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तकनीक से खुल रहे हैं हिन्दी के लिये नये द्वार –डॉ.राजीव कुमार रावत

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हिंदी भारत की सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है, जिसकी समृद्ध सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत है। यह एक ऐसी भाषा है जो सदियों से विकसित होती रही है, अपने में विभिन्न प्रभावों को समाहित करते हुए, और आज भी यह अपनी यात्रा जारी रखे हुए है। हिंदी भाषा, जो कि हमारे देश की सांस्कृतिक धरोहर और पहचान है, आज तकनीक के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। यह भाषा न केवल भावनाओं और विचारों की अभिव्यक्ति का माध्यम है, बल्कि विज्ञान, तकनीक और शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी सशक्त भूमिका निभा रही है। हिंदी का वैश्विक स्तर पर विस्तार हो रहा है और इसका श्रेय उन तकनीकी प्रगति को जाता है जिसने हिंदी को डिजिटल युग के अनुरूप ढाल दिया है। आज, हिंदी न केवल संवाद की भाषा है बल्कि यह तकनीकी संचार की भी एक मजबूत कड़ी बन चुकी है। कम्प्यूटर, मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट और अन्य डिजिटल प्लेटफार्म्स पर हिंदी का व्यापक उपयोग संभव हो पाया है, जो हमारी मातृभाषा को नई ऊँचाइयों तक पहुंचा रहा है। 21वीं सदी में, हिंदी ने एक नया मोड़ लिया है – वह डिजिटल क्रांति का हिस्सा बन गई है। आज, यह भाषा न केवल किताबों और फिल्मों तक सीमित है, बल्कि तकनीकी दुनिया में भी अपना महत्वपूर्ण स्थान बना रही है। यह परिवर्तन न केवल भाषा के लिए, बल्कि इसके करोड़ों वक्ताओं, प्रयोक्ताओं के लिए भी एक नए युग की शुरुआत है, जहाँ वे अपनी मातृभाषा में डिजिटल दुनिया का अन्वेषण कर सकते हैं।
तकनीकी क्रांति के इस युग में जहां हर हाथ में तकनीक है, हिंदी को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर ले जाना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। शुरुआती दौर में, जब कंप्यूटर और इंटरनेट का प्रसार हो रहा था, तब अधिकतर सॉफ्टवेयर और प्रोग्राम केवल अंग्रेज़ी भाषा में ही उपलब्ध थे। इससे हिंदी भाषी उपयोगकर्ताओं के लिए तकनीक का उपयोग एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। लेकिन समय के साथ, प्रौद्योगिकी में विकास हुआ और हिंदी को भी डिजिटल दुनिया में स्थान मिला। पिछले दो दशकों में, तकनीकी क्षेत्र में हिंदी की उपस्थिति में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। यह परिवर्तन मुख्य रूप से कंप्यूटर, मोबाइल फोन, लैपटॉप और टैबलेट जैसे उपकरणों में हिंदी समर्थन के विकास के कारण संभव हुआ है। आज, इन उपकरणों पर हिंदी में काम करना न केवल संभव है, बल्कि सरल और सहज भी हो गया है। माइक्रोसॉफ्ट विंडोज और एप्पल मैकओएस जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम हिंदी यूनिकोड का समर्थन करते हैं, जिससे उपयोगकर्ता आसानी से हिंदी में टाइप कर सकते हैं, दस्तावेज़ बना सकते हैं, और सॉफ्टवेयर का उपयोग कर सकते हैं। Google Input Tools और Microsoft Indic Language Input Tool जैसे टूल्स ने हिंदी टाइपिंग को और भी सरल बना दिया है। स्मार्टफोन और टैबलेट की दुनिया में, Android और iOS दोनों प्लेटफॉर्म हिंदी के लिए व्यापक समर्थन प्रदान करते हैं। उपयोगकर्ता न केवल हिंदी में संदेश भेज