श्रीनगर, 21 अक्टूबर। गांदरबल में आतंकी हमले में सात लोगों के मारे जाने पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सोमवार को कहा कि पाकिस्तान अभी भी निर्दाेष लोगों की हत्या करने और जम्मू-कश्मीर में शांति भंग करने की कोशिश कर रहा है। सिन्हा ने पुलिस से गांदरबल आतंकी हमले की जांच करने को कहा ताकि पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय मिल सके।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने श्रीनगर पुलिस शहीद दिवस समारोह में कहा कि कल गांदरबल जिले के गुंड में एक निर्माणाधीन सुरंग पर हुए कायरतापूर्ण आतंकी हमले को नहीं भूलेंगे, जिसमें कश्मीर के एक डॉक्टर और छह गैर-स्थानीय मजदूरों की मौत हो गई जबकि पांच लोग घायल हो गए। उन्होंने कहा कि भारत पर पड़ोसी देश की ओर से अभी भी खतरा है। उन्होंने कहा कि यह अभी भी इस क्षेत्र में निर्दाेष लोगों को मारने और यहां शांति को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है। सिन्हा ने कहा कि नशीली दवाओं की तस्करी को रोकने और आतंकवाद विरोधी अभियानों में सुधार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें यहां नशीली दवाओं की तस्करी को रोकने की जरूरत है। हमें संभावित खतरों के बारे में जागरूक होने की जरूरत है। हमें आतंकवाद विरोधी अभियानों में सुधार करने की जरूरत है।
उपराज्यपाल ने कहा कि निर्दाेष लोगों की रक्षा की जानी चाहिए लेकिन दोषियों को बख्शा नहीं जाना चाहिए। उपराज्यपाल ने कर्तव्य निर्वहन के दौरान शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि उनके बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारे सुरक्षा बलों ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी है और उनके सम्मान में बलिदान स्तंभ बनाया गया है। उनका बलिदान सर्वाेच्च है। उन्होंने ड्यूटी पर शहीद हुए सुरक्षाकर्मियों के परिवारों को आश्वासन दिया कि उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य, बीमा कवर और अन्य चीजों का ध्यान रखा जाएगा। हम उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए उनके साथ हैं।
उन्होंने कहा कि लोगों को सुरक्षा बलों के बलिदान का सम्मान करना चाहिए क्योंकि कोई भी राष्ट्र सुरक्षित नहीं होने पर विकास नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि जब भी कोई घटना होती है तो पुलिस को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। इसलिए मैं लोगों से अनुरोध करता हूं कि वे हमारे सुरक्षा बलों के बलिदान का सम्मान करें और उनका हौसला बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि हमें उन्हें सलाम करना चाहिए, क्योंकि सुरक्षाबल न तो हिंदू है, न मुस्लिम और न ही सिख। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों से इस विकास प्रक्रिया में समान रूप से भाग लेने का आह्वान किया।