आया गणतंत्र दिवस प्यारा, कुंकुम-केसर बरसाए नया सवेरा।
लहर-लहर लहराये तिरंगा प्यारा, खिलखिलाया है हर चेहरा।।
सुरभित हैं सुमन आज सारे, खग प्यारे हैं चहक रहे।
विश्व पटल पर, भारत की हमेशा ही महक रहे।।
गौरव से हर माथे ऊंचे, मेहनत के बल हम इस धरा को सींचे।
फहराए तिरंगा प्यारा, गायें गीत विजय के, दुश्मन को हम नोंचे।।
स्वागत का गीत नया है, नया है ये विहान।
गणतंत्र दिवस ने दिलाई है, भारत को नव-पहचान।।
आजादी का हर्ष है, गणतंत्र उत्कर्ष है, हमको है अभिमान।
शांति-सौहार्द,संयम, पंचशील के सिद्धांत, हमारी हैं पहचान।।
तोड़ दें विषमता के सब बंधन, समता राग करें मुखरित।
न हो छल, न हो कपट-वैर भाव, सुंदर हों सारे ही चरित्र।।
भेदभाव से सब परे हों, स्नेह की धारा बहती रहे।
जय-जय भारत माता, दुनिया सारी कहती रहे।।
प्रेम-अनुराग के भाव बहें, कोई भी न दुःख, कष्ट सहें।
सबको अधिकार समान मिलें, भाईचारे-सद्भावना के भाव बहें।।
विद्या का प्रबल-प्रकाश हो, देश-दीनता दूर करें।
खेती उपजाए हरा सोना, परिश्रम हम भरपूर करें।।
अधिकारों-कर्तव्यों के प्रति जागे हम।
देश विकास योगदान हेतु, हरदम भागे हम।।
कैसे भूलें हम गणतंत्र को, सुनहरा ये दिवस है।
न्याय-स्वतंत्रता संग जी रहे हम, कोई न आज विवश हैं।।
हिमालय कर रहा है आज पुकार।
पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण ; खुशियां हैं आज अपार।।
पीली-पीली सरसों में भर गया रंग, चित्त आज हैं सारे प्रसन्न।
महकी धरती,महके आंगन, तिरंगा फहराते हैं जन-जन।।
कोकिला ने छेड़ी है तान, सुंदर प्यारा आज विहान।
वसुधा का अंग-अंग पुलकित, भारत देश है महान।।
अपनी ही ज़मीं है, अपना ही है आसमाँ ।
हर्षोल्लास की है बहार, खुश-खुश है भारत माँ।।
विजय पताका फहराए जा, खुशी-उमंग के गीत गाए जा।
तिरंगा आन-बान और शान है, तिरंगा दशों-दिशाओं में तू लहराए जा।।
सुनील कुमार महला, फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार, उत्तराखंड।
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