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ज्ञान, चरित्र और आदर्श से हम भारत को विश्व गुरु बनाएंगे-महामहिम राज्यपाल

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यशवंत पांडेय शिलकुड़ी 22 मई। एनआईटी शिलचर के सभागार में महामहिम राष्ट्रपति ने कहा,  मैं उस प्रौद्योगिकी संस्थान में खड़ा हूं जो प्रौद्योगिकी के माध्यम से भारत को श्रेष्ठ भारत बनाने के लिए प्रयत्नशील है। अपने भाषण में एनआईटी के निदेशक ने बताया कि 1966 में रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में स्थापित हुआ था और 2002 में  एनआईटी शिलचर के रूप में परिवर्तित हुआ और भारत में इसका  स्थान दूसरे नम्बर है, इसके लिए सभी अध्यापकों और छात्र छात्र का भी आभार प्रकट कर रहा हूं। मैं सोचता हूं कि भारत केवल भारत के रूप में जाना जाता है सो भाषण के जरिए नहीं, हमारे यहां के विद्वानों ने जो शिक्षा के माध्यम से ज्ञान अर्जित किया और ज्ञान अर्जित करने के बाद उस ज्ञान से दुनिया को समझाने का जो प्रयत्न किया यही सही शिक्षा प्रणाली है।

यह जो विद्वता है वह शिक्षा मंदिरों में ही तैयार होती है , और यहां पर एक से एक विद्वान व्यक्तियों को उत्पन्न करने का मौका मिला। हमारे लोगों ने अपनी बुद्धिमता से, अपने परीक्षण से दुनिया को दिखाया था कि भारत किसी मायने में कम नहीं है, गुरुकुलों के माध्यम से ही इस भारत में एक नहीं अनेक महान विभूतियों को पैदा करने का कार्य  इस शिक्षण संस्थाओं ने किया। हमारा गुलामी का कालखंड और संघर्ष के कालखंड में हमारी शिक्षा व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया गया, उन्होंने भारत को बर्बाद करने का हर तरफ से प्रयत्न किया। लेकिन आजादी के बाद हम लोगों ने पुनः शिक्षण संस्थाओं को खड़ा किया , और भारत को नई दिशा की ओर ले जाने का प्रयत्न करने लगे। जिस तरह 1966 में सिलचर में रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज खुला, ठीक उसी तरह हमारे जयपुर में भी रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज खुला थ। हम शिक्षा के माध्यम से ही आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकते हैं, हम सभी ने कठिन रास्ते को तय करते हुए आगे बढ़े हैं और दुनिया की हम जो पांचवें अर्थ शक्ति के रूप में बने हैं, उसका कारण ही है कि शिक्षा मंदिरों से ही तैयार होने वाला व्यक्ति अपनी विवेक बुद्धि से परीक्षण से, शोध के माध्यम से हम आगे बढ़ने का प्रयास किया, हम अभी भी उस मंजिल तक नहीं पहुंचे हैं, उस नालंदा विश्वविद्यालय की तरह नहीं बने हैं जो दुनिया के लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है, हमें पुणे नालंदा विश्वविद्यालय के तरह बनना है और दुनिया को अपनी तरफ खींचने का प्रयास करना है।

 महामहिम राष्ट्रपति ने कहा कि यहां यह जो एनआईटी सिलचर में जो विद्यार्थी तैयार हो रहे हैं वह भविष्य का भारत तैयार करने वाले हो, भारत आगे किस से बढ़ेगा आप की शिक्षा पद्धति से इस बात का निर्णय हो, हम जो मेहनत कर रहे हैं वह अपने परिवार के लिए ही नहीं वल्कि हमें मेहनत करना है भारत को उस शिखर तक पहुंचाने के लिए जो भारत विश्व गुरु पहले भी था और आज भी उस मुकाम तक पहुंचे इसके लिए  हम सभी को प्रयत्न करना होगा। हम केवल भाषण से विश्व गुरु नहीं बन सकते हैं हमें विश्व गुरु बनने के लिए कड़ी मेहनत के साथ आगे बढ़ना होगा, हमारे प्रधानमंत्री भारत को  ऊंचाई पर ले जाने के लिए प्रयत्नशील है, हम आजादी का 75 वां वर्ष मना रहे हैं जब आजादी का 100 वर्ष पूरे तो हम बेहतरीन स्थान पर रहे इसके लिए हम सभी को प्रयत्न करते रहना है। हम अपने ज्ञान आदर्श और चित्र के माध्यम से ही भारत को विश्व गुरु बनाने का काम कर सकते हैं।

इससे पूर्व एनआईटी सिलचर के नवनियुक्त निदेशक दिलीप कुमार वैद्य एनआईटी से संबंधित अपना विचार हिंदी में प्रस्तुत किया। धन्यवाद ज्ञापन एनआइटीसी चंकी कुलसचिव के एल वैष्णव ने दिया। इस अवसर पर सिलचर कए सांसद डॉक्टर राजदीप राय, कक्षा 8 जिला अधिकारी रोहन कुमार झा पुलिस अधीक्षक नार्मल मेहता समेत सभा कक्ष में एनआईटी सिलचर के फैकल्टी और विद्यार्थी गण उपस्थित थे। सभा का शुभारंभ राष्ट्र गान से हुआ और समापन भी राष्ट्र गान के साथ हुआ। कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने विद्यार्थियों से उनकी प्रश्नों का जवाब भी दिया तत्पश्चात उन्होंने एनआईटी परिसर में वृक्षारोपण भी किया। एनआइटीसी टीचर के कार्यक्रम के बाद महामहिम राज्यपाल असम विश्वविद्यालय के लिए रवाना हुए।

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