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जंतर मंतर पर राष्ट्र विरोधियों की एकत्रित होती भीड़ आचार्य आनंद शास्त्री

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खालिस्तान पाइंदाबाद का एक और घिनौना अवतार– 

आज जंतर मंतर पर विगत २०१९ से जन आंदोलन के नामपर जिस प्रकार खालिस्तान और एक साम्प्रदायिक घटक द्वारा राष्ट्र-विरोधी तत्त्वों की भीड़ इकट्ठी की जा रही है, यह अत्यंत ही निन्दनीय तथा चिन्तित करनी वाली है, आप स्वयं ही देखें ! एन•आर•सी• के विरुद्ध अर्थात जे•एन•यू•में कुछेक नक्सली तथाकथित छात्र सरकारी पैसों पर बार-बार फेल होकर आवारागर्दी करने वालों द्वारा जिस प्रकार अराजकता फैलाकर समूचे देश का ध्यान आकर्षित किया गया ! इसे आप क्या कहेंगे ?

अर्थात ऑपरेशन ब्लू•स्टार• के विरोध में -“खुशवंत सिंह” जी ने अपना पुरस्कार लौटाकर खालिस्तान का समर्थन किया ये कहना कहीं से भी आपत्तिजनक नहीं होगा।

किसान(?) आंदोलन के समर्थन में हॉकी ओलंपियन गुरमेल सिंह, अर्जुन पुरस्कार विजेता कबड्डी खिलाड़ी हरदीप सिंह तथा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित भारोत्तोलक तारा सिंह, पूर्व राष्ट्रीय मुक्केबाजी कोच गुरबख्श सिंह संधू, पद्मश्री से सम्मानित मुक्केबाज कौर सिंह तथा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित मुक्केबाज जयपाल सिंह ने अपने पुरस्कार लौटाने की घोषणा की थी ! और ये सभी एक विशेष ऐसे प्रान्त से सम्बंधित हैं जो कहीं न कहीं खालिस्तानियों द्वारा लगायी आग में झुलस रहा है।

जंतर मंतर पर इकट्ठी हुयी तथाकथित किसानों की वह भीड़ जिसने भारत-वर्ष के गणतंत्र दिवस पर आयोजित २६ जनवरी की परेड के तत्काल बाद लाल किले पर अराजकता फैलाने और शांत सुरक्षा बलों को पीटने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।

और यही भीड २३ अप्रैल से पुनश्च तथाकथित पहलवानों के समर्थन के नाम पर किसानों के छद्म वेष में इकट्ठी होनी प्रारम्भ होती जा रही है ।

बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक द्वारा–“संदेहास्पद यौन-शोषण” के नाम पर धरने(?)पर बैठना गलत है ! सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इसकी जांच के लिये समिति का गठन कर दिया है, अब जिन्हें सर्वोच्य न्यायालय पर ही विश्वास नहीं है, उनके समर्थन में सबसे पहले तथाकथित किसानों की वही भीड़ आ चुकी है, जिसने दिल्ली को पहले भी रौंदने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी ! आप देखें तो ! वहाँ खुलेआम नारे लगाये जा रहे हैं कि-“मोदी योगी तेरी कब्र खुदेगी ” ?

हमारे आपके द्वारा कमरतोड़ परिश्रम कर दिये गये राजस्व से जे•एन•यू• के कुछेक नक्सलियों को आरक्षण के नाम पर मिलती छात्रवृत्ति, नाना खेल उपक्रमों में खिलाड़ियों पर होने वाला व्यय, नाना राज्य सरकारों द्वारा वोट के लिये बांटी जाती रेवडियों, गेहूं को जानबूझकर सडा कर उसका सरकार घोषित मूल्य लेना, और तिसपर भी इन उपद्रवियों के कारण पुलिस बलों पर होता अपव्यय इन्हें अपने राजनैतिक स्वार्थों के लिये उकसाने और अंध-समर्थन देने वाले राजनैतिक दल क्यूँ नहीं समझते ?

आप देखेंगे कि ये टुकड़े-टुकड़े गैंग वाले लोग अधिक से अधिक एक सप्ताह में जंतर मंतर पर खालिस्तान के झंडे लहराते दिखेंगे,वैसे भी कांग्रेस की सोनिया गांधी जी ने कर्नाटक की सम्प्रभुता की रक्षा करने की बात कहकर देश के एक और टुकड़े करवाने की अपनी मंशा प्रकट कर ही दी है।

सेक्स स्कैंडल(?) ये आरोप लगभग सभी राजनैतिक-सामाजिक संगठनों, बाॅलीवुड, आर्थिक संगठनों पर लगे हैं । केवल भारत ही नहीं विश्व के सभी देशों में लगे हैं ! “मथायी” से लेकर नारायण दत्त तिवारी जी के उन मुद्दों को तो कांग्रेस ने कभी नहीं उठाया  ?

प•बंगाल, केरल, कश्मीर आदि प्रान्तों में हो रहे और हुवे हिन्दूओं पर अत्याचार और हमारी बच्चियों के साथ बलात्कार की हजारों घटनाओं पर कोई किसान (??) जंतर-मंतर पर आज तक  क्यूँ  नहीं दिखा ?

मैं आपको स्मरण दिला दूं कि जलियांवाला काण्ड के विरुद्ध ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रदत्त-“सर” की उपाधि गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर जी ने लौटाकर भारतीय स्वाधीनता संग्राम को अपना समर्थन दिया था, यह सभी जानते है ! आज उनकी आड लेकर किया जा रहा यह कुकृत्य हमारी-आपकी आत्मा को झिंझोड़ने के लिये पर्याप्त है –“आनंद शास्त्री”

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