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सूर्या फाउंडेशन द्वारा संचालित आदर्श ग्राम योजना अंतर्गत वर्तमान में सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें प्रमुख रुप से वृक्षारोपण महाअभियान, 21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस हेतु रजिस्ट्रेशन कार्यक्रम, एवं वेबिनार के माध्यम से ग्राम विकास की बाते और साथ ही जल संरक्षण अभियान चलाया जा रहा है। सबको पता है कि आज जल की महत्ता कितनी बढ़ गई है। *जल है तो कल है, जल ही जीवन है, जीवन का आधार जल है* इस प्रकार के जल संबंधी स्लोगन आज प्रचलित है। हालांकि पृथ्वी पर सबसे ज्यादा जल की मात्रा है किंतु फिर भी आज पीने योग्य जल की बात करें तो 1% से भी कम रह गया हैं। जिसका कारण दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे जल की आवश्यकता चाहे औद्योगिक क्षेत्र हो, फसलों के लिए या दैनिक जीवन में जल की उपयोगिता इन सभी की आवश्यकता समय के अनुसार बढ़ गई है। जिसके कारण आज भूजल स्तर नीचे चला गया है। अतः हम सबको जल संरक्षण हेतु प्रयास करने की आवश्यकता है, जिससे कि भविष्य के लिए जल को बचाया जा सके। जल संरक्षण हम सब को अपने स्वयं से ही शुरुआत करना होंगा। तब ही आज जल की बचत संभव है क्योंकि बहुत सारा जल हमारे दैनिक उपयोग में बर्बाद हो जाता हैं। जैसे ब्रश, सेविंग, नहाने धोने एवं अन्य दैनिक कार्य में उपयोग किया जाने से भी बहुत सारे जल बर्बाद हो रहे हैं। जल संरक्षण की दृष्टि से देखा जाए तो विभिन्न स्थानों में प्रयास किए हैं। जिसमें राजस्थान के लापोड़िया गांव का उदाहरण जहां पानी की कमी के कारण लोग गांव से पलायन शुरू कर दिए थे लेकिन फिर बाद में वहां के लक्ष्मण सिंह अपने साथियों के साथ जल संरक्षण के विषय में कार्य शुरू किए और वहां *चौका सिस्टम* विकसित किया।
जिसमें वर्षा जल को संग्रहित कर फसल के लिए एवं अन्य कामों के उपयोग किया जाने लगा। जिसके परिणाम स्वरूप वहां का भू जलस्तर भी ऊपर आ गया और आज वह अपने गांव के साथ साथ आसपास के 58 गांव में भी जल सप्लाई का कार्य कर रहे हैं। ऐसे ही मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले के आसपास के किसान द्वारा अपने खेतों में गड्ढा खोदकर जल संचय कर वर्षा जल को फसल के उपयोग में लाने का काम कर रहे हैं, ऐसे ही छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले नरवा परियोजना के तहत विशिष्ट कार्य करने और जल संरक्षण करने के कारण पूरे भारत में प्रथम स्थान रहा। ऐसे ही वाटर हार्वेस्टिंग के माध्यम से वर्षा जल को संग्रहित कर भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए कार्य किया जा रहा है। फाउंडेशन द्वारा भी इस प्रकार के कार्यों को बढ़ावा देने के लिए गांव में जन जागरण अभियान चलाया जा रहे हैं। जिसमें संस्कार केंद्र के भैया बहनों द्वारा चित्रकला, भाषण लेखन, संभाषण प्रतियोगिता छोटे-छोटे जागरूकता रैली, बड़े लोगों के छोटी-छोटी गोष्टी के माध्यम से जल संरक्षण अभियान चलाया जा रहा है।
जल संरक्षण के लिए हम सबको 4R सिद्धांत को अपनाना होगा। जिसमें पहला *Reduce (उपयोग कम करना),* हमे जल के उपयोग करने की मात्रा को कम करने होंगे, चाहे वो दैनिक जीवन में, खेतो में या कल कारखानों में कम से कम जल का उपयोग कर कार्य करने होंगे। दूसरा *Reuse (पुनः उपयोग करना)* हमे जल का उपयोग बार बार करने होंगे जैसे नहाने, कपड़े धोने, बर्तन धोने के पानी का पौधो , पार्कों आदि में प्रयोग करना। RO से निकलने वाले पानी को बर्तन धोने, कपड़े धोने में किया जा सकता है। तीसरा *Recycle (पुनः चक्रित करना)* जो पानी खराब है उपयोग योग्य नही है उन्हे फिल्टर कर उसे उपयोग करना, जाए नाले का पानी, शौचालय का पानी आदि को चक्रित कर खेतो पार्कों एवम गार्डन में प्रयोग किया जा सकता है। और चौथा *Recover (पुनः प्राप्ति करना)* हम सब को पता है हम पानी बना नही सकते केवल बचा सकते है। अतः वर्ष जल को तालाब, कुआं, जलाशय, बांध और वाटर हार्वेस्टिंग के मध्यम से हम भूजल स्तर को बढ़ा सकते है। इन चार सिद्धांत के माध्यम से हम अधिक से अधिक जल का संचय एवं संरक्षण कर सकते हैं। सूर्या फाउंडेशन इन्ही सिद्धांतो के मध्यम से देश भर में जागरूकता अभियान चालू किया है जिससे वर्षा जल संरक्षण हेतु पहले से तैयारी कर सके और अधिक से अधिक जल संरक्षण में मदद मिल सके। उपरोक्त जानकारी सूर्या फाउंडेशन के पूर्वोत्तर क्षेत्र के क्षेत्र प्रमुख गजानन चौहान ने प्रदान की।