22 साल की दिशा रवि (Disha Ravi) को सोशल मीडिया पर मासूम बताया जा रहा है. लेकिन हमें लगता है कि जिस देश में लोगों को 18 साल की उम्र में वोट देने का अधिकार मिल जाता है, उस देश में अपराध को छिपाने के लिए उम्र को बैसाखी बनाना एक मानसिक बीमारी है .
नई दिल्ली: आज हम सबसे पहले वर्ष 1857 के विद्रोह की तस्वीर की बात करेंगे. ये विद्रोह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ भारत के लोगों की पहली अभिव्यक्ति थी और तब अंग्रेजों के शासन को ललकारा गया था. उस समय तलवारें, बंदूक और मशालें विद्रोह के टूल्स हुआ करते थे. दुश्मन हाथी और घोड़ों पर आते थे और युद्ध रणभूमि पर लड़ा जाता था.
डिजिटल युग में बगावत के टूल्स
लेकिन आज के डिजिटल युग में बगावत के टूल्स बदल चुके हैं.अब डिजिटल टूल किट बगावत का नया हथियार बन चुकी है, जिसमें देश के खिलाफ नफरत की गोलियां भरी जाती हैं और ये टूल किट दुनिया में जितने लोगों तक पहुंचती है, समझ लीजिए उतनी ही गोलियां इस युद्ध में चल चुकी है. यानी अब युद्ध रणभूमि पर नहीं, बल्कि इंटरनेट और सोशल मीडिया पर लड़े जाते हैं. आज दुश्मन हाथी और घोड़ों की जगह इंटरनेट के माध्यम से आप तक पहुंचते हैं और अब मशालों की जगह फेक न्यूज से विद्रोह की आग भड़काई जाती है. सरल शब्दों में कहें तो अब विद्रोह का चरित्र और इसकी वास्तविकता बदल चुकी है और इसीलिए आज हम आपको विद्रोह की नई टूलकिट के बारे में बताएंगे. लेकिन सबसे पहले आपको असली भारत के दर्शन कराते हैं, जिसकी आज कल हमारे देश में ज्यादा चर्चा नहीं होती.
– भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी इकोनॉमी है.
– भारत के पास दुनिया की चौथी सबसे शक्तिशाली सेना है.
– दवा निर्माताओं की सूची में भारत विश्व में पहले नंबर पर है.
– और दुनिया में सबसे ज्यादा अनाज का उत्पादन भारत में होता है.
अब आप खुद से ये सवाल पूछिए कि क्या अपने देश के बारे में सोचते हुए आपके मन में ये बातें आती हैं? आपका जवाब शायद न में होगा क्योंकि, भारत में अक्सर लोगों के मन में हमारे देश को लेकर नकारात्मक विचारों की एंट्री करवा दी जाती है और आज भी कुछ ऐसा ही हुआ है. आज कहा जा रहा है कि भारत जैसा विशाल देश 22 साल की एक लड़की से डर गया.
कैसे सामने आया दिशा रवि का नाम?
इस लड़की का नाम है दिशा रवि (Disha Ravi), जिसे दिल्ली पुलिस ने 13 फरवरी को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया था. सोचिए, इस लड़की पर देशद्रोह का आरोप है और दिल्ली पुलिस ने कहा है कि जो टूल किट भारत की छवि को खराब करने के लिए बनाई गई थी, उसकी फाउंडर यही 22 साल की लड़की है. लेकिन आज इस लड़की के अपराध से ज्यादा इसकी उम्र की चर्चा हो रही है. सोशल मीडिया पर इसकी रिहाई के लिए अभियान चलाया जा रहा है और ट्विटर पर इसके नाम से जुड़े हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं और कहा जा रहा है कि भारत 22 साल की एक मासूम बच्ची से डर गया.
हमें लगता है कि जिस देश में लोगों को 18 साल की उम्र में वोट देने का अधिकार मिल जाता है, उस देश में अपराध को छिपाने के लिए उम्र को बैसाखी बनाना एक मानसिक बीमारी है और हम चाहते हैं आज आप इस बीमारी को अच्छी तरह से पहचान लें. सबसे पहले आपको 22 साल की दिशा रवि नाम की इस लड़की के बारे में बताते हैं, जिसे सोशल मीडिया पर मासूम बताया जा रहा है.
इस लड़की का नाम तब चर्चा में आया जब 13 फरवरी को दिल्ली पुलिस ने इसे बेंगलुरु में इसके घर से गिरफ्तार किया. दिल्ली पुलिस के मुताबिक, इसने बेंगलुरु के ही एक कॉलेज से BBA की पढ़ाई की है और ये Fridays For Future नाम के एक ग्रुप की भी फाउंडर मेंबर है. Fridays For Future दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन को लेकर साथ काम करने वाले पर्यावरण कार्यकर्ताओं का एक समूह है और सबसे अहम कि स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग भी इस ग्रुप का हिस्सा हैं. अब यहां समझने वाली बात ये है कि ग्रेटा थनबर्ग ने ही भारत को बदनाम करने के लिए बनाई गई टूल किट 3 फरवरी को अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर की थी. तब हमने आपको इस टूलकिट के बारे में सबसे पहले बताया था और आपको इस टूलकिट के पीछे का चेहरा भी दिखाया था. ये चेहरा था, Poetic Justice Foundation के मोनमिंदर सिंह धालीवाल का.
Poetic Justice Foundation कनाडा का एक NGO है और दिल्ली पुलिस के मुताबिक, किसान आंदोलन की आड़ में ये एनजीओ भारत में खालिस्तान के एजेंडे को मजबूत कर रहा है.
ग्रेटा थनबर्ग को दिशा रवि ने ही भेजी थी टूलकिट
अब आप सोच रहे होंगे कि ये सब बातें तो पहले से लोगों के बीच में हैं तो फिर दिशा रवि को पुलिस ने क्यों गिरफ्तार किया, तो इसकी वजह भी आपको बताते हैं.
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, असल में ग्रेटा थनबर्ग ने जो टूल किट ट्विटर पर अपलोड की थी, वो दिशा रवि ने ही उन्हें भेजी थी. ये टूलकिट तीन लोगों ने मिल कर तैयार की थी – पहली दिशा रवि, जिन्हें कोर्ट ने पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है, दूसरा नाम है निकिता जैकब और तीसरे व्यक्ति का नाम है शांतनु. निकिता जैकब और शांतनु अब भी फरार हैं.
हालांकि निकिता जैकब को गिरफ्तार करने के लिए दिल्ली पुलिस की एक टीम मुंबई भी पहुंची थी लेकिन एक दिन बाद मिलने की बात कहकर निकिता जैकब फरार हो गई.
पुलिस ने कहा है कि ये तीनों लोग Poetic Justice Foundation के मोनमिंदर सिंह धालीवाल के सम्पर्क में थे, जो कनाडा मे बैठ कर भारत को बदनाम करने के लिए स्क्रिप्ट लिख रहा है.
दिल्ली पुलिस ने बताया है कि धालीवाल ने अपनी एक दोस्त पुनीत के जरिए भारत में निकिता जैकब से संपर्क किया था.
जूम मीटिंग में तय हुआ कैसे की जाएगी भारत पर डिजिटल स्ट्राइक
इसके बाद 11 जनवरी को Poetic Justice Foundation के द्वारा एक जूम मीटिंग हुई. पुलिस का कहना है कि इसी मीटिंग में ये तय हुआ था कि 26 जनवरी को जब भारत में गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा होगा तब कैसे दुनियाभर में प्रदर्शन होंगे, कैसे भारत पर डिजिटल स्ट्राइक की जाएगी और कैसे Ask India Why नाम से ट्विटर पर एक तूफान लाया जाएगा. यानी ये पूरी स्क्रिप्ट पहले ही लिखी जा चुकी थी और जिस हैशटैग पर अमेरिका की मशहूर पॉप सिंगर रिआना और ग्रेटा थनबर्ग ने ट्वीट किया था, उस हैशटैग का जिक्र भी इस स्क्रिप्ट का हिस्सा था. यानी 22 साल की जिस दिशा रवि नाम की लड़की को हमारे ही देश के कुछ लोग मासूम बता रहे हैं, उसने भारत को बदनाम करने के लिए पूरी स्क्रिप्ट लिख दी.
यही नहीं पुलिस का कहना है कि दिशा रवि और इसके साथियों ने ये पहले से ही तय कर लिया था कि भारत में 26 जनवरी के दिन किसानों के बीच गलत और झूठी खबरें फैलाई जाएंगी और आपको याद होगा जब दिल्ली में हिंसा के दौरान एक किसान की मौत हो गई थी तो बहुत से लोगों ने ये फेक न्यूज़ फैला दी थी कि इस किसान की मौत पुलिस की गोली लगने से हुई है, जबकि सच ये था कि ये किसान ट्रैक्टर पलटने से मरा था.
