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चीन में एक और खतरनाक वायरस के फैलने की खबर ने चिंता में डाल दिया है। बताया जा रहा है यह एक नए तरह का निमोनिया है, जिसके प्रतिदिन 7,000 मामले सामने आ रहे हैं। खासकर बच्चे इसके निशाने पर हैं, जिससे चिंतित विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चीन में लोगों को सावधान किया है। सांस संबंधी बीमारी के खतरे को कम करने के मकसद से लोगों को उसी तरह के उपाय आजमाने पड़ेंगे, जैसे कोरोना के समय आजमाए गए थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन से सूचनाएं साझा करने को कहा है,
क्या इस बार चीन इस नए वायरस के बारे में पूरी सूचनाएं देगा? ताजा वायरस के बारे में शुरुआती सूचनाएं 13 नवंबर से ही सामने आने लगी थीं और काम की सूचना यह भी है कि चीन इस नए वायरस को लेकर सतर्क है। साथ ही, उसने किसी तरह की चिंता से
भी इनकार किया है। सूचना के अनुसार, चीन के उत्तरी क्षेत्रों में पिछले तीन वर्षों की इसी अवधि में इंफ्लूएंजा जैसी बीमारी में बढ़त देखी जाती है। क्या यह केवल मौसमी समस्या है? अगर मौसमी समस्या है, तो चीन इसे स्थायी रूप से रोकने के क्या उपाय कर रहा है ?
उत्तरी चीन में बच्चों में देखा जा रहा यह इन्फ्लूएंजा एक अज्ञात निमोनिया की वजह बन रहा है। दुनिया के देश चीन से यही उम्मीद करेंगे कि वह इस बार किसी भी तरह की गंभीर सूचना न छिपाए। अपने ही स्तर पर संक्रमण को रोक ले। चीन में अगर यह इन्फ्लूएंजा फैला, तो जाहिर है, उसके नाम पर भी बट्टा लगेगा। चीन खुद को महाशक्ति के रूप में पेश करता है, लेकिन अगर वह पूरी सख्ती के बावजूद संक्रामक बीमारियों से लड़ने में नाकाम रहता है, तो इससे दुनिया के उन देशों तक खराब संदेश जाएगा, जो चीन से उम्मीद रखते हैं।
यह तो अपने आप में संगीन मामला है कि आखिर चीन में अज्ञात बीमारियां क्यों ज्यादा फैल रही हैं? श्वसन संक्रमण का खतरा अगर चीन में ज्यादा बढ़ा है, तो इसकी वजह जरूर खोजनी चाहिए। अनेक देशों में श्वसन संबंधी समस्या नगण्य है, जबकि चीन में गर श्वसन रोग के मामले ज्यादा हैं, तो चीनी अधिकारियों व नेताओं को गंभीर हो जाना चाहिए। चीन आलोचना को सकारात्मक ढंग से ले, तो यह उसके लिए भी बेहतर है। कोरोना के समय उसका जो रुख था, वह इतिहास में दर्ज है। पूरी सख्ती या तल्खी के साथ चीन ने किसी तरह के आरोप को खारिज किया था, पर अब अगर वहां से नए वायरस का सिलसिला न थमे, तो चीनी तल्खी बेरहमी में गिनी जाएगी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी अब ज्यादा जिम्मेदारी का परिचय देना चाहिए। चीन के प्रति उसके उदार रवैये की निंदा पहले भी हो चुकी है। संगठन की टीम चीन गई थी, पर दुनिया में करीब 70 लाख लोगों की जान लेने वाला कोरोना वायरस किसी प्रयोगशाला से निकला था या किसी जानवर की वजह से फैला था यह तय नहीं हो पाया। वैसे चीन में फैलती बीमारियो पर वहां के डॉक्टरों और चिकित्सकों को भी ज्यादा मुस्तैदी से काम करना होगा। यदि वहां खान-पान या रहन-सहन में खराबी आ गई है, तो स्वस्थ दुनिया के लिए सुधार के बड़े प्रयास होने चाहिए। जब चीन नाना प्रकार के खाद्य-अखाद्य उत्पाद दुनिया में बेचता है, तब तो यह सोचना ही होगा कि हम इंसानों की रोग प्रतिरोधक क्षमता क्यों कमजोर होती जा रही हैं। इतना ही नहीं, दुनिया भर में तमाम ऐसे व्यवसायों या खानपान को रोकना होगा, जिनसे सेहत को बहुत नुकसान पहुंच रहा है।