70 Views
26 नवंबर। “भारत-तिब्बत समन्वय संघ” 27 और 28 नवंबर को “तिब्बत और तिब्बती: वर्तमान और भविष्य” शीर्षक पर दो दिवसीय (ऑनलाइन) अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने जा रहा है। इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में विश्व के प्रमुख विद्वान जैसे – सुश्री नोर्जिन डोलमा, कलोन (कैबिनेट मंत्री, सूचना और अंतर्राष्ट्रीय विभाग, तिब्बत सरकार), प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी (पूर्व राज्यपाल, हरियाणा व त्रिपुरा), श्री ओजिन क्याब (ऑफिसर, ब्रिटिश टेलिकॉम), श्री मैथ्यू अकेस्टर (प्रसिद्ध इतिहासविद), आचार्य येशी फुन्स्तोक (पूर्व डिप्टी स्पीकर, सी.टी.ए.), डॉ. मेनपा फुन्त्सोग वांग्मो (अंतर्राष्ट्रीय निदेशक, शांग शुंग स्कूल ऑफ तिब्बत मेडिसिन, अमेरिका), प्रो. सुभाष सी. चौहान (निदेशक, इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर इम्युनोथेरेपी, स्कूल ऑफ मेडिसिन, यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास रियो ग्रांड वैली, टेक्सास), डॉ. पेमा नमडोल, मेन-ट्सी-खंग (देहरादून), पद्मश्री प्रो. गेशे ङ्गावंग समतेन (पूर्व कुलपति, केन्द्रीय उच्च अध्ययन बौद्ध संस्थान, वाराणसी), सुश्री काल्डेन त्सोमो (यू.एन.सलाहकार ऑफिसर, स्विट्ज़रलैंड), सुश्री शेङ्ग जूं (टोरंटो), श्री तेंजिन त्सुंडु (प्रसिद्ध लेखक), प्रो. पी. डी. जुयाल (भारत), श्री अरविन्द केसरी (भारत), श्री विजयमान (भारत), श्री एन. के. सूद (पूर्व रॉ ऑफिसर, भारत), प्रो. मनोज दीक्षित (पूर्व कुलपति डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय), श्री ओ. पी. तिवारी (पूर्व एयर वॉइस मार्शल, भारत), डॉ. एन. शिवा सुब्रमनियम (पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक, इसरो, भारत), प्रो. सुनील (एन.आई.टी. हमीरपुर), प्रो. बी. आर. कुकरेती, श्री हेमेन्द्र सिंह तोमर (भारत), प्रो. आर. सी. श्रीवास्तव (प्रसिद्ध मैथमेटीसियन, भारत), श्री अजीत प्रसाद महापात्रा, डॉ. अशोक कुमार वार्सनेय, डॉ. राजकुमार उपाध्याय मणि, डॉ. सुरेश कुमार, प्रो. रीना दधीच, डॉ. सुमित्रा सिंह, डॉ. सोनी सिंह, डॉ. नीलू चौहान, डॉ. रुकमेश चौहान, डॉ. सचिन श्रीवास्तव, डॉ. रवि कुमार गोंड़, डॉ. खेमराज शर्मा, डॉ. प्रकाश कुमार, डॉ. तपन कुमार दास, श्री संजय गोस्वामी, कर्नल राजेश तंवर, चैन शंकर दशोरा, श्री अनुज कुमार, सुश्री कनिका सूद, सुश्री ज्योति शर्मा आदि लोग उपस्थित रहेंगे | इस संगोष्ठी का प्रमुख उद्देश्य दुनिया भर के उन तमाम शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों, सामाजिक वैज्ञानिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और पत्रकारों इत्यादि को एक मंच प्रदान करना है जो तिब्बत की मुक्ति और तिब्बतियों के समर्थन में लगे हुए हैं और साथ ही सम्मेलन का यह भी उद्देश्य है कि दुनिया के तमाम लोग अपने वैचारिक मतों द्वारा तिब्बत से संबंधित अपने शोध अनुभवों को साझा करें ताकि तिब्बत की मुक्ति के सन्दर्भ में एक जन-जागरण अभियान की शुरुआत हो सके और तिब्बत से संबंधित निम्नलिखित विषयों को बढ़ावा मिले जैसे-
भारतीय और तिब्बती शैक्षणिक संस्थानों के बीच अंतः दृष्टिकोण, स्वदेशी तिब्बती दवाएं और औषधीय अभ्यास और भारत व तिब्बत में सांस्कृतिक सहजीवन की स्थापना आदि।
इसके अतिरिक्त सम्मेलन के और भी व्यापक क्षेत्र हैं जिस पर विद्वान लोग चर्चा करेंगे जैसे – तिब्बत में तिब्बतियों के मानवाधिकारों का उल्लंघन, मुक्त तिब्बत आंदोलन, तिब्बत की सांस्कृतिक विरासत, विज्ञान और ध्यान के क्षेत्र में तिब्बती साहित्य का योगदान, तिब्बती दवाएं और तिब्बती शिक्षा प्रणाली आदि।
यहां यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि ऊपर वर्णित प्रत्येक क्षेत्र अपने आप में एक विशाल क्षेत्र हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि दुनिया भर में कई सरकारी और गैर-सरकारी संगठन हैं जो मुक्त तिब्बत (एफटी) और मानवाधिकार उल्लंघन (एचआरवी) पर काम कर रहे हैं। जबकि एफटी और एचआरवी की तुलना में तिब्बतियों की संस्कृति, विरासत, शिक्षा और पहचान को स्थाईत्व प्रदान कराने तथा उनको प्रचारित-प्रसारित करने के लिए संस्थानों/संगठनों की कमी है। निकट भविष्य में भारत-तिब्बत समन्वय संघ इन सभी क्षेत्रों में बढ़-चढ़ कर कार्य करेगा और इस सम्मेलन के माध्यम से इन क्षेत्रों में काम करने के लिए लोगों का ध्यान आकर्षित करने का लक्ष्य भी रखेगा ताकि तिब्बत के बारे में जन जागरूकता शुरू हो सके।