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हनुमान जी का पावन चरित्र हर जीव को भक्ति का दिव्य संदेश प्रदान करता है – साध्वी पद्महस्ता भारती
डिब्रूगढ़, 24 दिसंबर 2023, संदीप अग्रवाल
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा, जिसके संस्थापक एवं संचालक गुरुदेव सर्व श्री आशुतोष महाराज है, पांच दिवसीय श्री हनुमान कथा का आयोजन डिब्रूगढ़ के माईजान रोड, पल्टन बाजार स्थित काली मंदिर परिसर में हो रहा है | जिसकी शुरुआत आज सुबह बहुत ही भव्य कलश यात्रा से हुई । गायन बायन के साथ कथास्थल से निकली यह कलशयात्रा शहर के प्रमुख मार्गों से होती हुई पुनः कथास्थल पहुंचकर समाप्त हुई, जिसमें क्षेत्र की लगभग २५० सौभाग्यवती महिलाओं ने हिस्सा लिया। नगर के लगभग 800 भक्तों की उपस्थिति ने इस विशाल कलश यात्रा को राममय बना दिया। कथा का वाचन गुरुदेव सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी सुश्री पद्महस्ता भारती जी कर रही है । आज प्रथम दिवस की कथा सुनाते हुए साध्वी जी ने अपने विचारों में बताया कि श्री हनुमान जी का पावन चरित्र हर जीव को भक्ति का दिव्य संदेश प्रदान करता है| प्रत्येक मनुष्य के जीवन का उदेश्य ईश्वर की प्राप्ति व उसका दर्शन प्राप्त करना है| लेकिन संसार में आकर हर जीव इस संसार की चकाचौंध में उलझ कर रह जाता है| माया जीव को परमात्मा से दूर कर देती है| मनुष्य को फिर यह संसार व इसके सांसारिक पदार्थ ही लुभाते हैं जबकि उसके जीवन का लक्ष्य बहुत महान था |
कथा वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि जब जीवन में संत महापुरुष आते हैं तो वह हमारे इसी भ्रम का निवारण करते हैं| वह माया की नींद में सोए जीव को जाग्रत कर उसे आत्मिक जाग्रति के लिए प्रेरित करते हैं | हनुमान जी ने भी लंकिनी, विभीषण जी व अनेक भक्तों को इसी जाग्रति का संदेश दिया | उन्हें सत्संग प्रदान किया | सत्संग का वास्तविक अर्थ बताते हुए साध्वी जी ने कहा कि सत्संग दो शब्दों के मेल से बना शब्द है| जिसका अर्थ होता है- ‘सत्य+संग’| यानि जब सत्य स्वरुप परमात्मा का प्रकटीकरण एक सतगुरु की कृपा से मनुष्य के अंतर्घट में हो जाए , तब मनुष्य अपने जीवन के लक्ष्य को पा लेता है | अर्थात भगवान का दर्शन प्राप्त कर लेता है| तभी उसके जीवन में सच्चे सुख व शांति की प्राप्ति सम्भव हो पाती है और वह भवबंधन से मुक्त हो मुक्ति का अधिकारी बन पाता है |
आज पहले दिन की कथा में कथास्थल पर काफी संख्या में भक्तों की उपस्थिति देखी गयी | आयोजकों द्वारा आगामी चार दिन और चलने वाली उक्त कथा में अधिक से अधिक भक्तों को उपस्तिथ रहकर हनुमंत बाबा की कृपा प्राप्त करने का आग्रह किया गया है |