सकते हैं, बल्कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, ई-मेल, और विभिन्न ऐप्स का उपयोग भी हिंदी में कर सकते हैं। Google Gboard और SwiftKey जैसे कीबोर्ड ऐप्स ने हिंदी टाइपिंग को मोबाइल उपकरणों पर बहुत आसान बना दिया है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में हुई प्रगति ने हिंदी के लिए नए द्वार खोल दिए हैं। आज, एआई-आधारित टूल्स हिंदी को समझने, लिखने और उसका विश्लेषण करने में सक्षम हैं, जिससे भाषा के उपयोग और विकास के नए आयाम खुल गए हैं। कंठस्थ, अनुवादिनी, भाषिनी एवं भारत सरकार तथा सीडैक के अन्य विकसित उपकरणों के अतिरिक्त Google Translate, Microsoft Translator, और DeepL जैसे एआई-संचालित अनुवाद टूल्स अब हिंदी और अन्य भाषाओं के बीच उच्च गुणवत्ता वाले अनुवाद प्रदान करते हैं। ये टूल्स न केवल शब्दों का अनुवाद करते हैं, बल्कि संदर्भ और व्याकरण को भी ध्यान में रखते हैं, जिससे अनुवाद अधिक प्राकृतिक और सटीक होता है। इसके अलावा, प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण Natural Language Processing (NLP) तकनीकों ने हिंदी टेक्स्ट और स्पीच को समझने और विश्लेषण करने की क्षमता को बढ़ा दिया है। यह तकनीक सेंटीमेंट एनालिसिस, टेक्स्ट वर्गीकरण, और सारांश निर्माण जैसे कार्यों में उपयोग की जाती है।
GPT (Generative Pre-trained Transformer) जैसी एआई मॉडल अब हिंदी में उच्च गुणवत्ता वाला कंटेंट जनरेट कर सकते हैं। ये मॉडल लेख, कविताएँ, कहानियाँ, और यहाँ तक कि व्यावसायिक दस्तावेज़ भी लिख सकते हैं। उदाहरण के लिए, OpenAI द्वारा विकसित GPT-3 और GPT-4 मॉडल हिंदी में विभिन्न प्रकार के टेक्स्ट उत्पन्न कर सकते हैं। एआई द्वारा संचालित चैटबॉट्स और वॉयस असिस्टेंट्स जैसे गूगल असिस्टेंट, सिरी, और अमेज़न एलेक्सा अब हिंदी में भी पूरी तरह से सक्षम हैं। भारत सरकार के अनुवाद उपकरणों में भी कृत्रिम बुद्धिमता संपन्न ये चैटबोट सक्षम किए जा रहे हैं। ये टूल्स न केवल हिंदी में संवाद कर सकते हैं बल्कि उपयोगकर्ताओं के सवालों का जवाब देने, जानकारी प्रदान करने और कार्यों को पूरा करने में भी समर्थ हैं। एआई के इस विकास ने हिंदी को डिजिटल युग में नई ऊँचाइयाँ दी हैं और इसका उपयोग अब केवल संवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि व्यापार, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं में भी हो रहा है।
सीडैक के वाचांतर, परिवर्तक आदि के साथ ही Google की Speech-to-Text और Amazon की Transcribe जैसी एआई-आधारित तकनीकें अब हिंदी बोली को सटीकता से टेक्स्ट में परिवर्तित कर सकती हैं। इसी तरह, Google की Text-to-Speech और Amazon की Polly जैसी सेवाएँ हिंदी टेक्स्ट को प्राकृतिक-सुनाई देने वाली आवाज़ में बदल सकती हैं। एआई-आधारित शैक्षिक प्लेटफॉर्म जैसे BYJU’S और Vedantu हिंदी में व्यक्तिगत शिक्षण अनुभव प्रदान कर रहे हैं। ये प्लेटफॉर्म छात्रों की प्रगति का विश्लेषण करते हैं और उनके सीखने की शैली के अनुसार सामग्री को अनुकूलित करते हैं। कोरोना कालखण्ड में अधिकांश विद्यार्थी वर्ग आनलाइन शिक्षण से परिचित हो गया है। विश्व के कई प्रमुख एआई प्लेटफॉर्म अब हिंदी में काम करने में सक्षम हैं। Google AI : Google का BERT (Bidirectional Encoder Representations from Transformers) मॉडल हिंदी सहित कई भाषाओं में NLP कार्यों के लिए प्रशिक्षित किया गया है। OpenAI GPT मॉडल : GPT-3 और GPT-4 हिंदी में टेक्स्ट जनरेशन, अनुवाद, और विभिन्न NLP कार्य कर सकते हैं। Microsoft Azure Cognitive Services : यह प्लेटफॉर्म हिंदी के लिए स्पीच रिकग्निशन, टेक्स्ट एनालिसिस, और अनुवाद सेवाएँ प्रदान करता है। IBM Watson : Watson हिंदी में नैचुरल लैंग्वेज अंडरस्टैंडिंग और टेक्स्ट एनालिसिस क्षमताएँ प्रदान करता है। Facebook AI (Meta AI) : फेसबुक ने हिंदी सहित कई भाषाओं के लिए मशीन ट्रांसलेशन और NLP मॉडल विकसित किए हैं। Hugging Face Transformers : यह ओपन-सोर्स लाइब्रेरी हिंदी के लिए विभिन्न प्री-ट्रेंड मॉडल प्रदान करती है, जिनका उपयोग विभिन्न NLP कार्यों के लिए किया जा सकता है। माइक्रोसॉफ्ट के एज ब्राउजर में Copilot और CluadAi जैसे प्रोग्रामों की अति आधुनिक समझ ने हिंदी को नए वैश्विक आयाम दिए हैं।
इस प्रकार हम देखते हैं कि हिंदी और तकनीक के मिलन ने भाषा के विकास और उपयोग के लिए अपार संभावनाएँ खोल दी हैं। यद्यपि वर्तमान में बहुत से उज्ज्वल पक्ष हैं जिनमें अभूतपूर्व प्रगति हुई है किंतु जिस गति से हिंदी और तकनीक की जुगलबंदी हो रही है लग रहा है कि भविष्य में, हम निम्नलिखित क्षेत्रों में और अधिक प्रगति देख सकते हैं:
1.  उन्नत मशीन अनुवाद : भविष्य के एआई मॉडल हिंदी और अन्य भाषाओं के बीच लगभग मानव-स्तरीय अनुवाद प्रदान कर सकेंगे, जिससे वैश्विक संचार और ज्ञान का आदान-प्रदान आसान होगा।
2.  व्यक्तिगत डिजिटल सहायक : हिंदी-बोलने वाले व्यक्तिगत एआई सहायक जो उपयोगकर्ताओं के साथ प्राकृतिक संवाद कर सकते हैं और जटिल कार्यों में सहायता प्रदान कर सकते हैं।
3.  स्वचालित कंटेंट निर्माण : एआई टूल्स जो हिंदी में उच्च गुणवत्ता वाला कंटेंट स्वचालित रूप से उत्पन्न कर सकते हैं, जिससे मीडिया और प्रकाशन उद्योग में क्रांति आ सकती है।
4.  भाषा संरक्षण और विकास : एआई तकनीकें हिंदी की विभिन्न बोलियों और उप-भाषाओं के संरक्षण और अध्ययन में मदद कर सकती हैं, जिससे भाषा की समृद्धि बनी रहेगी।
5.  शिक्षा में क्रांति : एआई-संचालित शैक्षिक प्लेटफॉर्म हिंदी माध्यम के छात्रों को व्यक्तिगत और इंटरैक्टिव शिक्षण अनुभव प्रदान कर सकते हैं।
अन्य अनेक ऐसे चमत्कृत करने वाले नित नए प्रयोग हो रहे हैं जिनसे निष्कर्षतः यह विश्वास हो रहा है कि हिंदी और तकनीक का यह संगम भारत के डिजिटल परिदृश्य को आकार दे रहा है और यह विकास यात्रा अनवरत चलती रहेगी। तकनीक न केवल भाषा के उपयोग और पहुँच को बढ़ा रही है, बल्कि इसके माध्यम से ज्ञान और संस्कृति के प्रसार को भी नई दिशा मिल रही है और भाषाई जड़ताएं तथा आग्रह शिथिल हो रहे हैं। इस युग के ये सुखद संकेत हैं कि जैसे-जैसे तकनीक विकसित हो रही हैं, हिंदी ही नहीं अन्य भारतीय भाषाएं भी उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं और अपने करोड़ों वक्ताओं को डिजिटल युग में सशक्त बनाते हुए जीवन सहज कर रही हैं। डिजिटल युग में भाषाओं और विशेषतया हिंदी के अनंत विकास की असीमित संभावनाओं के द्वार पर तकनीक दस्तक दे रही है और हिंदी एवं तकनीक का यह सुखद संयोग भारत की स्वतंत्रता के अमृतकाल में चहुंओर प्रत्यक्ष अनुभूत हो रहा है।
जय हिंद, जय हिंदी।
डॉ.राजीव कुमार रावत वरिष्ठ हिंदी अधिकारी
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर
खड़गपुर -721302

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