गर्मियों अब अपने अंतिम पड़ाव पर है और मॉनसून दस्तक दे चुका है. गर्मियों मे आम के फल को ना केवल स्वाद ले कर खाया जाता है बल्कि उसके साथ यादें भी बनाई जाती है. लेकिन इस बार पीएमओ मे एक विशेष आम की कमी महसूस हुई. ये आम है बांग्लादेश का मशहूर आम “हरीवंगा”. भारत की पड़ोसी नीति में जिसको सबसे करीबी मित्रता का देश कहा जाता है यानी बांग्लादेश, पर अब ये पड़ोसी देश रिश्तो में मिठास घोलने का प्रयास नहीं कर रहा है. बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना कई सालों तक भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उपहार स्वरूप आम भेजती थी. यह पूरी परंपरा 2015 से शुरू हुई थी. वर्ष 2021 में 2600 किलो आम प्रधानमंत्री मोदी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भेजे गए थे.यह ‘मैंगो डिप्लोमेसी’ भारत बांग्लादेश के रिश्तों के बीच एक अहम कड़ी साबित हुई थी. दरअसल इतिहास के पन्नों में झाक के देखा जाए तो शेख हसीना की इस कदम के पीछे उस संकट के वक्त मे भारत का साथ देना बताया जाता है. जब 1975 में शेख हसीना के परिवार का कत्ल हो गया था और उन्होंने भारत में शरण ली थी दिल्ली में करीब 6 साल तक उन्होंने अपने समय गुजारा. लेकिन आप बांग्लादेश में तख्तापलट होने के बाद मोहम्मद यूनुस के द्वारा ऐसा कोई कदम सामने नहीं आया है. फिलहाल बांग्लादेश किसी भी देश को आम क्या ही भेजेगा क्योंकि वहां पर माहौल अब “आम” बिल्कुल भी नहीं है. देश के भीतर अंतरिम सरकार की मुसीबत बढ़ गई है और हर तरफ से चुनाव कराने की मांग उठने लगी है. इस पूरे मामले पर भारत ने भी अपनी टिप्पणी की है और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा है कि बांग्लादेश में जहां तक चुनाव का सवाल है.हमने अपनी स्थिति बहुत स्पष्ट रूप से सामने रख दी है ‘बांग्लादेश को जल्द से जल्द समावेशी निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराकर लोगों की इच्छा और जनादेश का पता लगाने की जरूरत है’ बांग्लादेश की स्थिति पर सवालों के जवाब में जायसवाल ने कहा कि भारत पड़ोसी देश के साथ एक ‘सकारात्मक और कंस्ट्रक्टिव संबंध’ चाहता है जो दोनों बच्चों के लोगों की आकांक्षाओं और हितों को पूरा करने की कोशिश पर आधारित हो. दोनों ही देश के बीच बांग्लादेश में चल रहे तनाव के कारण ट्रेड, सुरक्षा और पर्यटन पर भी असर पड़ रहा है. भारत एक बड़ी संख्या में बांग्लादेश से जल मार्ग द्वारा व्यापार करता है. जिसको ब्लू इकोनामिक कहते हैं फिलहाल ये इकॉनमी भी पूरी तरीके से चौपट है. भारत और बांग्लादेश एक दूसरे के साथ 54 नदियां साझा करते हैं. इसके अलावा दोनों देश अपनी ऊर्जा, सुरक्षा और चीन के बढ़ते प्रभाव को भी कम करने के लिए साथ काम करते आए हैं. लेकिन अब बांग्लादेश ने अपना रुख बदल लिया है और वह चीन के साथ रिश्तों को बेहतर करने की ओर ज्यादा झुका हुआ दिखता है. यही कारण है कि बांग्लादेश की तरफ से चीन को आम की खेप भेजी गई है. चीन के राजदूत याओ वेन और बांग्लादेशी मंत्रियों की एक तस्वीर सामने आई जिसमें 50 टन के करीब प्रीमियम आम को चीन के साथ साझा किया गया है. सिर्फ आम की ही बात नहीं है बल्कि यह दक्षिण एशिया में व्यापार और सुरक्षा की दृष्टिकोण से भी एक बड़ी हलचल है. बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के नेता मोहम्मद यूनुस ने अपना पहला आधिकारिक द्वारा भी बीजिंग में किया था. जिससे कि बांग्लादेश की विदेश नीति के बारे में स्पष्ट रूप से तस्वीर साफ हो चुकी है. इसके साथ ही बांग्लादेश पाकिस्तान के साथ भी रिश्ते मजबूत कर रहा है. इन सभी खतरों को देखते हुए भारत ने बांग्लादेश को दी जाने वाली ट्रांस शिपमेंट सुविधा खत्म कर दी है. अब बांग्लादेश और चीन की नई साझेदारी दक्षिण एशिया में व्यापारिक समीकरणों में एक बड़ा उथल-पुथल कर सकते है.





















