राजनीति में तथा प्यार में सबकुछ जायज माना जाता है.इसलिए कब ओर कहाँ अनमेल गंठबंधन वो भी भाजपा एवं कांग्रेस के इतर तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद नयी नहीं है जो बिना मौसम वाली बदली की तरह है इसके पीछे किस नेता की क्या मन्शा है. तीसरा मोर्चा देश के कई नेताओं को प्रधानमंत्री बना गया जैसे एचडी देवकोटा इंद्र कुमार गुजराल चंद्रशेखर तथा विश्व नाथ प्रताप सिंह लेकिन इसमें पश्चिमी बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति वसू बने नहीं लेकिन मुलायम सिंह को बनने नहीं दिया गया वही लालू प्रसाद यादव बन नहीं पाये.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास पर्याप्त बहूमत था लेकिन अचानक नाटकीय ढंग से स्वयं ना बनकर डा मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बना दिया जो सर्वसम्मति से लगातार दस साल तक प्रधानमंत्री रहे तथा सपष्ट कर दिया था कि जब भी राहुल गांधी बनना चाहे मैं पद छोङने को तैयार हूँ लेकिन सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी नहीं बने यह कांग्रेस के लिए सुनहरी अवसर था लेकिन संयोग नहीं बना. यह उल्लेख करना नितांत जरुरी है कि 31 अक्टूबर 1984 को श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद अचानक राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बना दिया गया.