शिलचर, 24 जून:
असम के बरखोला विधानसभा क्षेत्र के सोनापुर ग्राम पंचायत अंतर्गत कई परिवार हरांग नदी की तीव्र कटाव से त्रस्त होकर आज भी भारी जोखिम में जीवन गुजारने को विवश हैं। जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण इन परिवारों का भरोसा अब सरकार से उठ चुका है — वे अब केवल भगवान के सहारे अपनी दिनचर्या काट रहे हैं।
हरांग नदी के कटाव ने इन परिवारों से उनकी पुश्तैनी जमीन और घर छीन लिया है। बेघर होने के बाद अब वे सड़क किनारे सरकारी (खास) जमीन पर किसी तरह से झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं। लेकिन यह भी सुरक्षित नहीं — एक ओर उफनती हरांग नदी, दूसरी ओर व्यस्त सार्वजनिक सड़क — इन दोनों के बीच इनका जीवन लगातार खतरे में है।
स्थानीय निवासियों के अनुसार, नदी में ज्वार आते ही स्थिति और भयावह हो जाती है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे उनके घर नदी के बीच समा गए हों। छोटे-छोटे बच्चों को लेकर उन्हें हर पल असुरक्षा और डर के बीच रहना पड़ता है। बारिश के दिनों में घरों का फर्नीचर और आवश्यक सामान तक बर्बाद हो जाता है।
पीड़ित परिवारों का आरोप है कि इन सबकी जानकारी स्थानीय जनप्रतिनिधियों को होने के बावजूद वे चुप्पी साधे हुए हैं। पूर्व विधायक किशोर नाथ द्वारा किए गए वादे कभी पूरे नहीं हुए, और वर्तमान विधायक मिसबाहुल इस्लाम से संपर्क कर पाना भी दूभर हो गया है।
सरकारी मदद की उम्मीद अब न के बराबर रह गई है। ऐसे में ये पीड़ित परिवार केवल ईश्वर पर भरोसा करके हर दिन को एक चुनौती की तरह जी रहे हैं।
स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से अपील है कि वे तुरंत हरांग नदी के कटाव से प्रभावित इन परिवारों की सुध लें और राहत व पुनर्वास के ठोस कदम उठाएं।





















