74 Views
डिब्रूगढ़ ( असम ), 29 जुलाई, संदीप अग्रवाल
डिब्रूगढ़ के ग्राहम बाजार स्थित श्री पार्श्वनाथ दि० जैन मंदिर में आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के परम शिष्य मुनि श्री 108 अरिजित सागर जी महाराज के निर्देशन एवं सानिध्य में तथा श्री दि० जैन पंचायत के तत्वावधान में श्री देव-शास्त्र गुरु की महापूजन गत 28 जुलाई को जैन श्रावकों द्वारा परंपरागत सौल्लासपूर्वक संपन्न की गई।
उक्त पावन पुनीत अवसर पर श्री मंदिर जी के परिसर में प्रात: स्मरणीय भगवान पार्श्वनाथ की मनोज्ञ प्रतिमा का अभिषेक एवं शांतिधारा जैन श्रावकों द्वारा उपस्थित दर्शनाभिलाषियों के करतल ध्वनियों के बीच संपन्न किया गया । प्रथम कलशाभिषेक करने का सौभाग्य धर्मानुरागी मोती लाल पाण्ड्या को प्राप्त हुआ। इसके बाद सभी जैन श्रावकों ने बारी-बारी से कलशाभिषेक किया। समाज के गणमाण्य व्यक्तियों के आमंत्रण पर मुनि श्री मंदिरजी में प्रवेश कर वेदी में जिनविग्नों का दर्शन कर हार्दिक प्रसन्नता जाहिर की तत्पश्चात् उपस्थित सभी जैन श्रावक एवं श्राविकाओं को बैठने के लिये आदेश दिया। सभी ने महाराज श्री को प्रवचन हेतु निवेदन किया। धर्म सभा का शुभारंभ में दीप प्रज्जवलन (आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी के चित्र ) समक्ष किया गया। मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया | महाराज श्री ने सभा को संबोधन करते हुए बताया कि चित यदि चित प्रसन्न हो तो तन अवश्य स्वस्थ रहेगा। इसके बारे में उन्होंने विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने जिनवाणी के बारे में बताया कि शास्त्र जीवन निर्वाह की कला नहीं जीवन निर्वाण की कला सिखाता हैं। जिनवाणी मां के समान है जिस प्रकार मां बच्चों को स्तनपान करा के हृष्ट-पुष्ट करती है। उसी प्रकार जिनवाणी मां भी अपने पुत्रों को ज्ञान दान देकर आचरण को पुष्ट करती हैं। उन्होंने बताया कि जैन दर्शन में जिनवाणी को आगम कहा गया है । उन्होंने श्रद्धालुओं को स्वाध्याय के प्रति रुचि बढ़ाने को कहा ताकि समाज जैन दर्शन के ज्ञान से परिचित हो सके। प्रवचन समापन पर श्री पार्श्वनाथ भगवान की शांतिधारा की गयी। जिसका सौभाग्य नेमीचंद संजय कुमार पंकज कुमार काला एवं सुन्दरलाल राजकुमार झांझरी को प्राप्त हुआ। इसके तत्पश्चात् देव-शास्त्र गुरु की महापूजन सोल्लासपूर्वक की गई। पूजन की समाप्ति पर पंच परमेष्ठी की सामूहिक आरती उतारी गई।
उपरोक्त कार्यक्रम की समाप्ति पर पंचायत के अध्यक्ष डॉ. महेश झांझरी एवं सचिव अनिल बगडा ने समस्त पूर्वांचल जैन समाज से आग्रह किया कि अध्यात्म गंगा की इस गौरवशाली बेला में पधार कर परम पूज्य मुनिश्री अरिजित सागरजी की अमृत वाणी को अपने जीवन में आत्मसात कर पुण्यार्जन करते हुए अक्षय पुण्य के भागीदार बने। उक्त आशय की जानकारी पंचायत के प्रचार प्रसार सचिव मोती लाल जैन ‘प्रभाकर एवं पंकज गोधा ने संयुक्त रूप से एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिये दी है ।