हो सकता है तो हिंदी क्यों नहीं? हिंदी रोजगार की भाषा है, हिंदी का प्रचलन कम होने के कारण पहले पूर्वोत्तर के युवकों को उत्तर भारत में जॉब कम मिलता था। अब हिंदी लोकप्रिय हुई है, रोजगार की भाषा बन चुकी है। हिंदी सहज और व्यावहारिक होना चाहिए। संविधान प्रनेताओं ने हिंदी में क्षेत्रीय भाषाओं के शब्द समाहित करने के लिए कहा था। सरकारी काम में प्रयोग होने वाली हिंदी ऐसी होनी चाहिए ताकि हिंदी में कमजोर लोगों को भी समझने में आसानी हो। देश के लोगों को लगना चाहिए की हिंदी में हमारी भाषा भी समाहित है। उन्होंने क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन गुवाहाटी में आयोजित करने के लिए भारत सरकार का बहुत-बहुत धन्यवाद किया, साथ ही गृह राज्यमंत्री और गृह मंत्री को भी बहुत-बहुत धन्यवाद किया। राज्य सरकार का भी फोकस हिंदी पर हो, इसलिए इसमें राज्य सरकार को भी जोड़ने का अनुरोध किया।

पूर्व एवं पूर्वोत्तर क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन एवं पुरस्कार वितरण समारोह का भव्य आयोजन गुवाहाटी के मेफेयर स्प्रिंग वैली रिसॉर्ट में संपन्न हुआ। गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार, सरकारी कामकाज में इसकी बढ़ती उपयोगिता और तकनीकी नवाचारों पर गहन विचार-विमर्श किया गया।

हिंदी भाषा के संवर्धन पर जोर
इस महत्वपूर्ण सम्मेलन की अध्यक्षता केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय ने की, जबकि असम के मुख्यमंत्री श्री हिमंत बिस्वा सरमा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम में सांसद श्रीमती बिजुली कलिता मेधी, सांसद श्री दिलीप सैकिया, गुवाहाटी विश्वविद्यालय के प्रो. दिलीप कुमार मेधी, पॉंडिचेरी विश्वविद्यालय की प्रो. एस पद्मप्रिय, सिक्किम के वरिष्ठ हिंदी साहित्यकार श्री वीरभद्र कार्कीढोली, राजभाषा विभाग की सचिव श्रीमती अंशुली आर्या और संयुक्त सचिव डॉ. मीनाक्षी जौली समेत कई गणमान्य हस्तियां मंच पर विराजमान रहीं।

कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगान और दीप प्रज्वलन से हुई। इसके बाद राजभाषा विभाग की सचिव श्रीमती अंशुली आर्या ने स्वागत भाषण दिया, जिसमें उन्होंने हिंदी भाषा के तकनीकी विकास और भारतीय भाषा अनुभाग की स्थापना पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हिंदी सहित भारतीय भाषाओं को वैश्विक मंच पर पहचान मिली है।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर राजभाषा विभाग की पत्रिका “राजभाषा भारती” के विशेषांक और बहुभाषी अनुवाद सॉफ्टवेयर “कंठस्थ 3.0” के अल्फा संस्करण का विमोचन किया। उन्होंने इसे सरकारी कामकाज में हिंदी को और प्रभावी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।

राजभाषा सम्मेलन: हिंदी के उत्थान का मंच

गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय ने हिंदी को सिर्फ राजभाषा ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता का सूत्र बताया। उन्होंने कहा कि सरकार राजभाषा हिंदी को आधुनिक तकनीक से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने हिंदी भाषा के उत्थान के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की चर्चा की, जिसमें –

2018 में ‘कंठस्थ’ अनुवाद टूल का लोकार्पण
2020 में नई शिक्षा नीति में मातृभाषा को विशेष महत्व
2022 में ‘अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन’ की शुरुआत

‘राजभाषा गौरव पुरस्कार योजना’ का विस्तार
48 कार्यालयों को मिला राजभाषा सम्मान
सम्मेलन के दौरान 48 सरकारी कार्यालयों, बैंकों और उपक्रमों को हिंदी के प्रचार-प्रसार में उत्कृष्ट योगदान के लिए “राजभाषा पुरस्कार” से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों को प्रभावी कार्यों के लिए “नराकास राजभाषा सम्मान” प्रदान किया गया।

भाषायी सौहार्द पर विचार गोष्ठी
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में “पूर्व एवं पूर्वोत्तर भारत में भाषायी सौहार्द” विषय पर एक विचार गोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें

गुवाहाटी विश्वविद्यालय के प्रो. दिलीप मेधी
पॉंडिचेरी विश्वविद्यालय की प्रो. एस पद्मप्रिय
सिक्किम के वरिष्ठ साहित्यकार श्री वीरभद्र कार्कीढोली
ने अपने विचार रखे।
प्रो. मेधी ने कहा कि भारत की विविधता में हिंदी एकता का माध्यम है। प्रो. पद्मप्रिय ने हिंदी को भारतीय भाषाओं का प्रतिनिधि बताते हुए कहा कि हिंदी और अन्य भारतीय भाषाएं एक-दूसरे की पूरक हैं, न कि प्रतिस्पर्धी। वहीं, श्री वीरभद्र कार्कीढोली ने सुझाव दिया कि ऐसे सम्मेलन सिक्किम में भी आयोजित किए जाएं।

सांस्कृतिक कार्यक्रम और समापन
सम्मेलन के समापन अवसर पर भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें पूर्वोत्तर भारत के लोक संगीत और नृत्य की शानदार प्रस्तुतियां दी गईं। संयुक्त सचिव डॉ. मीनाक्षी जौली ने धन्यवाद ज्ञापन दिया और हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए सभी से मिलकर प्रयास करने का आह्वान किया।

हिंदी के भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
गुवाहाटी में आयोजित यह सम्मेलन हिंदी भाषा के उज्ज्वल भविष्य की दिशा में एक और मजबूत कदम साबित हुआ। मुख्यमंत्री श्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि 14 सितंबर 1949 को जब हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला था, तब इसका उद्देश्य सिर्फ सरकारी कामकाज तक सीमित नहीं था, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक अस्मिता को एकसूत्र में पिरोने का प्रयास था। उन्होंने सभी को हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करने की प्रेरणा दी।

गुवाहाटी में संपन्न यह ऐतिहासिक सम्मेलन हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मील का पत्थर साबित होगा।

सम्मेलन में राजभाषा क्षेत्रीय कार्यान्वयन कार्यालय के राम इकबाल यादव, शिलचर से नराकास के सदस्य सचिव सौरभ वर्मा, प्रशासनिक अधिकारी राजीव कहार, वरिष्ठ पत्रकार दिलीप कुमार, जवाहर नवोदय विद्यालय काछाड़ के विकास उपाध्याय, केंद्रीय विद्यालय श्रीकोंना के प्रधानाचार्य संदीप शर्मा, असम विश्वविद्यालय के पृथ्वीराज ग्वाला तथा सी-डैक के गिरधारी शर्मा सहित हजारों प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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