1947 में जब भारत आजाद हुआ तो उसके बाद शहरीकरण तेजी से बढ़ा. नए भारत में प्रशासनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए ये लगने लगा कि कुछ नए शहर बनाए जाने चाहिए. इस क्रम में सबसे पहले चंडीगढ़ बनाया गया. ये भारत के शानदार और प्लान सिटी की पहचान बन चुका है. बाद में यही योजना बनाकर कुछ और नए शहर भारत में बनाए गए. अब ये शहर बदलते भारत की पहचान हैं हालांकि ऐसे कुछ फ्यूचर सिटी बसाए जाने की योजना बन चुकी है.
पहले हम आपको बताते हैं कि देश का पहला नया शहर कैसे बना और कितने दिन में पूरा हो पाया. भारत के आजाद होने से पहले पंजाब की राजधानी लाहौर थी. बंटवारे के बाद लाहौर पाकिस्तान में चला गया. अब ये पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की राजधानी है. ऐसे में पंजाब का जो हिस्सा भारत में आया. उसके लिए नई राजधानी बनाने की जरूरत महसूस हुई.
सबसे पहले बनाया गया चंडीगढ़
चंडीगढ़ की कल्पना न केवल पूर्वी पंजाब की राजधानी के रूप में की गई बल्कि पश्चिमी पंजाब से उखाड़े गए हजारों शरणार्थियों को फिर से बसाने के लिए भी की गई. शहर की आधारशिला 1952 में रखी गई. इसका निर्माण 1950 के दशक की शुरुआत में शुरू हुआ. शहर का मास्टर प्लान स्विस-फ़्रेंच वास्तुकार ले कोर्बुज़िए ने तैयार किया.
इसे 05 लाख लोगों के लिए बनाया गया
चंडीगढ़ के विकास के शुरुआती चरणों को पूरा करने में कई साल लग गए. शहर की योजना 500,000 की आबादी को समायोजित करने के लिए बनाई गई लेकिन पिछले कुछ दशकों में इसका तेजी से विस्तार हुआ. अब इसकी बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए सिस्टम को अपग्रेड करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
अब आइए बताते हैं कि देश के दूसरे नए शहर कौन से हैं जिन्हें स्मार्ट सिटी की श्रेणी में रखा जाता है, साथ ही उन्हें नए भारत उन शहरों के रूप में देखा जाता है, जो अपने विकास और योजना के कारण बहुत खास कहे जाते हैं.
भुवनेश्वर भी देश के नए शहरों के रूप में बसाया गया. ये अब ओडिशा की राजधानी है. (विकी कामंस)
भुवनेश्वर – 1960 के दशक में पुरी के पडोस में बड़े भूभाग पर इसे विकसित किया गया. इससे पहले ओडिशा की राजधानी कटक थी लेकिन अब ये इस राज्य की राजधानी है. इसे राज्य के बढ़ते प्रशासनिक कामों के कारण डिजाइन किया गया था. इसे देश के सुंदर और नियोजित शहरों में गिना जाता है.
गांधीनगर – 1970 के दशक में ये नया शहर गुजरात की राजधानी के रूप में बनाया गया. इसमें वो सारी चीजें करने की कोशिश की गई, जिसमें आधुनिक शहरी नियोजन की सुविधाएं दी जा सकती थीं. ये अब भी बने नए शहरों में एक उदाहरण की तरह है.
भुवनेश्वर – 1960 के दशक में पुरी के पडोस में बड़े भूभाग पर इसे विकसित किया गया. इससे पहले ओडिशा की राजधानी कटक थी लेकिन अब ये इस राज्य की राजधानी है. इसे राज्य के बढ़ते प्रशासनिक कामों के कारण डिजाइन किया गया था. इसे देश के सुंदर और नियोजित शहरों में गिना जाता है.
गांधीनगर – 1970 के दशक में ये नया शहर गुजरात की राजधानी के रूप में बनाया गया. इसमें वो सारी चीजें करने की कोशिश की गई, जिसमें आधुनिक शहरी नियोजन की सुविधाएं दी जा सकती थीं. ये अब भी बने नए शहरों में एक उदाहरण की तरह है.
