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“गैर-संचारी रोगों के समग्र उपचार के लिए आधुनिक दृष्टिकोण के साथ यूनानी चिकित्सा का एकीकरण” पर राष्ट्रीय वेबिनार सफलतापूर्वक संपन्न 

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प्रे.स. शिलचर, 1 फरवरी: क्षेत्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (क्षे० यू० चि० अनु० सं०), सिलचर द्वारा “गैर-संचारी रोगों के समग्र उपचार के लिए आधुनिक दृष्टिकोण के साथ यूनानी चिकित्सा का एकीकरण” पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का सफल आयोजन किया गया। यह आयोजन यूनानी दिवस 2025 के पूर्व-कार्यक्रमों के अंतर्गत किया गया, जिसमें देशभर से विशेषज्ञों ने भाग लिया और यूनानी चिकित्सा को आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ एकीकृत करने के संभावित उपायों पर विस्तृत चर्चा की।
यह वेबिनार डॉ. अब्दुल्लाह, अनुसंधान अधिकारी (यूनानी) के द्वारा आयोजित किया गया, जो डॉ. मोहम्मद अख़्तर हुसैन जमाली, अनुसंधान अधिकारी प्रभारी, क्षे० यू० चि० अनु० सं०, सिलचर के निर्देशन में संपन्न हुआ। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. नाज़िम हुसैन, अनुसंधान अधिकारी (यूनानी) रहे, और इस वेबिनार को डॉ. एन. ज़हीर अहमद, महानिदेशक, केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसन्धान संसथान, नई दिल्ली का संरक्षण प्राप्त था।
कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. मोहम्मद अख़्तर हुसैन जमाली, अनुसंधान अधिकारी प्रभारी, क्षे० यू० चि० अनु० सं०, सिलचर द्वारा स्वागत भाषण से हुई, जिसमें उन्होंने गैर-संचारी के प्रबंधन में यूनानी चिकित्सा की महत्ता पर प्रकाश डाला। इसके पश्चात डॉ. एन. ज़हीर अहमद, महानिदेशक, केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसन्धान संसथान, नई दिल्ली ने अध्यक्षीय संबोधन दिया, जिसमें उन्होंने यूनानी चिकित्सा में साक्ष्य-आधारित अनुसंधान के महत्व पर जोर दिया।
इसके बाद, डॉ. मुस्तहसन, अनुसंधान अधिकारी प्रभारी, औषध मानकीकरण इकाई, केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसन्धान संसथान, नई दिल्ली ने परिचयात्मक भाषण दिया।
तकनीकी सत्र में विशेषज्ञ वक्ताओं ने विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किए। डॉ. मोहम्मद यासिर, सहायक प्रोफेसर, मौलजात विभाग, अंजुमन-ए-इस्लाम के डॉ. एम.आई. जमखानवाला तिब्बिया यूनानी मेडिकल कॉलेज, मुंबई ने “ग़ैर-संक्रामक रोगों के समग्र प्रबंधन में यूनानी चिकित्सा और आधुनिक दृष्टिकोण का समावेश” विषय पर विस्तृत चर्चा की। डॉ. अब्दुल्लाह, अनुसंधान अधिकारी (यूनानी), क्षे० यू० चि० अनु० सं०, सिलचर ने “मोटापे के प्रबंधन में यूनानी चिकित्सा का योगदान” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। डॉ. उजमा सिद्दीकी, वरिष्ठ अनुसंधान फेलो (यूनानी), क्षे० यू० चि० अनु० सं०, सिलचर ने “मधुमेह के समग्र प्रबंधन में यूनानी चिकित्सा का दृष्टिकोण” पर महत्वपूर्ण जानकारी दी। डॉ. बाक़ी बिल्लाह अहमद, जूनियर अनुसंधान फेलो (यूनानी), क्षे० यू० चि० अनु० सं०, सिलचर ने ” क्षेत्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, सिलचर में यूनानी चिकित्सा के एकीकरण की दिशा में उठाए गए कदमों” पर प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम का समापन डॉ. एल. श्रीनिवास नाइक, अनुसंधान अधिकारी (बायोकैमिस्ट्री), क्षे० यू० चि० अनु० सं०, सिलचर द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने सभी वक्ताओं, प्रतिभागियों और आयोजकों को इस सफल आयोजन में उनके योगदान के लिए आभार व्यक्त किया।
इस वेबिनार में शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, चिकित्सकों और छात्रों की उत्साहजनक भागीदारी देखने को मिली, जिससे यूनानी चिकित्सा के साक्ष्य-आधारित विकास और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ इसके एकीकरण की संभावनाओं को बल मिला। विशेषज्ञों ने यूनानी चिकित्सा को ग़ैर-संक्रामक रोगों के समग्र प्रबंधन में एक प्रभावी और प्राकृतिक समाधान के रूप में प्रस्तुत किया, जिससे इसके मुख्यधारा स्वास्थ्य सेवाओं में समावेश की दिशा में नए अवसर सृजित हुए।

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