आज जब हमने इन सभी कड़ियों को आपस में जोड़ना शुरू किया तो हम इस नतीजे पर पहुंचे कि किसान आंदोलन के नाम पर भारत में इस समय जो कुछ हो रहा है, उसके पीछे बहुत बड़ी बड़ी ताकतें हैं और आज दिल्ली पुलिस ने भी इस बात को मान लिया है.
देशद्रोह के आरोपों से ज्यादा उम्र की चर्चा क्यों?
आज सोशल मीडिया से लेकर मेनस्ट्रीम मीडिया में ये धारणा बनाई जा रही है कि दिशा रवि सिर्फ 22 साल की है. उस पर लगे देशद्रोह के आरोपों से ज्यादा उसकी उम्र की चर्चा हो रही है और हमारे देश के डिजाइनर पत्रकार, बुद्धिजीवी और नेता उसकी गिरफ्तारी को लोकतंत्र पर हमला बता रहे हैं. यानी ये लोग देश के साथ नहीं दिशा रवि के साथ खड़े हैं और हम चाहते हैं कि आज आप इन लोगों की मानसिकता को भी समझें.
-भारत के नागरिकों को 18 वर्ष की उम्र में वोट डालने का अधिकार मिल जाता है.
-भारतीय कानून के अनुसार 18 साल की लड़की और 21 साल का लड़का अपनी मर्जी से शादी कर सकते हैं.
-21 साल के लड़के और लड़कियों के लिए अधिकतर राज्यों में Liquor Shop से शराब खरीदना गैर कानूनी नहीं है.
-भारत में 21 साल की उम्र में सरपंच या पंचायत समिति का सदस्य बना जा सकता है.
-18 वर्ष की उम्र में अपने नाम पर सम्पत्ति खरीदी जा सकती है.
-और 21 वर्ष की उम्र आप किसी भी शहर के कलेक्टर बन सकते हैं.
अब आप समझ गए होंगे कि दिशा रवि कोई मासूम बच्ची नहीं हैं. उसने अपराध किया है और इस अपराध के लिए उम्र के नाम पर डिस्काउंट मांगना केवल एक प्रोपेगेंडा का हिस्सा है और कुछ नहीं है.
किसान आंदोलन से जुड़ी तीन गलत धारणाएं
आज हम किसान आंदोलन से जुड़ी तीन गलत धारणाओं के बारे में भी आपको बताते हैं.
पहली धारणा तो यही है कि दिशा रवि सिर्फ 22 साल की लड़की है और उसे गिरफ्तार करना गलत है. कुछ मुट्ठीभर लोग इस गलत धारणा को मजबूत कर रहे हैं कि भारत 22 साल की एक लड़की से डर गया है.
सोचिए जिस देश की सांस्कृतिक विरासत 5 हजार वर्षों पुरानी है, उस देश को लेकर ये नैरेटिव लोगों के बीच बनाया जा रहा है और हमें लगता है कि ये बहुत खतरनाक है क्योंकि, जब इस तरह से लोगों की राय बनाई और बिगाड़ी जाती है तो उन्हें अपने देश का हित धुंधला नजर आने लगता है.
दूसरी धारणा ये कि SUV और महंगी गाड़ियों में चलने वाले किसान भी गरीब हैं. बार बार ये कहा जाता है कि हमारे देश का गरीब अन्नदाता सड़कों पर ठंड में ठिठुर रहा है. लेकिन जब आप हकीकत के करीब जाते हैं तो पता चलता है कि जिन किसानों को गरीब बताया जा रहा है, उनके पास चलने के लिए SUV और दूसरी महंगी गाड़ियां हैं. लेकिन जब ये बात आपके दिमाग में बैठा दी जाती है कि किसान तो गरीब होता है तो आप SUV में चलने वाले किसानों को भी गरीब अन्नदाता कहने लगते हैं.
तीसरी धारणा ये कि सरकार अहंकार में है और किसानों से बातचीत नहीं कर रही, जबकि सच ये है कि सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है और सरकार ने किसानों से ये तक कह दिया है कि वो नए कृषि कानून को डेढ़ साल के लिए होल्ड पर रखने के लिए तैयार है. लेकिन किसान बातचीत से साफ इनकार कर रहे हैं. लेकिन धारणा ये बन चुकी है कि सरकार बातचीत नहीं कर रही.
साभार जी न्यूज़