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असम के होजाई-पश्चिम कार्बी आंग्लोंग जिला सीमा क्षेत्र में कल हुई एक हृदयविदारक घटना ने पूरे इलाके को शोक में डुबो दिया। दो मादा जंगली हाथी जिंदा बिजली के तार से संपर्क में आने के कारण करंट लगने से मर गईं।
यह दर्दनाक हादसा कारीखाना बिल गांव में हुआ, जो कापिली नदी के किनारे स्थित संवेदनशील होजाई-पश्चिम कार्बी आंग्लोंग सीमा क्षेत्र का हिस्सा है और एक जाना-माना हाथी गलियारा है। भोजन की तलाश में निकटवर्ती जंगलों से नियमित रूप से आने वाले झुंड का हिस्सा ये हाथियां मानव बस्तियों व कृषि क्षेत्रों में भटक गई थीं। वहां फसलों की सुरक्षा के लिए किसानों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली ‘जटका मशीन’ (बिजली की तार वाली बाड़) से संपर्क होने पर उनकी तत्काल मौत हो गई।
यह घटना कोई अलग-थलग मामला नहीं है। घटते आवास और भोजन की कमी के बीच होजाई तथा पश्चिम कार्बी आंग्लोंग सीमा क्षेत्रों में मानव-हाथी संघर्ष में तेजी आई है। पूरे साल झुंड भोजन की खोज में भटकते रहते हैं। असम में ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही हैं, जो हाथी गलियारों में सह-अस्तित्व के उपायों की तत्काल जरूरत को रेखांकित करती हैं।
वन एवं पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे और गहन जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक निष्कर्षों में खुले या खराब रखरखाव वाले बिजली तारों को संभावित कारण बताया गया है। एक वरिष्ठ वन अधिकारी ने कहा, “हम सभी पहलुओं की जांच कर रहे हैं ताकि जिम्मेदारी तय की जा सके।”
वन्यजीव संरक्षण के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता जताते हुए विभाग ने घोषणा की कि वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, १९७२ के तहत दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी और उन्हें उचित सजा मिलेगी। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल सुरक्षा उन्नयन की अपील की गई है।
कई संरक्षणवादियों और स्थानीय लोगों ने आवास बहाली, समुदाय जागरूकता कार्यक्रमों और सख्त प्रवर्तन की मांग की है ताकि असम के प्रतिष्ठित हाथी समूह की रक्षा हो सके। यह घटना राज्य में मानव विकास और वन्यजीव संरक्षण के बीच नाजुक संतुलन की कड़ी याद दिलाती है।





