नोएडा – 1970 के दशक में दिल्ली में जब भीड़ बढ़ने लगी. आफिस से लेकर तमाम गतिविधियों के कारण दिल्ली पर दबाव ज्यादा महसूस होने लगा तो इसकी सीमा पर पड़ोसी राज्य यूपी में एक नए शहर की योजना बनाई गई. माना जाता है कि इस शहर की योजना मुख्यतौर पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी और संजय गांधी की थी.
नोएडा अब देश के खास और आगे बढ़ते शहरों में शुमार हो चुका है. इसको बनाने की योजना 1970 के दशक के शुरुआत में बनी थी.
1976 के आसपास इसने एक अलग तरह के शहर का रूप ले लिया. लेकिन इसका तेजी से विकास जारी है. ये अब एक महत्वपूर्ण शहरी केंद्र और आईटी के साथ औद्योगिक केंद्र के तौर पर विकसित हो चुका है. इसे देश के स्मार्ट सिटी में गिना जाता है. जहां हर तरह की सुविधाएं मौजूद हैं.
गिफ्ट सिटी – 2000 के दशक में इसे गुजरात में लांच किया गया, ये एक ग्रीनफील्ड स्मार्ट सिटी है जिसका लक्ष्य वैश्विक वित्तीय केंद्र बनना है.
ये गांधीनगर है, जिसको 70 के दशक में नए शहर और गुजरात की नई राजधानी के तौर पर बनाना शुरू किया गया था. (विकी कामंस)
नया रायपुर – 2000 के दशक में छत्तीसगढ़ की राजधानी के रूप में योजनाबद्ध तरीके से इसे विकसित करना शुरू किया गया. इसे आधुनिक बुनियादी ढांचे और सुविधाएं प्रदान करने के लिए विकसित किया गया.
ग्रेटर नोएडा – इस शहर की योजना की शुरुआत 1991 में नोएडा के विस्तार के रूप में की गई. इसकी योजना औद्योगिक विकास को समायोजित करने और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की बढ़ती आबादी के बोझ को सहने के लिए आवासीय विकल्प देने के लिए बनाई गई.
गुड़गांव (गुरुग्राम) – गुड़गांव को शुरू में 1970 के दशक में विकसित किया गया लेकिन महत्वपूर्ण शहरी नियोजन और विकास 1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में हुआ. अब ये शहर एक प्रमुख वित्तीय और प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में जाना जाता है, इसने कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों और रियल एस्टेट विकास को आकर्षित किया है.
कुल मिलाकर आज़ादी के बाद से कई देश में कई प्लान सिटी बने. जो अब देश में अपनी खास पहचान रखते हैं. ये तेज शहरीकरण और आर्थिक विकास के लिहाज से बनाया गया था. उस दिशा में ये बेहतर काम कर रहे हैं. मौजूदा केंद्र सरकार शहरी नियोजन प्रयासों को और बढ़ाने के लिए विभिन्न राज्यों में 08 नए शहरों को विकसित करने के काम को हरी झंडी दी है.
क्या होती है नए शहर बनाने में खास चुनौतियां
पैसा – बड़े पैमाने पर शहरी विकास परियोजनाओं के लिए पर्याप्त वित्तपोषण सुरक्षित करना एक बड़ी चुनौती होती है.सरकार वित्तीय चुनौतियों से निपटने के लिए कदम उठा रही है.
तालमेल – केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और स्थानीय एजेंसियों के बीच असरदार तालमेल बिठाना होता है लेकिन कई बार इसमें बहुत दिक्कतें होती हैं. विभिन्न प्राधिकरणों से समय पर अनुमोदन और मंजूरी बड़ी चुनौती होती है.
मास्टर प्लान – भारत के अधिकांश शहरों में व्यापक मास्टर प्लान और विकास योजनाओं का अभाव है, जो स्मार्ट सिटी के लिए जरूरी होता है.
भूमि उपलब्धता एवं भूमि अधिग्रहण – ग्रीनफील्ड शहर के विकास के लिए उपयुक्त भूमि प्राप्त करना बहुत मुश्किल होता है.