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झारखंड के पाकुड़ में मिला चौदह करोड़ साल पुराना जीवाश्म

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अनिल मिश्र/ रांची, 27 फरवरी: झारखंड प्रदेश के पाकुड़ जिले के सदर प्रखंड के सोनाजोड़ी स्थित मटियापहाड़ पर एक अनमोल फोसिल्स (जीवाश्म) की खोज हुई है। इस पेड़ का जीवाश्म लगभग पांच करोड़ वर्ष पुराना माना जा रहा है, जो कार्बोनिफेरस और पर्मियन काल का है। भू विज्ञान विभाग के प्राचार्य और वैज्ञानिक डॉ. रंजीत कुमार सिंह के अनुसार, यह जीवाश्म गोंडवाना लैंड काल का है। जब ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और एशिया एक सुपर महाद्वीप के रूप में जुड़े हुए थे, उस समय का वातावरण नम और गर्म था। ज्वालामुखी विस्फोट के कारण महाद्वीप अलग हुए और लावा ने पेड़-पौधों और जीवों को ढक दिया, जो आज जीवाश्म के रूप में मिल रहे हैं।इस बीच  झारखंड के भूवैज्ञानिकों के लिए खुशखबरी है। यहां भूविज्ञानी डॉ. रंजीत कुमार सिंह और वन रेंजर रामचंद्र पासवान ने दो दिन पहले  क्षेत्र का दौरा किया। इस क्रम में जिले के बरमसिया गांव में एक महत्वपूर्ण खोज सामने आई। यहां पर एक पेट्रोफाइड जीवाश्म की खोज की है। टीम ने एक विशाल वृक्ष के जीवाश्मकृत अवशेषों को पहचाना, जो 10 से 14.5 करोड़ वर्ष पूर्व के हो सकते हैं।इस खोज न केवल वैज्ञानिक समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि स्थानीय समुदाय के लिए भी गर्व का विषय है, क्योंकि यह क्षेत्र की प्राचीन प्राकृतिक विरासत को उजागर करता है। यह जैविक इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। डॉ. सिंह ने बताया कि इस क्षेत्र में और भी अनुसंधान की आवश्यकता है ताकि जीवाश्म की सटीक आयु और उसके पर्यावरणीय संदर्भ को समझा जा सके। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस क्षेत्र को संरक्षित किया जाना चाहिए ताकि भविष्य की पीढ़ियाँ भी इस महत्वपूर्ण विरासत का अध्ययन और सराहना कर सकें।इस संबंध में  वन अधिकारी रामचंद्र पासवान ने स्थानीय समुदाय से अपील की है कि वे इस क्षेत्र की सुरक्षा में सहयोग करें और किसी भी अवैध गतिविधि से बचें जो इस महत्वपूर्ण स्थल को नुकसान पहुँचा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि इस खोज से क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा। इस खोज के बाद भू-वैज्ञानिक व प्रकृति पर्यावरण के शोधार्थी व अन्य इस क्षेत्र का विस्तृत सर्वेक्षण अध्ययन करने की योजना बनाई है ताकि और भी महत्वपूर्ण जानकारियाँ एकत्रित की जा सकें और क्षेत्र की भू वैज्ञानिक हलचल घटना पर्यावरण संरक्षण जैव विविधता और भूवैज्ञानिक इतिहास को संरक्षित किया जा सके।वहीं रणजीत कुमार सिंह का मानना है कि पाकुड़ जिला पेट्रोफाइड फॉसिल का धनी है। बताया कि दशकों से स्थानीय ग्रामीण यह सोचकर जीवाश्म लकड़ी की पूजा करते हैं कि यह आसपास की चट्टानों से अलग है। इस क्षेत्र के विज्ञान और वैज्ञानिक समझ में रुचि रखने वाले आम लोगों के लिए संरक्षित और संरक्षित करने की सख्त जरूरत है। इसे लेकर झारखंड वन विभाग के प्रभागीय वनाधिकारी मनीष तिवारी के साथ भू-विरासत विकास योजना का प्रस्ताव रखा जा रहा है। बताया कि स्थानीय ग्रामीणों, प्रशासकों, वन विभाग, झारखंड राज्य के इकोटूरिज्म के साथ बातचीत की और इस क्षेत्र में एक अलग जियोपार्क कैसे विकसित किया जा सकता है, इस पर चर्चा की जा रही है। इस क्षेत्र में पैलियोबोटैनिकल अनुसंधान की अपार संभावनाओं को देखते हुए भू-स्थलों के व्यवस्थित विकास के लिए अपने अनुभव और ज्ञान को साझा किया ऐसे जीवाश्म वनों का विरासत मूल्य अद्वितीय है और उन्हें उनकी प्राकृतिक स्थितियों में संरक्षित करने की आवश्यकता है।

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