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छोटी जनजातियों का अस्तित्व खतरे में : पश्चिम कार्बी आंग्लांग में मशाल जुलूस, सीएम ने की वार्ता की घोषणा

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पंकज चौहान, खेरनी, १ दिसंबर : असम मंत्रिमंडल के उस हालिया फैसले के खिलाफ पश्चिम कार्बी आंग्लांग जिले में शनिवार शाम को भारी विरोध प्रदर्शन हुआ, जिसमें ताई अहोम, चुतिया, मोरान, मटक, कोच-राजबोंगशी और चाय जनजाति (आदिवासी) इन छह बड़े आबादी वाले समुदायों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की सिफारिश की गई है।
कार्बी स्टूडेंट्स एसोसिएशन (केएसए), गारो स्टूडेंट्स यूनियन (जीएसयू), ऑल तिवा स्टूडेंट्स यूनियन (एटीएसयू) सहित कई आदिवासी छात्र संगठनों के बैनर तले सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने डांका के सातगांव में विशाल मशाल जुलूस निकाला और जोरदार नारेबाजी की।
प्रदर्शनकारियों ने इस फैसले को “वर्तमान अनुसूचित जनजातियों, विशेषकर छोटी पहाड़ी जनजातियों के हितों के लिए अत्यंत हानिकारक” करार दिया। उनका कहना है कि इतनी बड़ी आबादी वाले इन समुदायों को एसटी सूची में शामिल करने से संवैधानिक सुरक्षा प्रावधान कमजोर पड़ जाएंगे और शिक्षा तथा नौकरियों में सीमित आरक्षण लाभ के लिए प्रतिस्पर्धा बेहद तीव्र हो जाएगी, जिससे मौजूदा छोटी जनजातियां सबसे ज्यादा प्रभावित होंगी।
मंत्रिमंडल के फैसले और छह समुदायों के पक्ष में बनी मंत्रियों के समूह (जीओएम) की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद से पूरे असम में इसी तरह के विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
विरोध को देखते हुए मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व शर्मा ने घोषणा की है कि राज्य सरकार शीघ्र ही सभी विरोध कर रहे संगठनों के प्रतिनिधियों को विस्तृत चर्चा के लिए आमंत्रित करेगी और उनकी चिंताओं को दूर करने की कोशिश करेगी।
फिलहाल पश्चिम कार्बी आंग्लांग सहित अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में आदिवासी संगठनों ने आगे भी बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है।

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