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डॉ. अभिषेक कुमार उपाध्याय वरिष्ठ शोध अध्येता (पोस्ट डॉक्टरेट) से सम्मानित

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डॉ. अभिषेक कुमार उपाध्याय वरिष्ठ शोध अध्येता (पोस्ट डॉक्टरेट) से सम्मानित।

जम्मू/कठुआ – त्रिकतत्त्वमीमांसा : स्वरूप एवं वैशिष्ट्य (भारतीय दर्शनों के विशेष सन्दर्भ में) जम्मू कश्मीर के काश्मीरी शैवदर्शन के इस महत्वपूर्ण विषय पर गहन अनुसन्धान हेतु डॉ. अभिषेक कुमार उपाध्याय को भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा वरिष्ठ शोध अध्येता (पोस्ट डॉक्टरेट) की उपाधि से विभूषित किया गया। इस गहन अनुसन्धान की उपलब्धि से न केवल जम्मू काश्मीर के शैव एवं शाक्त दर्शन की परम्परा को बल मिलेगा बल्कि अन्य भारतीय दर्शनों की तत्त्वमीमांसा के साथ ही त्रिकदर्शन की गम्भीर, विशिष्ट एवं सर्वग्राहृय तत्वों को समझने में सुलभता मिलेगी। इतनी विशिष्ट एवं तत्त्वों की सबसे अधिक संख्या में होने के बाद भी त्रिकदर्शन की तत्त्वमीमांसा अभी तक वैसे ही उपेक्षित रही जैसे जम्मू कश्मीर भारत का सिरमौर होने के बाद भी उपेक्षित रहा कुछ वर्षों तक। वर्तमान की केन्द्र सरकार की नीति के अंतर्गत उप राज्यपाल महोदय श्रीमान मनोज सिन्हा जी द्वारा जम्मू कश्मीर की प्राचीन संस्कृति एवं भारतीय ज्ञानपरम्परा की महत्वपूर्ण भाषा संस्कृत के उत्थान के लिए कुछ प्रयास किया जा रहा है जो सराहनीय प्रयास है। इस प्रकार के निरन्तर प्रयास से हम अपनी प्राच्य स्थिति को प्राप्त कर सकते हैं।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के सदस्य सचिव प्रो. सच्चिदानंद मिश्रा जी को शोधप्रबन्ध समर्पित करते हुए डॉ. अभिषेक कुमार उपाध्याय
भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के सदस्य सचिव प्रो. सच्चिदानंद मिश्रा जी को शोधप्रबन्ध समर्पित करते हुए डॉ. अभिषेक कुमार उपाध्याय

आध्यात्मिक चिन्तन मनन की तपोभूमि जम्मू कश्मीर वैदिक काल से ही भारतीयदर्शन, धर्म एवं संस्कृति की प्रमुख केन्द्र रही है। यह प्रदेश हमारे राष्ट्र का सिरमौर है, एक ओर यह प्रकृति और पुरुष की अनुपम लीला की रंगभूमि है तो दूसरी ओर मां शारदा के स्वच्छंद विहार की स्थली है। यहां की प्राकृतिक सुषमा कवियों, दार्शनिकों एवं साहित्यशास्त्र के आचार्यों के लिए प्रेरणा का स्वाभाविक स्रोत है। यदि गंभीरता से विचार किया जाए तो काव्यशास्त्र एवं दर्शनशास्त्र को जो इस भूमि ने दिया उसे शताब्दियों बाद के चिंतन और मनन के बाद भी नहीं पाया जा सका। महामहेश्वर आचार्य अभिनव गुप्त जी इसी पवित्र भूमि पर अवतरित यहां की रचना धर्मिता के समुद्र आकाश के सर्वाधिक देदीप्यमान नक्षत्र दर्शन, साहित्य और संगीत के क्षेत्र में एक अद्भुत सारस्वत अवदान के प्रस्तावक विलक्षण प्रज्ञापुरुष स्वयं दर्शन के परमसिद्ध युवापुरुष चिंतन के मूर्धन्य समीक्षक और कई मनीषी इसी पावन पवित्र भूमि की उपज है। उन्हीं के चिन्तन परम्परा में त्रिकदर्शन भी है।

 

जैसे कि विदित है डॉ. अभिषेक कुमार उपाध्याय जो महर्षि भृगु जी की पावन पवित्र भूमि बागी बलिया उत्तर प्रदेश के मूल निवासी है। आप वर्तमान में जम्मू कश्मीर प्रान्त में गुरुकुल एवं मन्दिर सेवा योजना प्रमुख के दायित्व के साथ ही श्री श्री 1008 श्री मौनी बाबा चैरिटेबल ट्रस्ट न्यास के मुख्य न्यासी भी है। डॉ. उपाध्याय प्राच्यविद्या की मूलभाषा संस्कृत जो वेद और विज्ञान, संस्कृत व साइंस के साथ अध्ययन के अनुसंधानात्मक प्रयोग द्वारा सनातन संस्कृति एवं संस्कार को कैसे व्यवस्थित ढंग से संचालित किया जाए इस संकल्प के साथ जम्मू कश्मीर प्रान्त को अपनी कर्मभूमि बनाकर अहरनीश सेवामहे इस ध्येय के साथ कार्य कर रहे है। सत्यनिष्ठा एवं ईमानदारी के साथ सौम्यभाव को धारण किए कार्य के प्रति निष्ठा, यदि इस युवा विद्वान की बात करे तो इतनी कम आयु में इतनी विशिष्ट योग्यता एवं उपलब्धियां भगवान की कृपा से उन्हें प्राप्त हुई जो सराहनीय एवं प्रशंसनीय है।

 

डॉ. उपाध्याय के विषय में कुछ प्रकाश डाले तो आप सिद्धसाधक, तपोमूर्ति सन्त परम श्रद्धेय प्रातः स्मरणीय श्री श्री 1008 श्री मौनी जी महाराज के पौत्र है जिनकी साधूता की ख्याति को कौन नहीं जानता आप उनके पौत्र है। आप अपने जन्मभूमि रत्तिछपरा, रेवती, बलिया उत्तर प्रदेश में प्रारम्भिक शिक्षा से बारहवीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे की शिक्षा ग्रहण करने हेतु काशी आ गए। वहां पर आप काशी की सबसे प्राचीन ज्ञानपरम्परा के संवाहक सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के पूर्वमीमांसा विभाग से शास्त्री

एवं तुलनात्मक धर्म एवं दर्शन विभाग से आचार्य करके विश्वविद्यालय में दर्शन विषय में सर्वाधिक अंक पाने के चलते उत्तर प्रदेश के माननीय राज्यपाल श्रीरामनाईक जी के द्वारा दीक्षांत समारोह के अवसर पर दो सुवर्ण पदक दिया गया। पुनः आचार्य उपाधि प्राप्त करके आगे अध्ययन हेतु काशी से प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल जी के निर्देश पर वर्ष 2017 में दिल्ली आ गए। दिल्ली में प्रो. रजनीश कुमार मिश्र जी जो संस्कृत एवं प्राच्यविद्या अध्ययन संस्थान, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के संकायाध्यक्ष है आपके निर्देशन में जम्मू कश्मीर एवं लेह लद्दाख से सम्बन्धित एक विशिष्ट परियोजना जो भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा प्रेरित एवं भारतीय सामाजिक अनुसन्धान परिषद के वित्तीय सहयोग से जम्मू कश्मीर में लागू धारा 370 से सम्बन्धित विशिष्ट योजना जिसमें वहां की संस्कृति, दर्शन, साहित्य एवं भाषाओं पर केन्द्रित विशेष थी उसमें शोध सहायक के रूप में कार्य करके आपने राष्ट्र के लिए एक महत्वपूर्ण कार्य किया। उसके बाद वर्ष 2019 में श्रीलाल बहादुर शास्त्री केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के सर्वदर्शन विभाग में प्रो. हरेराम त्रिपाठी जी जो सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी एवं कवि कुलगुरू कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय, रामटेक, महाराष्ट्र के कुलपति थे उनके निर्देशन में काश्मीर मण्डल की योग परम्परा का अनुशीलन शैव एवं शाक्त दर्शन के विशेष सन्दर्भ में इस महत्वपूर्ण विषय पर विद्यावारिधी (पीएचडी) की उपाधि वर्ष 2022 में भारत गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू जी के कर कमलों द्वारा माननीय शिक्षा मंत्री भारत सरकार श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी की गरिमामय उपस्थिति में श्रीलाल बहादुर शास्त्री केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के प्रथम दीक्षांत महोत्सव में विश्वविद्यालय के यशस्वी कुलपति प्रो. मुरली मनोहर पाठक जी के विशेष उपस्थिति में यह उपाधि मिली। तत्पश्चात वर्ष 2023 में भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा वरिष्ठ शोध अध्येतावृत्ति (पोस्ट डॉक्ट्रोरल फेलोशिप) त्रिकतत्त्वमीमांसा: स्वरूप एवं वैशिष्ट्य (भारतीय दर्शनों के विशेष सन्दर्भ में) कश्मीरी शैव एवं शाक्त दर्शन में सुप्रसिद्ध त्रिकदर्शन के वृहत एवं विशिष्ट तत्त्वों की मीमांसा हेतु प्राप्त हुई जिसके माध्यम से देश सुविख्यात उच्च शिक्षा संस्थाओं में सदैव प्रथम वरीयता प्राप्त जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के संस्कृत एवं प्राच्यविद्या अध्ययन संस्थान में प्रो. रजनीश कुमार मिश्र जी के निर्देशन में यह शोधकार्य पूर्ण कर वरिष्ठ शोध अध्येता (पोस्ट डॉक्टरेट) की उपाधि परिषद से प्राप्त हुआ। वर्ष 2019 से 2023 तक जम्मू कश्मीर प्रान्त के विश्वस्थली (बसोहली) नगर में चूड़ामणि संस्कृत संस्थान में संस्थापक प्राचार्य के पद पर निःशुल्क सेवा प्रदान किया। इसी मध्य जम्मू कश्मीर के महामहिम उप राज्यपाल महोदय श्रीमान मनोज सिन्हा जी द्वारा संस्कृतभूषण एवं कृषिरत्न विशेष पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। उसकी सेवा कार्य के अन्तराल में श्रीमाता वैष्णो देवी जी के भवन में सेवारत पुजारीवृन्दों को सविधि पूर्वक प्रशिक्षण हेतु माननीय उप राज्यपाल महोदय श्रीमान मनोज सिन्हा जी द्वारा अर्चक अभिविन्यास कार्यशाला के संयोजक का दायित्व दिया गया। माता रानी की अहैतुकी कृपा से यह सेवा आज भी संचालित हो रही है।

वर्तमान में आप जम्मू कश्मीर प्रान्त में गुरुकुल एवं मन्दिर सेवा योजना प्रमुख के दायित्व के निर्वहन में तत्पर है।

इस अनुसन्धान से न केवल कश्मीरी शैव एवं शाक्त दर्शन का गौरव बड़ा है बल्कि त्रिकतत्त्वमीमांसा की समृद्ध परम्परा से भी समस्त समाज लाभान्वित होगा। इस उपलब्धि से उनके समस्त परिवारीजन सहित डॉ. उपाध्याय को देशभर से बधाईयां एवं आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है।

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