जहां कभी गूंजती थी गोलियों की आवाज, अब गूंज रहे वेद मंत्र – राजा गोविंद चंद आर्ष गुरुकुलम ने रचा नया इतिहास
दिउंगमुख, डीमा हासाओ, 13 सितंबर:
आर्य समाज द्वारा संचालित असम सेवा बोर्ड से मान्यता प्राप्त राजा गोविंद चंद आर्ष गुरुकुलम, जिसकी स्थापना वर्ष 2013 में हुई थी, आज शिक्षा और संस्कार का सशक्त केंद्र बन चुका है। जिस स्थान पर कभी उग्रवादी संगठन DHD का कैंप था और गोलियों-बमों की आवाज गूंजती थी, वहीं आज वेद मंत्र और राष्ट्रभक्ति की ध्वनि वातावरण को आलोकित कर रही है।

विद्यालय में वर्तमान में 220 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं, जिनमें से 103 छात्र और 36 छात्राएँ छात्रावास में निवासरत हैं। यहां शिक्षा व्यवस्था दसवीं तक उपलब्ध है। गुरुकुलम के 13 शिक्षण एवं 4 गैर-शिक्षण कर्मचारी निरंतर विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में लगे हुए हैं। गर्व की बात है कि यहां का एक छात्र MBBS की पढ़ाई कर रहा है, जो संस्था की गुणवत्ता का प्रमाण है।
इस अवसर पर विश्व हिंदू परिषद के क्षेत्र संगठन मंत्री दिनेश कुमार तिवारी, प्रांत संगठन मंत्री दिलीप कुमार देव, विभाग संगठन मंत्री विक्रम सिंह, वरिष्ठ पत्रकार दिलीप कुमार, वरिष्ठ कार्यकर्ता अशोक केजरीवाल, समाजसेवी देनाथ लांथासा, सुदर्शन जौहरी, चंदन लांथासा, राहुल फारबोशा तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में गुरुकुलम के विद्यार्थियों ने अतिथियों का पारंपरिक दुपट्टे से स्वागत किया और देशभक्ति गीत एवं भजनों की मधुर प्रस्तुति दी। अपने संबोधन में अतिथियों ने गुरुकुलम की अनुशासित शिक्षा पद्धति और सांस्कृतिक धारा की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्थान असम के सामाजिक परिवर्तन का जीवंत उदाहरण है।
उल्लेखनीय है कि गुरुकुलम के प्रधान आचार्य महेंद्रजी ने बताया कि यहां आज भी DHD संगठन का शहीद स्मृति संग्रहालय मौजूद है, जो अतीत की याद दिलाता है। लेकिन अब यह स्थल अंधकार से प्रकाश की ओर, हिंसा से शिक्षा और संस्कृति की ओर बढ़ते ऐतिहासिक बदलाव का साक्षी बन चुका है।





















