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सर्वदर्शनमंथन परिषद् के मनोविज्ञान में साक्षात्कार के माध्यम से आयोजित व्याख्यान में पैलेश जी ने अध्यक्ष पद की शपथ ली
नलबाड़ी (असम), 29 अप्रैल: कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत एवं पुरातनाध्ययन विश्वविद्यालय के सर्वदर्शन विभाग के सर्वदर्शनमंथन परिषद द्वारा ‘शास्त्रमंथन 108 व्याख्यानमाला’ के तीसरे भाग में “ब्राह्मणः जगद्भिन्ननिमित्तोपदानकारणत्वम्” विषय पर एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम साक्षात्कार (ऑनलाइन) माध्यम से लिया गया, जिसमें देश भर से शास्त्र प्रेम, शोधार्थियों और सिद्धांतों ने भाग लिया।
मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित थे डॉ. श्रीकर जी. एन., सहायकाचार्य, धार्मिक संस्कृत विश्वविद्यालय, अगरतला। उन्होंने वेदांत के आलोक में ब्रह्म को जगत के निमित्त और उपादान के रूप में वर्णित करते हुए शास्त्रीय साक्ष्यों, उपनिषदों और ब्रह्मसूत्रों के उद्धरणों के साथ गूढ़ विवेचन प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम की शैक्षिक योग्यता प्रोफेसर प्रह्लाद रा. जोशी ने की। अपने अध्यक्षीय सिद्धांत में उन्होंने वेदांत के सैद्धांतिक आयामों से लेकर समकालीन जीवन तक का अध्ययन किया। उन्होंने कहा कि ‘ऐसे आयोजनों से लेकर शास्त्रीय परंपरा का नवसंचार होता है और नवीनता की दिशाएं भी बनी रहती हैं।’
इस अवसर पर डॉ. अनमोल कुमार तिवारी, अध्यक्ष, सर्वदर्शन विभाग एवं सहध्यापिका, श्री लोपामुद्रा गोस्वामी, पुराणेतिहास विभाग के अध्यक्ष श्री विवेक सहित अनेक आचार्य एवं छात्रगण उपस्थित रहे। मंगलाचर, विभाग की इलेक्ट्रॉनिक ख्यातिश्री द्वारा प्रस्तुत किया गया, जबकि कार्यक्रम का संचालन शोधछात्रा छात्रा श्रीमती टीका देवी एवं आवेदिका प्रमाण पत्र, विभाग की अतिथि अध्यापिका एवं शोधछात्रा छात्रा मृदुता बरकाकती ने किया।
सत्र के अंत में संवाद-प्रश्नोत्तरी का आयोजन हुआ, जिसमें दफ़्तर ने विषयगत अनेक शास्त्रीय जिज्ञासाएँ प्रस्तुत कीं। वक्ता ने उन्हें पासपोर्ट उत्तर दिए गए विषय को और अधिक स्पष्ट किया।
सर्वदर्शनमंथन परिषद जो सर्वदर्शन विभाग के वर्तमान शोधार्थियों एवं पूर्व छात्रों का एक विद्वत संगठन है, इस परिषद के द्वारा इस व्याख्यानमाला का उद्देश्य शास्त्र चिंतन की परंपरा को जीवंत बनाए रखना और विद्यार्थियों को शास्त्रीय चर्चा में सक्रिय रूप से शामिल करना है।





















