मानसून के बीच हाल ही में टमाटर की कीमतों में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है और टमाटर बाजार में सौ से डेढ़ सौ रूपए प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है। पहाड़ी व दूर-दराज के क्षेत्रों में तो इसकी कीमतें और भी अधिक देखने को मिल रही हैं। वास्तव में,पूरे भारत में टमाटर की कीमतों में हालिया बढ़ोतरी चिंता का एक कारण बन गया है। चिंता का कारण इसलिए कि बिना टमाटर के कोई भी सब्जी का जायका वह नहीं रह पाता है जो कि वास्तव में उसका होना चाहिए। इसलिए टमाटर हरेक सब्जी में आवश्यक रूप से इस्तेमाल किया जाता है।भारत में तो टमाटर बहुत से लोगों या यूं कहें कि एक बड़ी जनसंख्या के मुख्य भोजन का प्रमुख हिस्सा है। टमाटर की कीमतों में असाधारण बढ़ोतरी के कारण गरीब आदमी के लिए विशेषकर घर का खर्च उठाना मुश्किल से रहा है। इससे कुपोषण और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा हो सकती है।
बहरहाल, आजकल यह देखने में आ रहा है कि कुछ स्थानों पर तो टमाटर की कीमत दोगुनी से भी अधिक हो गई है, जिससे आम लोगों के लिए टमाटर खरीदना मुश्किल हो गया है। अभी आठ दस दिनों पहले टमाटर के दाम चालीस रूपए किलो के आसपास ही थे कि अचानक पिछले एक सप्ताह से ही टमाटर के दामों में बढ़ोत्तरी हो गई। इसके पीछे आखिर वास्तविक कारण क्या हैं ? क्या मानसून की बारिश के कारण ऐसा हुआ है अथवा टमाटर की कालाबाजारी के कारण यकायक ऐसा हो रहा है ?, इसे जानने समझने की जरूरत है। आम आदमी से लेकर गरीब व अमीर लोग सभी सब्जियों में टमाटर का इस्तेमाल करते हैं और यदि ऐसे में एक कामन सब्जी की कीमतों में यकायक इतना अधिक उछाल आता है, इसके कारणों को जानना जरूरी हो जाता है। यहां जानकारी देना चाहूंगा कि कुछ बरसों पहले प्याज की कीमतों ने सरकार गिरा दी थी और उस समय प्याज सेब से भी महंगा हो गया था और आज यही हाल टमाटर का भी है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इस वर्ष कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। आम चुनाव में तो अभी कुछ देर है इसलिए टमाटर की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार को तत्काल कार्रवाई करने की जरूरत है। आज टमाटर आम व सेब जैसे फलों से बहुत अधिक महंगा बिक रहा है।
हाल फिलहाल,टमाटर की कीमतों में उछाल के कई कारण बताए जा रहे हैं। कुछ लोग मानसून के कारण टमाटर की कीमतों को जिम्मेदार मान रहे हैं तो कुछ जलवायु परिवर्तन को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वास्तव में, टमाटर की खेती के लिए मानसून की बारिश महत्वपूर्ण घटक है और इस साल मानसून में देरी के कारण टमाटर की फसल की पैदावार कम हुई है। आज धरती का तापमान भी लगातार बदलता चला जा रहा है और तापमान भी टमाटर के उत्पादन में एक जिम्मेदार घटक है। वास्तव में, उच्च तापमान ने टमाटर की उपज को कहीं न कहीं प्रभावित किया है, जिससे फसल की पैदावार में गिरावट देखने को मिली है। पिछले कुछ समय में त्योहारों और शादी के सीजन के कारण भी टमाटर की मांग में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। अधिक मांग व सप्लाई कम होने के कारण भी टमाटरों के दामों में बढ़ोत्तरी हुई है। टमाटर की बढ़ती कीमतों को देखते हुए अब सरकार को यह चाहिए कि वह टमाटर की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए मुनाफाखोरों, स्टाकिस्टों की छानबीन करें, उन पर नकेल कसे। मांग के अनुसार जरूरत पड़ने पर टमाटर का आयात भी किया जा सकता है। सरकार को टमाटरों की कीमतों में वृद्धि होने के कारणों की जांच पड़ताल कर एक्शन लेने की जरूरत है। दूसरे शब्दों में कहें तो सरकार को उन सभी समस्याओं का भी समाधान करने की आवश्यकता है जिनके कारण टमाटर की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।
वैसे भारतीय कृषि को मानसून का जुआ कहा गया है, क्यों कि यहां अधिकतर खेती मानसून पर ही निर्भर है। कभी मानसून टाइम पर आता है तो कभी असमय आता है। कभी अतिवृष्टि तो कभी सूखा तो कभी ओलावृष्टि। इससे कृषि पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। फसलें नष्ट हो जातीं हैं और समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अतः आज सरकार को कृषि क्षेत्र की असुरक्षा को कम करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता महत्ती है।भारत बढ़ती आबादी वाला विश्व का एक बड़ा और विकासशील देश है। यहां मध्यम व गरीब लोगों की आबादी अधिक है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक व जरूरी कदम उठाए कि हर किसी को किफायती, अच्छा, पौष्टिक व संतुलित भोजन मिले। आज सरकार को कृषि क्षेत्र में अधिकाधिक निवेश करने की जरूरत है। किसानों को विभिन्न फसलों के उत्पादन के संबंध में पहले से और अधिक प्रोत्साहित करने की जरूरत है। सरकार को यह चाहिए कि वह खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने वाली नीतियाँ विकसित करने की दिशा में आवश्यक व जरूरी कदम उठाए। कालाबाजारी करने वालों, मुनाफाखोरों को भी सबक सिखाने की जरूरत है।
(आर्टिकल का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।)
सुनील कुमार महला,फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार।