सिलचर, 11फरवरी: सिलचर के टाउन क्लब खेल मैदान में शनिवार को एक भव्य सांस्कृतिक आयोजन देखने को मिला, जब कछार के संरक्षक मंत्री और पीएचई, आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री जयंत मल्लाबरुआ ने खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण, खान और खनिज तथा बराक घाटी विकास मंत्री कौशिक राय, सिलचर विधायक दीपायन चक्रवर्ती, कछार जिला आयुक्त मृदुल यादव और पुलिस अधीक्षक नुमल महत्तो के साथ क्षेत्रीय झुमर नृत्य प्रशिक्षण शिविर में भाग लिया।
‘झुमोर बिनंदिनी’ की भव्य तैयारियों में जुटे कलाकार
कछार, हैलाकांडी और श्रीभूमि जिलों के नर्तकों ने इस शिविर में अपनी प्रतिभा और समर्पण का प्रदर्शन किया। यह प्रशिक्षण गुवाहाटी के सरुसजाई स्टेडियम में 24 फरवरी को होने वाले ‘झुमोर बिनंदिनी’ मेगा इवेंट की तैयारियों का हिस्सा था। झुमर नृत्य असम की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है और इसे संजोने की परंपरा को यह आयोजन सशक्त बनाएगा।
इस अवसर पर, मंत्री जयंत मल्लाबरुआ ने प्रतिभागियों के साथ संवाद किया और झुमर नृत्य की एक रिहर्सल में स्वयं भाग लेकर कलाकारों का हौसला बढ़ाया। उनकी सक्रिय भागीदारी से कार्यक्रम में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ और वहां मौजूद दर्शकों ने जोरदार तालियों के साथ उनका स्वागत किया।
सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की प्रतिबद्धता
कार्यक्रम के बाद मीडियाकर्मियों से बातचीत में मंत्री जयंत मल्लाबरुआ ने असम की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा,
“झुमर नृत्य केवल एक कलात्मक अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि हमारी समृद्ध परंपरा और एकता का प्रतीक है। युवाओं में इस नृत्य के प्रति समर्पण देखना बेहद उत्साहजनक है। मुझे विश्वास है कि सरुसजाई स्टेडियम में उनका प्रदर्शन एक अमिट छाप छोड़ेगा। हमारी सरकार ऐसी सांस्कृतिक विरासतों के संरक्षण और संवर्धन के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।”
24 फरवरी को सरुसजाई स्टेडियम में दिखेगी कला की भव्यता
इस भव्य आयोजन में तीन जिलों से सैकड़ों प्रतिभागी अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे:
✅ कछार: 180 प्रतिभागी (100 नर्तक, 67 वाद्यवादक, 13 मास्टर प्रशिक्षक)
✅ श्रीभूमि: 64 प्रतिभागी (20 नर्तक, 37 वाद्यवादक, 7 मास्टर प्रशिक्षक)
✅ हैलाकांडी: 102 प्रतिभागी (20 नर्तक, 76 वाद्यवादक, 6 मास्टर प्रशिक्षक)
यह मेगा इवेंट लय, परंपरा और एकता का जश्न होगा, जहां झुमर नृत्य की मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ेगी। जीवंत नृत्य मुद्राओं और संगीतमय तालों से सजी यह प्रस्तुति असम की सांस्कृतिक विरासत की महिमा को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करने का एक स्वर्णिम अवसर साबित होगी।





















